राजस्थान में सीकर से भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती के मुताबिक फ़र्ज़ी गोरक्षकों की वजह से वाकई में गोसेवा में लगे लोग और संत समाज बदनाम हो रहा है. उन्होंने ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की मांग की है.
अलवर में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाले गए अकबर ख़ान उर्फ रकबर मामले को लेकर सीकर के भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, ‘बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने गोरक्षा के नाम पर धंधा शुरू कर दिया है. इन लोगों के गो-तस्करों से वसूली के लिए गिरोह बना रखे हैं. ऐसे लोगों की वजह से ही अलवर जैसी घटनाएं सामने आती हैं.’
जयपुर में प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ‘गोरक्षा की आड़ में धंधा करने वाले इन लोगों की वजह से वास्तव में गोसेवा में लगे लोग और संत समाज बदनाम हो रहा है. इन फ़र्ज़ी गोरक्षकों के ख़िलाफ़ कठोर से कठोर कार्रवाई करनी चाहिए.’
सुमेधानंद सरस्वती ने कहा, ‘मुझसे अनेक गोशालाओं के संचालक मिले. उन्होंने मुझसे कहा कि हमारे जैसे लोग और साधू-संन्यासी तो निस्वार्थ भाव से गायों की सेवा करते हैं, लेकिन इस काम को धंधा बनाने वाले लोगों की वजह हमारी बदनामी हो रही है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘गोसेवा की आड़ में लोगों ने गिरोह बना लिए हैं. ये दिखावे के लिए गोसेवा करते हैं. असलियत में ये गायों की तस्करी करवाते हैं. इन लोगों के ख़िलाफ़ सरकार को सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए. प्रधानमंत्री जी भी यह बात कई बार कह चुके हैं.’
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त, 2016 में कथित गोरक्षकों के ख़िलाफ़ बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था, ‘गोरक्षा पर जो लोग दुकानें खोलकर बैठे हैं उन पर गुस्सा आता है. कुछ लोग पूरी रात एंटीसोशल एक्टिविटी करते हैं और दिन में गोरक्षा का चोला पहन लेते हैं. 70-80 फीसदी लोग फ़र्ज़ी गोसेवक हैं.’
क्या अकबर ख़ान की हत्या भी ऐसे ही फ़र्ज़ी गोरक्षकों ने की? इस सवाल पर सुमेधानंद सरस्वती कहते हैं, ‘इस मामले की पुलिस जांच कर रही है. न्यायिक जांच भी हो रही है. ऐसे में मेरा कुछ बोलना उचित नहीं है. जिन्होंने भी अकबर को मारा है, उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए.’
गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर सुमेधानंद सरस्वती के इस रुख़ से उनकी ही पार्टी के रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा सहमत नहीं हैं. वे कुछ लोगों द्वारा गोरक्षा के नाम पर वसूली के गिरोह चलाने की बात से भी इनकार करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे यहां गोरक्षा के नाम पर वसूली का कोई गिरोह नहीं चलता. गो-तस्करों से पुलिस ज़रूर मिली हुई है. दोनों की मिलीभगत से हमारे यहां से गायों की तस्करी होती है. वसूली पुलिस वाले करते हैं, गोरक्षक नहीं.’
आहूजा गाय के नाम पर हो रही हिंसा के लिए भी इन कथित गोरक्षकों को ज़िम्मेदार नहीं मानते. वे कहते हैं, ‘हिंसा की जड़ गायों की तस्करी है. गाय से लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. कोई अपनी माता को कटने जाते हुए कैसे देख सकता है? जनता इस पर भड़कती है और हिंसा होती है.’
वे आगे कहते हैं, ‘मैं हिंसा का समर्थन नहीं करता, लेकिन लोगों की भावना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. भीड़ के क़ानून हाथ में लिए जाने के पीछे उस वक़्त के हालात होते हैं. गो-तस्करी बंद हो जाए तो हिंसा अपने-आप बंद हो जाएगी.’
आहूजा के इन तर्कों से रामगढ़ के पूर्व विधायक जुबैर ख़ान सहमत नहीं हैं. वे कहते हैं, ‘रामगढ़ का बच्चा-बच्चा यह जानता है कि यहां गोरक्षा के नाम पर वसूली करने वाले गैंग सक्रिय हैं. अकबर की हत्या ऐसे ही एक गैंग ने की है. यह बात सबको पता है.’
