इंटरनेशनल एयरपोर्ट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के प्रमुख एलेक्ज़ेंडर जुनियाक ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकटों पर जीएसटी की वसूली विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को कमज़ोर करता है.
नई दिल्ली: विदेश यात्रा के हवाई टिकटों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वसूलना ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है बल्कि विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी कमजोर बनाता है.
विमानन कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल एयरपोर्ट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के प्रमुख एलेक्जेंडर डी. जुनियाक ने मंगलवार को यह बात कही.
उन्होंने कहा कि भारतीय विमानन क्षेत्र के सामने हवाई अड्डों का निजीकरण, बुनियादी ढांचा संबंधी चुनौतियां और महंगे विमान ईंधन जैसी तमाम चिंताएं हैं.
आईएटीए से दुनियाभर की 280 से भी ज्यादा विमानन कंपनियां संबद्ध हैं. भारतीय विमानन कंपनी एयर इंडिया, जेट एयरवेज और विस्तारा भी इसकी सदस्य हैं.
दिल्ली में एक प्रेसवार्ता में जुनियाक ने कहा अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकटों पर जीएसटी की वसूली अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) के नियमों का उल्लंघन है. साथ ही यह विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को कमजोर करता है.
बता दें कि आईसीएओ संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है. यह एक वैश्विक विमानन इकाई है. देश में हवाई टिकटों पर जीएसटी की दर इकोनॉमी श्रेणी के लिए पांच प्रतिशत और बिजनेस श्रेणी के लिए 12 प्रतिशत है.
आईएटीए के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जुनियाक ने कहा कि भारत का विमानन क्षेत्र 2037 तक तेजी से बढ़ता दिख रहा है. तब तक यहां के लिए, यहां से या घरेलू स्तर पर ही 50 करोड़ हवाई यात्रा होने लगेगी.