कौन बना रहा था महाराष्ट्र के पांच शहरों में धमाके की योजना

महाराष्ट्र के पांच शहरों मुंबई, पुणे, सोलापुर, सतारा और नालासोपारा में धमाके की योजना का पर्दाफाश हुआ है. इस मामले में सनातन संस्था, हिंदू जनजागृति समिति, हिंदू गोवंश रक्षा समिति, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्तान जैसे संगठनों के नाम आए हैं.

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महाराष्ट्र के पांच शहरों मुंबई, पुणे, सोलापुर, सतारा और नालासोपारा में धमाके की योजना का पर्दाफाश हुआ है. इस मामले में सनातन संस्था, हिंदू जनजागृति समिति, हिंदू गोवंश रक्षा समिति, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्तान जैसे संगठनों के नाम आए हैं.

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वैभव राउत. (फोटो साभार: ट्विटर)

महाराष्ट्र के पांच शहरों में कम तीव्रता वाले धमाके की योजना का पर्दाफाश हुआ है. मुंबई, पुणे, सोलापुर, सतारा और नालासोपारा में धमाके की योजना थी. महाराष्ट्र एटीएस ने इस मामले में 20 देसी बम और 21 देसी पिस्तौल बरामद किया है.

तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी जो अब चार हो गई है. पहले हिंदू गोवंश रक्षा समिति का सदस्य वैभव राउत, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्तान का सदस्य सुधन्वा गोंधेलकर और एक तीसरा शरद कलास्कर गिरफ्तार हुआ. ये तीनों 28 अगस्त तक एटीएस की कस्टडी में हैं.

शरद कलास्कर से पूछताछ के दौरान पता चला कि नरेंद्र दाभोलकर की हत्या में वह भी शामिल था और उसके साथ एक और शख्स भी था जिसका नाम सचिन अंदुरे है. एटीएस ने सचिन को गिरफ्तार कर सीबीआई के हवाले कर दिया है. एटीएस ने एक और शख्स को गिरफ्तार किया है जिसका नाम है श्रीकांत पांगरकर. इस तरह से चार एटीएस के पास हैं और एक सीबीआई के पास. हाल के दिनों में अभी तक पांच लोग गिरफ्तार हो चुके हैं.

आप जानते हैं कि नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच सीबीआई कर रही है. महाराष्ट्र एटीएस की जांच से पता चला है कि गिरफ्तार व्यक्तियों का संबंध नरेंद्र दाभोलकर और गौरी लंकेश की हत्या से भी रहा है.

सीबीआई ने रविवार को पुणे की विशेष अदालत में सचिन अंदुरे को पेश किया. सीबीआई का तर्क है कि औरंगाबाद का रहने वाला सचिन अंदुरे कथित रूप से दाभोलकर की हत्या में शामिल है. सचिन पर आरोप है कि वह डॉ वीरेंद्र तावड़े के साथ हत्या की साजिश रचने में शामिल था.

सीबीआई बहुत पहले ही वीरेंद्र तावड़े को गिरफ्तार कर चुकी है. 2016 में एक चार्जशीट भी दायर कर चुकी है. जिसमें डॉ तावड़े को सनातन संस्था का सदस्य बताया गया है. सचिन को महाराष्ट्र और कर्नाटक में कई जगहों पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी.

सीबीआई शरद कलास्कर को भी अपनी हिरासत में लेना चाहती है. शरद को महाराष्ट्र एटीएस ने 10 अगस्त के दिन गिरफ्तार किया था. सूत्रों की माने तो कलास्कर और अंदुरे दोनों ही औरंगाबाद के रहने वाले हैं. दोनों दाभोलकर की हत्या वाले दिन बस से पुणे आए थे.

पुणे में शिवाजी नगर बस से उतरे और फिर मॉल गए जहां उनके लिए एक बाइक तैयार थी. सचिन अंदुरे ने माना है कि वीरेंद्र तावड़े ने इन दोनों को गोली मारने के लिए बुलाया था. वीरेंद्र तावड़े को कथित रूप से हिंदू जनजागृति समिति का पश्चिमी कमांडर माना जाता है. यह भी बताया जाता है कि इस संस्था का संबंध सनातन संस्था से है.

