केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से शीर्ष अदालत ने पूछा कि देश के विभिन्न आश्रय गृहों में रह रहे 1575 लड़के-लड़कियां यौन और शारीरिक उत्पीड़न के शिकार हैं. आपने इस बारे में क्या किया?
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बिहार सरकार से कहा है कि वह राज्य में आश्रय गृहों की टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) द्वारा की गई सोशल ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करे. गौरतलब है कि पीठ बिहार के बालिका गृह बलात्कार कांड पर सुनवाई कर रहा है.
इस पर बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पीठ को बताया कि टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (टिस) द्वारा तैयार राज्य के आश्रय गृहों की सोशल ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है.
साथ ही, बिहार सरकार का पक्ष रखते हुए रंजीत कुमार ने कहा कि दिल्ली स्थित एम्स समेत तीन संस्थाएं मुजफ्फरपुर के आश्रय गृह में कथित उत्पीड़न का शिकार हुईं लड़कियों के मनोवैज्ञानिक-सामाजिक पहलू की जांच कर रही हैं.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने देश के आश्रय गृहों में रह रहे बच्चों के यौन उत्पीड़न पर चिंता जताई और केंद्र से पूछा कि 1575 नाबालिग पीड़ितों के मामलों में क्या किया जा रहा है?
मदन बी. लोकूर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र द्वारा उसके सामने पेश डेटा का जिक्र किया और कहा कि देश के विभिन्न भागों में आश्रय गृहों में 286 लड़कों सहित 1575 बच्चों का शारीरिक शोषण या यौन उत्पीड़न किया गया.
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने पीठ को बताया कि सरकार ने राज्यों को पिछले साल ही 1575 बच्चों के उत्पीड़न के बारे में जानकारी दे दी है.
पीठ ने एएसजी से पूछा, ‘1575 लड़के-लड़कियां यौन और शारीरिक उत्पीड़न के पीड़ित हैं. आपने इस बारे में क्या किया? उन्हें किन आश्रय गृहों में रखा गया है? इस पर राज्यों ने क्या कार्रवाई की है?’
एएसजी ने पीठ को बताया कि वह इस विषय में निर्देश प्राप्त करके अदालत के पास वापस आएंगे.
शीर्ष अदालत ने चिंता जताते हुए कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों का उत्पीड़न हो रहा है या फिर उनकी सही देखभाल की गई है.