स्थानीय लोगों का आरोप है कि सरकार को बस यह दिखाने में दिलचस्पी है कि चुनाव हुआ है, उसे उपयुक्त तरीके से चुनाव कराने में कोई रुचि नहीं है.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में शहरी निकाय चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान सोमवार को हो रहा है, लेकिन यहां के लोगों को इस बारे में बहुत कम जानकारी है और उनमें से अधिकतर ने अपने उम्मीदवारों को नहीं जानने तथा मतदान की तारीख पता नहीं होने की शिकायत की.
श्रीनगर निवासी सुहैब अहमद ने बताया कि उनके वार्ड के लोग नहीं जानते हैं कि इस बार उनके उम्मीदवार कौन-कौन हैं. जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी में पहले चरण में मतदान होगा.
निजी कंपनी में नौकरी करने वाले अहमद ने कहा, ‘यहां किसी से भी पूछिए कि क्या उन्हें पता है कि कौन-कौन उम्मीदवार हैं. हर व्यक्ति आपको बताएगा कि उसे कुछ नहीं मालूम. काफी गोपनीयता है.’ अहमद ने आरोप लगाया कि सरकार को बस यह दिखाने में दिलचस्पी है कि चुनाव हुआ है, उसे उपयुक्त तरीके से चुनाव कराने में कोई रुचि नहीं है.
#JammuAndKashmir: Voter turnout recorded till 11 am in the first phase of local body elections in 11 districts – Anantnag-5%, Budgam-3% Bandipora-2%, Baramulla-3%, Jammu-34%, Kargil-33%, Kupwara-18%, Leh-26%, Poonch-47%, Rajouri-55% & Srinagar-3.50%
— ANI (@ANI) October 8, 2018
सोमवार सुबह 11 बजे तक मतदान के पहले चरण में अनंतनाग में पांच प्रतिशत, बडगाम में तीन प्रतिशत, बांदीपोरा में दो प्रतिशत, बारामुला में तीन प्रतिशत, जम्मू में 34 प्रतिशत, कारगिल में 33 प्रतिशत, कुपवाड़ा में 18 प्रतिशत, पुंछ में 47 प्रतिशत, राजौरी में 55 प्रतिशत और श्रीनगर में साढे़ तीन प्रतिशत लोगों ने वोट डाले.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कश्मीर की वर्तमान स्थिति उम्मीदवारों को खुलेआम प्रचार करने की इजाजत नहीं देती है, क्योंकि उनकी जान को खतरा है. अलगाववादियों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया है, आतंकवादियों ने इन चुनावों में हिस्सा लेने वालों को निशाना बनाने की धमकी दी है.
उन्होंने कहा, ‘उम्मीदवारों को सुरक्षा दी गई है और उनमें से ज्यादातर लोगों ने सुरक्षित ठिकानों पर शरण ले रखी है. स्थिति ऐसी है कि वे प्रचार नहीं कर सकते. केवल आतंकवादियों से ही नहीं, बल्कि भीड़ से भी खतरा है.’
केवल श्रीनगर ही नहीं, घाटी के अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भी अपने वार्डों में चुनाव के बारे में अनजान होने की बात कही.
गांदेरबल के इशफाक अहमद ने कहा, ‘हमें पता नहीं है कि हमारे वार्ड से चुनाव कौन लड़ रहा है. अब तक कोई चुनाव प्रचार नहीं कर रहा है या घर-घर नहीं जा रहा है. सरकार ने भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उम्मीदवारों का ब्योरा नहीं डाला है. कहीं कोई विवरण नहीं है. केवल उम्मीदवार को ही पता है कि वह चुनाव लड़ रहा है. शायद, उसके परिवार को भी पता नहीं है, इतनी गोपनीयता है.’
उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे, बस उम्मीदवार के रिश्तेदार और मित्र वोट डालेंगे. खालिद नाम के व्यक्ति ने कहा कि वह पहले मतदान को लेकर बहुत रोमांचित था लेकिन अब उसका मानना है कि स्थिति सुधरने तक चुनाव स्थगित कर दिया जाए.
गांदेरबल में 16 अक्टूबर को आखिरी चरण में मतदान है. उम्मीदवारों के बारे में गोपनीयता के अलावा, शहर के कुछ क्षेत्रों में लोगों को यह भी नहीं पता है कि वोट कब डालना है.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में माहौल चुनाव के लायक नहीं है लेकिन पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय किया क्योंकि केंद्र ने लोगों पर चुनाव थोप दिया. इस पूरी प्रक्रिया में गोपनीयता संदेह को जन्म देती है.