चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा, लोगों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि ऐसी घटनाओं पर उन्हें कानून के कोप का सामना करना पड़ेगा.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि वे गोरक्षा के नाम पर हिंसा और भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं पर अंकुश के लिए उसके निर्देशों पर अमल किया जाए और लोगों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि ऐसी घटनाओं पर उन्हें कानून के कोप का सामना करना पड़ेगा.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि उसके 17 जुलाई के फैसले में दिए गए निर्देशों पर अमल के बारे में दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और मेघालय सहित आठ राज्यों को अभी अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी है.
इस फैसले में न्यायालय ने स्वंयभू गोरक्षकों की हिंसा और भीड़ द्वारा लोगों को पीट कर मार डालने की घटनाओं से सख्ती से निबटने के बारे में निर्देश दिए गए थे.
पीठ ने इन आठ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तीन दिन के भीतर अपने जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर देते हुए इस मामले में कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला की जनहित याचिका दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी.
पीठ ने इन निर्देशों में से एक पर अमल के बारे में केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है. इस निर्देश में केंद्र और सभी राज्यों को टेलीविजन, रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया के माध्यम से गोरक्षा के नाम पर हत्या और भीड़ द्वारा लोगों की हत्या के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने के लिए कहा गया है.
केंद्र ने न्यायालय को सूचित किया था कि शीर्ष अदालत के फैसले के आलोक में भीड़ की हिंसा के बारे में कानून की रूपरेखा पर विचार के लिए मंत्रियों का समूह गठित किया गया है.
पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा था कि शीर्ष अदालत के फैसले के तीन दिन बाद 20 जुलाई को राजस्थान के रामगढ़ जिले के लालवंडी गांव में स्वयंभू गोरक्षकों के एक समूह ने 28 वर्षीय डेयरी किसान अकबर खान उर्फ रकबर पर हमला कर दिया.
हरियाणा निवासी अकबर खान अपने मित्र असलम के साथ जंगल के रास्ते कोलगांव दो गाय लेकर जा रहा था तभी भीड़ ने इन पशुओं को वध के लिए ले जाने का आरोप लगाते हुए हमला कर दिया. असलम किसी तरह भीड़ के हमले से बचकर निकल गया जबकि अकबर को भीड़ ने मार डाला था.
पूनावाला ने इस मामले में न्यायालय के आदेश के कथित उल्लंघन के मुद्दे पर राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख के साथ ही अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया है.