चुनाव अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर नगर निगम के 20 वार्डों में 1.53 लाख मतदाताओं में सिर्फ 1.84 प्रतिशत ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर पर केंद्र के तौर-तरीके की आलोचना की.
श्रीनगर/जम्मू: आतंकवाद प्रभावित कश्मीर घाटी में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के तीसरे चरण में शनिवार को महज 3.49 प्रतशित मतदान हुआ. वहीं, जम्मू के सांबा ज़िले में 80 प्रतिशत तक मतदान भी दर्ज किया गया.
अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
बारामुला ज़िले के सीमांत कस्बे उरी में 75.34 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. नेकां, पीडीपी और माकपा जैसी मुख्यधारा की पार्टियों ने चार चरणों में हो रहे इन चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है.
चुनाव अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर नगर निगम के 20 वार्डों में 1.53 लाख मतदाताओं में सिर्फ 1.84 प्रतिशत ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
शहर के सफाकदल वार्ड और सिविल लाइंस के चानापुरा, प्रत्येक स्थान पर 10 से भी कम वोड पड़े. मतदान सुबह छह बजे शुरू हुआ और शाम चार बजे संपन्न हुआ. श्रीनगर नगर निगम के 11 वार्डों में 100 से भी कम वोड डाले गए.
अधिकारियों ने बताया कि उरी में 3,552 मतदाताओं में 75.34 प्रतिशत ने वोट डाला. वहीं, अनंतनाग ज़िले के मत्तान नगर समिति में महज़ 2.81 प्रतिशत मतदान हुआ.
अधिकारियों ने बताया कि अनंतनाग नगर परिषद के शीरपुरा वार्ड में 1. 39 प्रतिशत मतदान हुआ.
तीसरे चरण के चुनाव में घाटी में 151 वार्डों में मतदान होना था जबकि मतदान सिर्फ 40 वार्डों में हुआ. 49 वार्डों में उम्मीदवारों को निर्विरोध विजेता घोषित किया गया और 62 वार्डों में एक भी नामांकन दाखिल नहीं किया गया.
कश्मीर घाटी में प्रथम चरण के चुनाव में 8.3 प्रतशित जबकि दूसरे चरण में सिर्फ 3.4 प्रतिशत मतदान हुआ था.
सांबा की ज़िला निर्वाचन अधिकारी सुषमा चौहान ने बताया कि मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. ज़िले में 57 मतदान केंद्रों पर करीब 82 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले.
उन्होंने बताया कि बाड़ी ब्राह्मण नगर समिति में रिकार्ड 87 प्रतिशत मतदान हुआ. राज्य में चौथे चरण का चुनाव 16 अक्टूबर को होगा. मतगणना 20 अक्टूबर को होगी.
उमर ने कश्मीर पर केंद्र के तौर-तरीके की आलोचना की
नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर पर केंद्र के तौर-तरीकों की शनिवार को आलोचना करते हुए शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में अब तक के सबसे कम मतदान प्रतिशत की वजह बताने की मांग की.
उमर ने ट्वीट किया कि 1987 के बाद से 2014 में सर्वाधिक मतदान हुआ, जबकि 2018 में सबसे कम मतदान हुआ. ऐसे में मोदी सरकार के कश्मीर पर तौर तरीके को लेकर क्यों कोई सवाल नहीं उठा रहा है.
राज्य में हो रहे स्थानीय निकाय चुनाव के तहत शुरुआती तीन चरणों में घाटी में मतदान प्रतिशत दहाई के आंकड़े को भी नहीं छू सका है.