लघु उद्योगों के निर्यात पर नोटबंदी से ज़्यादा जीएसटी की मार पड़ी: रिज़र्व बैंक रिपोर्ट

लघु एवं मझोले उद्यमों यानी एमएसएमई को देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण इंजन माना जाता है और देश के कुल निर्यात में इसका 40 फीसदी योगदान है.

A man repairs gear parts used in automobiles inside a workshop at an industrial area in Mumbai, India. Small businesses have been struggling with the new tax. (Photo: Danish Siddiqui/Reuters)
(फोटो: रॉयटर्स)

लघु एवं मझोले उद्यमों यानी एमएसएमई को देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण इंजन माना जाता है और देश के कुल निर्यात में इसका 40 फीसदी योगदान है.

A man repairs gear parts used in automobiles inside a workshop at an industrial area in Mumbai, India. Small businesses have been struggling with the new tax. (Photo: Danish Siddiqui/Reuters)
फोटो: रॉयटर्स

मुंबई: नोटबंदी की तुलना में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़ी दिक्कतों ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के निर्यात को अधिक प्रभावित किया है. आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है.

एमएसएमई क्षेत्र को देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण इंजन माना जाता है और भारत के कुल निर्यात में इसका योगदान करीब 40 प्रतिशत है.

आरबीआई द्वारा प्रकाशित मिंट स्ट्रीट मेमो में कहा गया, ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट और अग्रिम जीएसटी रिफंड में देरी के चलते एमएसएमई निर्यात को नोटबंदी से ज्यादा जीएसटी से जुड़ी दिक्कतों ने परेशान किया. इससे छोटे उद्योगों की कार्यशील पूंजी जरूरतें प्रभावित हुईं क्योंकि वह अपने दैनिक कामकाज के लिये नकदी पर निर्भर हैं.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी से पहले ही एमएसएमई क्षेत्र में ऋण वृद्धि धीमी होने लगी और नोटबंदी के दौरान इसमें और गिरावट आई. उम्मीद के उलट, ऐसा लगता है कि जीएसटी लागू होने का ऋण पर कोई अहम प्रभाव नहीं पड़ा है.

कुल मिलाकर, एमएसएमई कर्ज विशेष रूप से एमएसएमई को दिये जाने वाले सूक्ष्म ऋण में हालिया तिमाहियों में अच्छी वृद्धि देखी गयी.

रिजर्व बैंक द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिंट स्ट्रीट मेमो (एमएसएम) में व्यक्त विचार भारतीय रिजर्व बैंक के हों, यह आवश्यक नहीं है.

अप्रैल-जून 2018 तिमाही के दौरान, एमएसएमई को बैंक द्वारा दिया गया कर्ज सालाना आधार पर औसतन 8.5 प्रतिशत बढ़ा. यह अप्रैल-जून 2015 के वृद्धि स्तर को दर्शाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसएमई निर्यात के प्रमुख वस्तुयें जैसे रत्न एवं आभूषण, कालीन, कपड़ा, चमड़ा, हैंडलूम और हस्तशिल्प वस्तुओं उद्योग श्रम आधारित उद्योग हैं. यह कार्यशील पूंजी और अनुबंध मजदूरों के भुगतान के लिए नकद पर निर्भर हैं.

अक्टूबर 2016 के बाद (नोटबंदी की अवधि) एमएसएमई निर्यात में मामूली कमजोरी दिखती है लेकिन अप्रैल और अगस्त 2017 के दौरान में निर्यात में गिरावट आई.

रिपोर्ट यह भी बताती है कि नोटबंदी के बाद एमएसएमई क्षेत्र में कर्ज न लौटा पाने में आ रही मुश्किलों को देखते हुए राहत देने के लिए रिज़र्व बैंक ने कई उपाय भी दिए थे.