व्यापमं मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने अवमानना के आरोप में व्यापमं घोटाले को उजागर करने वाले ह्विसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी को ही जेल भेज दिया था. अदालत ने आशीष से बयान देने के लिए कहा था जिसे उन्होंने मना कर दिया था.
भोपाल: मध्य प्रदेश के चर्चित व्यापमंं घोटाला मामले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोप में 10 अगस्त को ग्वालियर के झांसी रोड थाना में एफआईआर दर्ज की गई है. ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज के क्लर्क परमानंद बाधवा और तत्कालीन छात्र शाखा प्रभारी के खिलाफ साक्ष्यों को छिपाने के आरोप में आईपीसी की धारा 201 और 204 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
द वायर द्वारा प्राप्त की गई एफआईआर की कॉपी के मुताबिक, ‘गजराजा चिकित्सा महाविद्यालय से लिखित में ली गई संपूर्ण जांच में पाया गया है कि उक्त अपराध से संबंधित दस्तावेज कस्टोडियन क्लर्क परमानंद बाधवा एवं तत्कालीन छात्र शाखा प्रभारी द्वारा साक्ष्य छिपाने की नीयत से जान-बूझकर नष्ट कर दिए गए अथवा गुम कर दिए गए.’
इस मामले की शिकायत ह्विसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी ने 13 महीने पहले 30 जून 2017 को झांसी रोड थाना में दर्ज कराई थी. हालांकि एक साल बाद अब पुलिस ने इस पर एफआईआर दर्ज किया है.
बता दें कि आशीष चतुर्वेदी पूरे व्यापमंं मामले के ह्विसलब्लोअर हैं. आशीष द्वारा प्राप्त की गई जानकारी के आधार पर ही इस पूरे घोटाले का खुलासा हुआ था.
इस पर आशीष ने कहा, ‘ये बेहद गंभीर मामला है कि इतने बड़े घोटाले के साक्ष्य मिटाए जा रहे हैं और प्रशासन चैन की नींद सो रहा है. जब प्रमाण ही खत्म किए जाएंगे तो ये जांच एजेंसियां क्या जांच कर पाएंगी. सारे अपराधी छूट जाएंगे.’
आशीष ने आगे कहा, ‘मैंने एक साल से ज्यादा समय से पहले ही इस बात की जानकारी प्रशासन को दे दी थी और शिकायत दर्ज करा दिया था लेकिन अब जा कर पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है.’
झांसी रोड पुलिस स्टेशन के थाना इंचार्ज मनोज झा ने बताया कि कॉलेज प्रशासन ने हमें लिखित में जानकारी दी है कि संबंधित फाइलें रिकॉर्ड से गायब हैं या गुम हो गई हैं.
इसी आधार पर दो लोगों के खिलाफ धारा 201 (अपराध के प्रमाणों का गायब होना, या झूठी सूचना देना) और 204 (सबूत के रूप में पेश होने से रोकने के लिए दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
द वायर ने इस मामले में जीआर मेडिकल कॉलेज प्रशासन से भी बात करने की कोशिश की लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है. कॉलेज डीन के ऑफिस में कई बार कॉल किया गया लेकिन वे वहां मौजूद नहीं थे. अगर कोई जवाब कॉलेज की तरफ से आता है तो स्टोरी में अपडेट कर दिया जाएगा.
व्यापमं घोटाला मामले में वकील डीपी सिंह का कहना है कि इस पूरे मामले में एसटीएफ और सीबीआई की जांच सवालों के घेरे में है. कोई भी जांच शुरू होती है तो सबसे पहले उससे जुड़ी फाइलों को जब्त किया जाता है. ये इतना बड़ा मामला है, आख़िर क्यों जांच अधिकारी ने इस सबूत को जब्त नहीं किया. जब सबूत ही नहीं रहेंगे तो जांच ही क्या होगी?
