इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा कि कुछ मायने में अमित शाह की तुलना जिन्ना से की जा सकती है. शाह कहते हैं, ‘जो भी हो मैं चुनाव जीतूंगा’ और जिन्ना कहते थे कि ‘जो भी हो मैं पाकिस्तान लेकर रहूंगा चाहे इसके लिए लाशें बिछ जाएं.’
नई दिल्ली: मुहम्मद अली जिन्ना को ‘स्पष्टवादी’ बताते हुए इतिहासवेत्ता और लेखक रामचंद्र गुहा ने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक एकपक्षीय एजेंडा पर चलने वाले तेज़तर्रार नेता थे.
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी नई किताब ‘गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड, 1914-1948’ में उनके द्वारा किया गया जिन्ना का ज़िक्र ‘सहानुभूतिपूर्ण’ नहीं है.
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में गुहा ने कहा, ‘1930 के दशक की शुरुआत से ही जिन्ना का एकमात्र एजेंडा था— पाकिस्तान बने, जिसका नेता मैं बनूं.’
यानी इस तरह से देखा जाये तो 1930 के बाद से एक नया देश बनाने और उसका नेता बनने की उनकी ‘महत्वाकांक्षा’ के चलते वे अपेक्षाकृत एक स्पष्टवादी नेता के रूप में सामने आते हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं यह कहूंगा कि वे एक स्पष्टवादी व्यक्ति थे, और आंबेडकर और अन्य बाकी नेताओं के उलट, जहां मैं मानव स्वभाव के आंतरिक संघर्षों की झलक देख सका था, मेरी किताब में जिन्ना का ज़िक्र हमदर्दी भरा नहीं है.’
इसके बाद उनका कहना था कि पाकिस्तान के कायदे आजम की तुलना भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से की जा सकती है.
उन्होंने कहा, ‘कुछ मायने में आप उनकी (जिन्ना) तुलना अमित शाह से कर सकते हैं क्योंकि वह कहते हैं, ‘जो भी हो मैं चुनाव जीतूंगा’ और जिन्ना कहते थे ‘जो भी हो मैं पाकिस्तान लेकर रहूंगा चाहे इसके लिए लाशें बिछ जाएं.’
1,100 से अधिक पन्ने की किताब में गांधी के दक्षिण अफ्रीका छोड़ने से लेकर 1948 में उनकी हत्या तक का वर्णन है.