उच्चतम न्यायालय की पीठ को बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की पुनर्वियार याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पूर्व के फैसले में हस्तक्षेप की कोई वजह नज़र नहीं आई.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोहराबुद्दीन शेख़ फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज बीएच लोया की मृत्यु के मामले में अपने 19 अप्रैल के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका मंगलवार को ख़ारिज कर दी.
न्यायालय ने जज लोया की एक दिसंबर, 2014 को नागपुर में आकस्मिक मृत्यु के कारणों की जांच विशेष जांच दल को सौंपने के लिए जनहित याचिकाएं ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं की मंशा पर सवाल उठाए थे।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ की पीठ को बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की पुनर्वियार याचिका में कोई काम की बात नज़र नहीं आई.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हमने सावधानीपूर्वक पुनर्विचार याचिका और संबंधित दस्तावेज़ों का अवलोकन किया परंतु हमें अपने फैसले में हस्तक्षेप की कोई वजह नज़र नहीं आई तद्नुसार पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की जाती है.’
शीर्ष अदालत ने लोया की मृत्यु की जांच के लिए दायर सारी याचिकाओं को ख़ारिज करते हुये अपने फैसले में कहा था कि उनकी ‘स्वाभाविक मृत्यु’ हुई थी.
न्यायालय ने यह भी कहा था कि राजनीतिक विरोधियों द्वारा दायर याचिकाएं अपने अपने हिसाब बराबर करने के लिए थीं जो न्यायपालिका को विवादों में लाने और उसकी स्वतंत्रता पर सीधे ही न्याय की प्रक्रिया में व्यवधान डालने का गंभीर प्रयास था.
सोहराबुद्दीन शेख़, एक संदिग्ध गैंगस्टर और उसकी पत्नी कौसर बी. को कथित रूप से नवंबर, 2005 में अपहरण के बाद गुजरात और राजस्थान के पुलिस दल ने मार दिया था.
इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अदालत में 38 व्यक्तियों के ख़िलाफ़ कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ का आरोप पत्र दाख़िल किया था. निचली अदालत ने भाजपा प्रमुख अमित शाह सहित 14 व्यक्तियों को इस मामले में आरोप मुक्त कर दिया था.