केंद्र सरकार ने अप्रैल महीने में जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की सिफ़ारिश संबंधी फाइल कॉलेजियम को पुनर्विचार के लिए प्रधान न्यायाधीश को लौटा दी थी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के नाम को मंज़ूरी दे दी थी.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की कॉलेजियम ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को लेकर केंद्र की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए दो अन्य नामों के साथ उन्हें भी शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश दोहराई है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने जस्टिस केएम जोसेफ के साथ ही मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विनीत शरण को भी शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने की सिफ़ारिश की है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने 10 जनवरी की बैठक में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा को शीर्ष अदालत में न्यायाधीश बनाने की सिफ़ारिश की थी.
जस्टिस जोसेफ राजग सरकार द्वारा 2016 में उत्तराखंड में लगाए गए राष्ट्रपति शासन को निरस्त करने वाली पीठ के सदस्य थे.
हालांकि केंद्र सरकार ने 26 अप्रैल को जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफ़ारिश संबंधी फाइल कॉलेजियम को पुनर्विचार के लिए प्रधान न्यायाधीश को लौटा दी थी और इंदु मल्होत्रा के नाम को मंज़ूरी दे दी थी जिन्हें 27 अप्रैल को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई गई.
जस्टिस जोसेफ सहित तीन मुख्य न्यायाधीशों को पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफ़ारिश करने का निर्णय कॉलेजियम की 16 जुलाई की बैठक में हुआ था.
इस बैठक में पारित प्रस्ताव शुक्रवार को न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. इसमें कहा गया है कि जोसेफ की सिफ़ारिश लौटाते समय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा लिखे गए दो पत्रों पर सावधानीपूर्वक विचार किया गया है.
प्रधान न्यायाधीश के अलावा जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस एके सिकरी कॉलेजियम के सदस्य हैं.
जस्टिस जे. चेलामेश्वर के 22 जून को सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस सिकरी कॉलेजियम के नए सदस्य बने हैं.
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘हमने प्रधान न्यायाधीश को जस्टिस जोसेफ को पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने के बारे में दस जनवरी की सिफारिश को पुन: विचार के लिए वापस भेजते समय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा 26 अप्रैल और 30 अप्रैल, 2018 के अपने पत्रों में की गई टिप्पणियों पर सावधानीपूर्वक विचार किया है.’
कॉलेजियम ने इन दो पत्रों में उल्लिखित सभी पहलुओं पर विचार करके इस सिफ़ारिश को दोहराने का प्रस्ताव किया है, विशेषकर जब जस्टिस केएम जोसेफ की उपयुक्तता के बारे में इन पत्रों में कुछ भी प्रतिकूल होने का ज़िक्र नहीं है.