जुबैर ख़ान आगे कहते हैं, ‘अकबर ख़ान की हत्या का चश्मदीद बन रहा नवल किशोर मिश्रा ख़ुद गोरक्षा के नाम पर वसूली का गैंग चलाता है. पकड़े गए सभी आरोपी उसके लिए ही काम करते हैं. यह बात पुलिस को भी पता है, लेकिन नवल पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही.’
जुबैर ख़ान भाजपा पर गाय के नाम पर गुंडागर्दी करने वाले लोगों को संरक्षण देने का आरोप भी लगाते हैं.
वे कहते हैं, ‘ये लोग बेख़ौफ़ इसलिए रहते हैं क्योंकि भाजपा के नेता इन्हें संरक्षण देते हैं. इन्हें पुलिस से बचाते हैं. यदि कोई मुक़दमा हो जाए तो इनकी इनकी मदद करते हैं.’
विधायक ज्ञानदेव आहूजा इस आरोप को खारिज करते हैं. वे कहते हैं, ‘मैं तो शुरू से कह रहा हूं कि मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए. कोई अपनी ही सरकार में पुलिस के ख़िलाफ़ जांच की मांग करता है क्या? अकबर ख़ान की हत्या में ग्रामीणों की कोई भूमिका नहीं है. न्यायिक जांच में यह साबित हो जाएगा.’
गौरतलब है कि विधायक ज्ञानदेव आहूजा शुरुआत से ही पुलिस को अकबर की हत्या का दोषी बता रहे हैं. इसी आधार पर वे गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों की निर्दोष बताकर उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं.
आहूजा पहले अकबर की हत्या के लिए निलंबित एएसआई मोहन सिंह और लाइन हाज़िर किए गए तीन पुलिसकर्मियों को ही ज़िम्मेदार बता रहे थे, लेकिन अब वे एडिशनल एसपी अनिल बेनीवाल की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं.
वे कहते हैं, ‘20 तारीख़ की रात रामगढ़ थानाधिकारी नवल शर्मा थाने से रिलीव होकर जा चुके थे और द्वितीय थानाधिकारी सुभाष शर्मा भी मौके पर नहीं थे. पूरा थाना एएसआई मोहन सिंह के हवाले था. यह संभव नहीं है कि उन्होंने घटना की जानकारी एडिशनल एसपी को न दी हो.’
विधायक कहते हैं, ‘पूरा मामला एडिशनल एसपी अनिल बेनीवाल की जानकारी में था. अकबर ख़ान को समय पर अस्पताल नहीं ले जाने के निर्णय में उनका भी हाथ है. न्यायिक जांच में मोहन सिंह और डीएसपी की कॉल डिटेल को भी शामिल किया जाना चाहिए.’
मेव पंचायत के संरक्षक शेर मोहम्मद भाजपा विधायक के इस रुख़ को मामले की जांच को भटकाने की साजिश क़रार देते हैं. वे कहते हैं, ‘पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है, लेकिन इसकी आड़ में अकबर को बेरहमी से पीटने वालों को निर्दोष साबित करने का खेल चल रहा है.’
वे आगे कहते हैं, ‘ख़ुद को चश्मदीद गवाह बताने वाला नवल किशोर शर्मा अकबर की हत्या का सूत्रधार है. उसे रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा का संरक्षण प्राप्त है. इसी वजह से पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही. कायदे से तो विधायक आहूजा भी इस मामले में 120-बी के मुल्ज़िम बनते हैं.’
इस बीच अकबर ख़ान की हत्या के मामले में नए जांच अधिकारी एडिशनल एसपी वीर सिंह शेखावत ने तफ्तीश शुरू कर दी है. शनिवार को उन्होंने नवल किशोर शर्मा से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की. सूत्रों के अनुसार वह कई सवालों में उलझ गया.
वीर सिंह शेखावत ने कहा, ‘अभी प्रकरण से संबंधित लोगों के बयान लिए जा रहे हैं. नवल किशोर शर्मा के बयान हो चुके हैं जबकि अकबर के साथी असलम के बयान होना बाकी हैं. मैं बयान लेने कोलगांव गया था, लेकिन वह वहां मिला नहीं. पूरी जांच होने के बाद ही अधिकृत जानकारी दी जाएगी.’
वहीं, मामले की न्यायिक जांच चल है. जांच अधिकारी राजगढ़ के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमर सिंह चंपावत प्रकरण से जुड़े ज़्यादातर लोगों के बयान ले चुके हैं.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और जयपुर में रहते हैं.)