सिंह ये भी कहते हैं कि इस मामले में एक छोटे से क्लर्क स्तर के व्यक्ति को आरोपी बनाकर उसे बली का बकरा बनाया जा रहा है. दस्तावेज़ मिटाने में कई बड़े लोग शामिल हैं. एक छोटा सा क्लर्क ऐसा नहीं कर सकता है. कुछ प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए ये जान-बूझकर के किया गया है.
बता दें की ये दस्तावेज़ व्यापमं घोटाले की जांच जो कि निजी चिकित्सा महाविद्यालय और शासन के अधिकारियों की सांठ-गांठ से निजी चिकित्सा महाविद्यालयों की शासन के कोटे की सीटों को बेचे जाने से संबंधित है.
घोटाले को उजागर करने वाले ह्विसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी को ही कोर्ट ने भेजा जेल
वहीं आठ अगस्त को इस मामले की सुनवाई के दौरान व्यापमं स्पेशल कोर्ट में एक अजीबोगरीब मामला हुआ. कोर्ट ने अवमानना के आरोप में ह्विसलब्लोअर आशीष को ही 15 दिनों के लिए जेल भेज दिया था.
दरअसल कोर्ट ने व्यापमं मामले में आशीष से बयान देने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया. आशीष ने कोर्ट से कहा कि चूंकि इस मामले की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है, इसलिए वे अपना बयान नहीं दे सकते हैं.
आशीष ने द वायर को बताया, ‘कोर्ट ने जब मुझसे बयान देने को कहा तो मैंने उनसे ये कहा कि इस मामले की जांच पूरी नहीं हुई है. व्यापमं से जुड़ी फाइलों को नष्ट किया जा रहा है. आप पुलिस से इस पर स्टेटस रिपोर्ट मांगिए कि इस मामले में अभी कहां तक जांच हुई है.’
कोर्ट ने बयान नहीं देने के कारण अवमानना के आरोप में आशीष को नोटिस दिया कि आप बताइए कि क्यों न आपके ऊपर अर्थदंड लगाया जाए. हालांकि आशीष का कहना है कि उन्हें कारण बताने का भी समय नहीं दिया गया और एकतरफा कर्रवाई करते हुए जेल भेज दिया.
आशीष को कहा गया था कि वे 200 रुपये देकर जेल से छूट सकते हैं लेकिन उन्होंने पैसा भरने से मना कर दिया. आशीष का कहना है कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है और उन्होंने कोर्ट में न्यायसंगत बातें ही की थीं. आशीष का कहना है कि मामले की सुनवाई के दौरान जज का रवैया भी सही नहीं था.
आशीष के मुताबिक बीते नौ अगस्त को शाम छह बजे उन्हें जेल भेजा गया था. हालांकि 10 अगस्त की सुबह सात बजे उनके दोस्तों ने 200 रुपये का मुचलका भरकर उन्हें जेल से छुड़ा लिया.
आशीष का कहना है कि अब वे इस मामले में हाईकोर्ट जाएंगे और बताएंगे कि किस तरीके से निचली अदालत ने उनके साथ गैर-कानूनी काम किया और उनका उत्पीड़न किया गया.
उन्होंने कहा, ‘व्यापमंं से जुड़े दस्तावेज नष्ट किए जाने की मेरी शिकायत सही साबित हुई है. यही बात मैं कोर्ट में कह रहा था लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी. अब मैं हाईकोर्ट में अपील करूंगा और वहां बताऊंगा कि किस तरह मेरे साथ निचली अदालत में अन्याय हुआ है.’
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले महीने जुलाई में व्यापमंं घोटाले के मामले में कथित सरगना डॉक्टर जगदीश सागर और इस परीक्षा बोर्ड के दो अधिकारियों और अन्य के खिलाफ धनशोधन रोकथाम कानून के तहत आरोप-पत्र दायर किया था.
सागर के अलावा, श्री अरविंद आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर विनोद भंडारी और व्यापमंं अधिकारी डॉक्टर पंकज त्रिवेदी तथा नितिन मोहिंद्रा को आरोपी बनाया गया है.