बलूचिस्तान प्रांत के मासतुंग क्षेत्र में बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) के नेता सिराज रायसानी की रैली को निशाना बनाया. दोनों हमलों में 150 से अधिक लोग घायल. आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली ज़िम्मेदारी.
कराची: पाकिस्तान में दो अलग अलग चुनावी रैलियों को निशाना बनाकर किये गये हमलों में एक शीर्ष राष्ट्रवादी नेता समेत 133 लोगों की मौत हो गई और 125 से अधिक अन्य घायल हो गए. आतंकियों ने बलूचिस्तान प्रांत के मासतुंग क्षेत्र में बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) के नेता सिराज रायसानी की रैली को निशाना बनाया.
जिला पुलिस अधिकारी मोहम्मद अयूब अचकजई ने कहा, ‘रायसानी घायल हो गए थे और उन्हें क्वेटा ले जाया जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया.’
रायसानी बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री नवाब असलम रायसानी के भाई हैं. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस्लामिक स्टेट समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.
आतंकी संगठन आईएस ने इस दावे की घोषणा अपनी अमाक संवाद समिति के जरिये की है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रायसानी समेत कम से कम 128 लोगों की मौत हो गई और 125 से अधिक अन्य घायल हो गए.
स्थानीय मीडिया ने मृतकों की संख्या प्रांतीय गृह मंत्री आगा उमर बांगलजई के हवाले से दी है. बलूचिस्तान के कार्यवाहक स्वास्थ्य मंत्री फैज काकर ने बताया, ‘शुरूआत में मृतकों की संख्या अधिक नहीं थी लेकिन रायसानी समेत गंभीर रूप से घायल लोगों की अस्पताल में मौत हो गई.’
उन्होंने बताया कि मृतकों की संख्या और भी बढ़ने की आशंका है क्योंकि विस्फोट में 120 अन्य लोग घायल हुए हैं. बम निरोधक दस्ते (बीडीएस) के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि यह एक आत्मघाती हमला था.
उन्होंने बताया कि हमले में लगभग 16-20 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. इस घटना के बाद क्वेटा के अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गई.
इस घटना से कुछ ही घंटा पहले खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू इलाके में मुत्ताहिदा मजलिस अमाल नेता अकरम खान दुर्रानी की रैली में विस्फोट हुआ था.
पुलिस के अनुसार इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई जबकि 37 अन्य घायल हो गए. इस हमले में दुर्रानी बच गए लेकिन उनका वाहन क्षतिग्रस्त हो गया.
दुर्रानी 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान के खिलाफ मैदान में हैं. उन्होंने कहा कि धमकियों के बाद भी वह चुनाव प्रचार जारी रखेंगे.
चुनाव के पहले अचानक ही कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है. हालांकि सरकार और सुरक्षा बलों का दावा है कि आतंकवाद का देश से सफाया हो गया है. राष्ट्रपति ममनून हुसैन और प्रधानमंत्री नसीरूल मुल्क ने इन हमलों की निंदा की है.