प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि नागरिकों की याददाश्त अल्पकालिक होने की वजह से चुनावी घोषणा पत्र कागज के टुकड़े बनकर रह जाते हैं.
देश के प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने शनिवार को कहा कि चुनावी वायदे आमतौर पर पूरे नहीं किए जाते हैं. घोषणा पत्र सिर्फ कागज़ का एक टुकड़ा बनकर रह जाता है, इसके लिए राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.
प्रधान न्यायाधीश ने राजधानी दिल्ली में चुनावी मुद्दों के संदर्भ में आर्थिक सुधार विषय पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में हुई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि चुनावी वायदे पूरे नहीं करने को न्यायाचित ठहराते हुए राजनीतिक दलों के सदस्य आमसहमति का अभाव जैसे बहाने बनाते हैं.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि नागरिकों की याददाश्त अल्पकालिक होने की वजह से ये चुनावी घोषणा पत्र कागज के टुकड़े बनकर रह जाते हैं.
वर्ष 2014 में हुए आम चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों के बारे में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इनमें से किसी में भी चुनाव सुधारों और समाज के सीमांत वर्ग के लिए आर्थिक-सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के सांविधानिक लक्ष्य के बीच किसी प्रकार के संपर्क का संकेत ही नहीं था.
उन्होंने कहा कि इस तरह से रेवड़ियां देने की घोषणाओं के ख़िलाफ़ दिशानिर्देश बनाने के लिए निर्वाचन आयोग को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद से आयोग आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए राजनीतिक दलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रहा है.
प्रधान न्यायाधीश के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने भी चुनाव सुधारों पर ज़ोर देते हुए कहा कि खरीदने की ताकत का चुनावों में कोई स्थान नहीं है और प्रत्याशियों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि चुनाव लड़ना किसी प्रकार का निवेश नहीं है.
उन्होंने कहा कि चुनाव अपराधीकरण से मुक्त होने चाहिए और जनता को चाहिए कि प्रत्याशियों की प्रतिस्पर्धात्मक खामियों की बजाय उनके उच्च नैतिक मूल्यों के आधार पर ही उन्हें मत दे.