हाईकोर्ट ने यह आदेश दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है, जिसमें भाजपा पर गौरव यात्रा के ज़रिये सरकारी ख़र्च पर पार्टी का प्रचार करने का आरोप है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से निकाली जा रही गौरव यात्रा पर भाजपा की प्रदेश इकाई की ओर से किए गए खर्च का विस्तृत ब्यौरा देने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांद्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट के अधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा व सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया.
विभूति भूषण शर्मा की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता माधव मित्र के मुताबिक कोर्ट ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी को 20 अगस्त तक शपथ पत्र के साथ यात्रा पर किए गए खर्च का पूरा विवरण देने के लिए कहा है.
माधव मित्र कहते हैं, ‘भाजपा के वकील ने यह तर्क दिया कि गौरव यात्रा पार्टी की ओर से निकाली जा रही है. इस पर कोर्ट ने 20 अगस्त तक खर्च की डिटेल देने का आदेश दिया है. इसी दिन मामले की अगली सुनवाई होगी.’
वे आगे कहते हैं, ‘हमने याचिका के साथ सरकारी आदेशों की प्रति लगाई है. इनमें यात्रा के दौरान कई व्यवस्थाएं करने का जिक्र है. यात्रा पर सरकारी खजाने से पैसा खर्च हुआ है.’
कोर्ट के इस आदेश पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी कहते हैं, ‘मैंने आदेश नहीं पढ़ा है, लेकिन जो सूचना मिल रही है उसके हिसाब से राजस्थान गौरव यात्रा पर पार्टी की ओर से किए गए खर्च का विवरण कोर्ट में जमा करवाएंगे.’
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ की शुरुआत 4 अगस्त को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में राजसमंद के चारभुजा मंदिर से की थी.
40 दिन तक चलने वाली यह यात्रा 165 विधानसभा सीटों से होकर गुजरेगी. इस दौरान वसुंधरा 135 सभाओं को संबोधित करेंगी और 371 जगहों पर उनका स्वागत होगा. लगभग 6 हजार किलोमीटर की दूरी करने वाली इस यात्रा का समापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के साथ 30 सितंबर को पुष्कर में होगा.
काबिलेगौर है कि यात्रा का पहला चरण 10 अगस्त को पूरा हो चुका है जबकि 16 अगस्त को सवाई माधोपुर से शुरू होने वाला दूसरा चरण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के देहांत के वजह से स्थगित हो गया है.
हालांकि इसके स्थगित करने की एक वजह गुर्जर नेताओं की ओर से गौरव यात्रा का विरोध करने की घोषणा भी रही. अब यात्रा का दूसरा चरण 23 अगस्त को जोधपुर से शुरू होगा. राजस्थान गौरव यात्रा को भाजपा का चुनावी शंखनाद माना जा रहा है. इसकी शुरुआत के समय अमित शाह ने इसका जिक्र भी किया था. उल्लेखनीय है प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
यात्रा के प्रथम चरण में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हर जगह चुनाव प्रचार की शैली में भाषण दिया. उनकी हाईटेक बस भाजपा के रंग और नारों सें रंगी है. सभाओं का नजारा भी ऐसा ही रहा.
कांग्रेस शुरुआत से ही इस यात्रा में सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है. इसके पीछे सार्वजनिक निर्माण विभाग का आदेश है, जिनमें यात्रा के लिए व्यवस्थाएं करने का जिक्र है. विभाग के मुख्य अभियंता सीएल वर्मा की ओर से जारी इस आदेश में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सभाओं के लिए मंच, टेंट व लाउडस्पीकर व अन्य इंतजाम करने के लिए चार अधिकारियों की तैनाती का उल्लेख है.
हालांकि कांग्रेस की आरोप लगने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग ने यह आदेश वापिस ले लिया. इसी दौरान हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर हो गई.
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा के अनुसार सार्वजनिक निर्माण विभाग ने आदेश वापिस लेने के बाद भी गौरव यात्रा में सरकारी धन का प्रयोग जारी है. शर्मा कहते हैं, ‘मुख्यमंत्री की यात्रा में जनसंपर्क विभाग के एक दर्जन से ज्यादा अतिरिक्त अधिकारी तैनात किए गए हैं. इनके टीए-डीए पर तो खर्च हो ही रहा है, जहां ये तैनान हैं वहां का काम भी बंद हो गया है.’
वे आगे कहते हैं, ‘यात्रा को सफल बनाने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला लगा हुआ है. स्थानीय प्रशासन इस दौरान कोई काम नहीं कर पाता. सरकारी खजाने से हुए खर्च की वसूली भाजपा से की जानी चाहिए.’
वहीं, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी गौरव यात्रा को पूरी तरह से भाजपा का कार्यक्रम बता रहे हैं. वे कहते हैं, ‘गौरव यात्रा बीजेपी का मामला है. सरकार का इससे कोई संबंध नहीं है. इस यात्रा में सरकारी खजाने के एक रुपये का भी दुरुपयोग नहीं किया जा रहा.’
सैनी आगे कहते हैं, ‘गौरव यात्रा में मुख्यमंत्री शामिल हो रही हैं. सीएम के नाते उनका प्रोटोकॉल है. उनकी सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाएं सरकार की ओर से ही होंगी. हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाले कांग्रेसी हैं.’
शनिवार को जनहित याचिका पर बहस के दौरान भाजपा की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता अजीत कुमार शर्मा ने भी इन्हीं बातों को दोहराया. उन्होंने राजनीतिक उद्देश्य से दायर याचिका को खारिज करने की मांग की, लेकिन कोर्ट उनसे सहमत नहीं हुआ.
कानून के जानकारों के मुताबिक यदि कोर्ट भाजपा की ओर से पेश किए जाने वाले खर्च के ब्यौरे से संतुष्ट नहीं होता है और यह मान लेता है कि यात्रा में सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है तो भाजपा से इसकी वसूली हो सकती है.
वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट इस मुद्दे पर फिर से हमलावर हो गए हैं. वे कहते हैं, ‘यह राजनीतिक यात्रा है, लेकिन सरकार इसमें करदाताओं के धन का इस्तेमाल कर रही है. भाजपा कोई भी राजनीतिक यात्रा निकाल सकती है मगर उसका खर्च सरकारी खजाने से क्यों हो.’
पायलट आगे कहते हैं, ‘प्रदेश कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की यात्रा में सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला उठाया तो सरकार ने दिखावे के लिए आदेश वापिस ले लिया. इसके बाद भी सरकारी धन का दुरुपयोग जारी है.’
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मामले में भाजपा पर निशाना साधा है. वे कहते हैं, ‘गौरव यात्रा में सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है. प्रधानमंत्री की जयपुर में हुई सभा में भी यह ऐसा कर चुके हैं.’
वे आगे कहते हैं, ‘साढ़े चार साल तक तो मुख्यमंत्री को जनता के बीच जाने की फुर्सत मिली नहीं. अब हार के डर से वे सरकारी खर्च पर यात्रा निकाल रही हैं. यह वसुंधरा जी की विदाई यात्रा है. पूरे प्रदेश के लोग इस सरकार से त्रस्त हैं. इसका जाना तय है.’
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और जयपुर में रहते हैं.)