यही नहीं कर्नाटक एसआईटी ने गौरी लंकेश की हत्या के सिलसिले में पुणे के जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया है उसकी भी दाभोलकर की हत्या में भूमिका सामने आ रही है. वह शख्स भी कथित रूप से तावड़े के साथ हत्या की साज़िश में शामिल था. दाभोलकर को मारने की साज़िश 2009 से चल रही थी जो 20 अगस्त 2013 के दिन अंजाम दी गई. आज पांच साल हो गए.

सीबीआई ने कहा कि अंदुरे को दाभोलकर की हत्या के लिए कर्नाटक और महाराष्ट्र में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी. इसलिए सीबीआई उसे अपनी कस्टडी में लेना चाहती है ताकि आगे की जांच से पता चले कि किसने इस ट्रेनिंग के लिए बुनियादी ढांचे उपलब्ध कराए हैं. दाभोलकर की हत्या में शामिल बाइक का बरामद होना बाकी है. सीबीआई के वकील ने कहा कि हमारे पास पर्याप्त कारण है विश्वास करने के कि सनातन संस्था से अंदुरे के संबंध रहे हैं.

सचिन अंदुरे के भाई और उनके वकील का कहना है कि सचिन बेकसूर है और उसे फंसाया जा रहा है. सीबीआई ने 2016 में चार्जशीट दायर की थी, उसमें बताया गया है कि सारंग अकोलकर और विनय पवार ने दाभोलकर पर गोली चलाई थी. अब यह तीसरा नाम अचानक कहां से आ गया है.

नरेंद्र दाभोलकर (फोटो: यूट्यूब स्क्रीनशॉट)
नरेंद्र दाभोलकर (फोटो: यूट्यूब स्क्रीनशॉट)

इस बीच शनिवार को महाराष्ट्र एटीएस ने शिवसेना के एक पूर्व पार्षद को गिरफ्तार किया है. 2001 से 2011 तक जालना में पार्षद रहे इस शख्स का नाम है श्रीकांत पंगारकर. इनका नाम गिरफ्तार तीन लोगों से चल रही पूछताछ के दौरान आया है. आरोपियों ने बताया है कि पंगारकर ने विस्फोटक जमा करने और जोड़ने में मदद की है.

शिवसेना कह रही है कि अब इससे कोई संबंध नहीं रहा है. महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री अर्जुन खोटकर ने माना है कि कई नेता इसके संपर्क में थे और पंगारकर ने उन नेताओं से सनातन संस्था से संबंध और विस्फोट के प्लान के बारे में कुछ बताया था. यह बयान महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री की तरफ से छपा है. आज के इंडियन एक्सप्रेस से.

शिवसेना का कहना है कि पंगारकर ने बहुत पहले ही पार्टी छोड़ दी थी और किसी भी पद पर नहीं है लेकिन मंत्री खोटकर मानते हैं कि उनसे भी यह आरोपी पिछले कुछ सालों में दो-तीन बार मिला है. पंगारकर ने सनानत संस्था से संबंध होने और धमाके के बारे में इशारा किया था.

अब अगर मंत्री को पता चला कि कोई इस तरह की बात कर रहा है तो फिर मंत्री को क्या करना चाहिए था, बताने की ज़रूरत नहीं है. मंत्री जी इंडियन एक्सप्रेस में छपे बयान में कह रहे हैं कि पंगारकर ने बातचीत के दौरान उनसे कहा था कि वह असम, गोआ और कुछ अन्य राज्यों में सनानत संस्था के लिए काम कर रहा है. कार्यशालाएं लेता है और भाषण देता है.

आरोपियों के वकील का कहना है कि ये सब बीफ माफिया के दबाव में हो रहा है क्योंकि आरोपी वैभव गोवंश रक्षक है. अब एटीएस उसके साथ काम करने वाले सभी को आतंकी के में आरोपी बनाने में लगी है. सनातन संस्था के प्रवक्ता चेतन राजहंस का बयान है. मैं यहां शब्दश: रख रहा हूं.

