वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे में सीबीआई से क्लीनचिट पा चुके कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि वह लाई डिटेक्टर टेस्ट से गुज़रने को तैयार नहीं हैं क्योंकि यह क्रूरता जैसा है.
टाइटलर के वकील ने यह कहते हुए परीक्षण से ऐतराज जताया कि सीबीआई ने यह परीक्षण करने का कोई कारण नहीं दिया है और इससे संबंधित जांच एजेंसी की अर्ज़ी क़ानून का घोर दुरुपयोग है, यह दुर्भावना से दायर की गई है.
उन्होंने दंगे शुरू होने से लेकर अब तक के घटनाक्रम की सूची भी पेश की जिस पर पीड़ितों के वकील ने कहा कि वे उस पर जवाब दाखिल करेंगे.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट शिवाली शर्मा ने आगे की जांच के लिए टाईटलर और हथियार कारोबारी अभिषेक वर्मा पर परीक्षण करने की अनुमति मांगने वाली सीबीआई की अर्ज़ी पर आगे की बहस के लिए इस मामले को 18 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया.
अदालत ने चार दिसंबर, 2015 को आदेश दिया था कि अगर ज़रूरत महसूस हो तो लाई डिटेक्शन टेस्ट कराया जा सकता है.
इस मामले में गवाह वर्मा ने अदालत से कहा कि वह पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए तैयार है बशर्ते उसे पर्याप्त सुरक्षा दी जाए क्योंकि उसे अपने और अपने परिवार की जान पर ख़तरा महसूस हो रहा है. लेकिन सीबीआई ने कहा कि पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमति बिना शर्त होनी चाहिए.
वर्मा ने टाइटलर के ख़िलाफ़ कई बयान दिए हैं और उसने कहा है कि टाइटलर ने इस मामले के गवाहों पर कथित रूप से दबाव डाला.