‘जब भी महाराष्ट्र में यदि किसी आधुनिकतावादी की हत्या हो जाती है या महाराष्ट्र राज्य में किसी हिंदूनिष्ठ को अरेस्ट किया जाता है तो महाराष्ट्र राज्य में शोर मचने लगता है कि सनानत संस्था इसके पीछे है. वास्तव में महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री ने इस विषय में बताया है कि इस विषय में केवल तीन लोगों को अरेस्ट किया गया है. किसी संगठन के कार्यकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया है लेकिन जानबूझ कर माहौल बनाया जा रहा है कि सनातन संस्था इसके पीछे है और इसे बैन करना चाहिए. महाराष्ट्र में हमने पाया है कि हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण जी ने बयान दिया है कि इसके पीछे सनातन संस्था है और उसे बैन करना चाहिए. ये पूरी जांच को प्रभावित करने का प्रयास है. इसके पूर्व जब दाभोलकर की हत्या हुई थी तब कांग्रेस के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण जी दक्षिणपंथी संगठन है, ऐसा बताकर पूरी जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया था. आज पांच साल हो गए और जांच दिशाहीन है. अशोक चव्हाण आदर्श घोटाले में दोषी पाए गए हैं, तो क्या कांग्रेस पर बैन लग जाना चाहिए. राष्ट्रवादी कांग्रेस के नवाब मलिक की पार्टी ने आतंकियों का केस लड़ने वाले माजिद मेनन को राज्य सभा का सांसद बनाया. ऐसी अवस्था में क्या राष्ट्रवादी कांग्रेस पर पाबंदी लाई जाए, ऐसी मांग की जाए तो क्या गलत है. यह राजनीतिक माहौल बनाया जा रहा है सनातनधर्मियों के ख़िलाफ़. सनातन संस्था के ख़िलाफ़. हम इसका निषेध करते हैं. सनातक संस्था धर्म का कार्य करती है. हम सत्यमेव जयते में यकीन रखते हैं.’

चेतन राजहंस अगर सत्यमेव जयते में यकीन रखते हैं तो उन्हें पता होगा कि अशोक चव्हाण को आदर्श घोटाले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है. दिसंबर 2017 का यह फैसला आपको इंटरनेट मिल जाएगा. ज़रूर इसके बाद सुप्रीम कोर्ट है फिर भी वे हाईकोर्ट से अभी बरी हैं. माजिद मेमन पर किस आतंकवादी की मदद के आरोप हैं, अपने बयान में चेतन राजहंस ने स्पष्ट नहीं किया है.

पिछले हफ्ते जब न्यूज़ चैनल वाजपेयी की अंतिम यात्रा के प्रसारण में व्यस्त थे तब नालासोपारा में भी एक यात्रा निकल रही थी. बड़ी संख्या में लोग वैभव राउत के समर्थन में वंदेमातरम और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे. दूसरों को बात-बात में कानून पर विश्वास की बात करने वाले लोग क्या सोचकर भारत माता और वंदेमातरम के नारे लगाते हैं वही बेहतर बता सकते हैं. यह जनआक्रोश रैली क्यों निकली थी?

महाराष्ट्र एटीएस ने दाभोलकर की हत्या में बड़ी कामयाबी हासिल की है. सीबीआई जिस हत्याकांड को वीरेंद्र तावड़े की गिरफ्तारी के बाद सुलझा नहीं पा रही थी, एटीएस की जांच ने इसमें शामिल दो और लोगों को सामने ला दिया है. एटीएस की पेशेवर साख भी दांव पर है. उसे राजनीतिक हस्तक्षेप को बेदखल करते हुए अपनी इस कार्रवाई को अदालत में भी साबित करना है.

इस बात का भी ध्यान रखना है कि अब भी पेशेवर जांच मुमकिन है. सनातन संस्था के चेतन राजहंस ने राज्य सरकार पर कोई आरोप नहीं लगाया. सारा समय कांग्रेस और एनसीपी के बैन किए जाने की मांग का प्रतिकार करते रहे.

सनातन संस्था, हिंदू जनजागृति समिति, हिंदू गोवंश रक्षा समिति, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्तान नाम के संगठनों के नाम आए हैं. इनमें से एक श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्तान के मुखिया की तस्वीर प्रधानमंत्री मोदी के साथ भी है.

ज़ाहिर है महाराष्ट्र एटीएस अपनी पेशेवर साख को लेकर कड़े इम्तहान से गुज़र रही है. उसके काबिल अफसरों पर सब निर्भर करता है कि वह झुके नहीं और तथ्यों को इस तरह रखे कि अदालत में साबित भी हो. बाकी राज्यों के पुलिस को महाराष्ट्र एटीएस से सीख लेनी चाहिए. कम से कम उन्होंने खुद को दांव पर तो लगाया. बाकी तो सर झुकाने में ही लगे हैं.

(यह लेख मूलतः रवीश कुमार के ब्लॉग कस्बा पर प्रकाशित हुआ है.)

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