सीबीआई में चल रहे विवाद के बाद दो वरिष्ठतम अधिकारियों- आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजने के बाद से विपक्षी दलों के हमलों के बाद इस कार्रवाई के संबंध में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्र की मोदी सरकार का पक्ष रखा.
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को हटाने का निर्णय केंद्र सरकार ने केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) की सिफारिशों के आधार पर लिया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एजेंसी की संस्थागत ईमानदारी और विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक था.
जेटली ने कहा कि आरोपों की जांच विशेष जांच दल करेगा और अंतरिम उपाय के तौर पर जांच के दौरान दोनों को अवकाश पर रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि दोनों अधिकारियों को अंतरिम तौर पर अवकाश पर भेज दिया गया है.
मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि जांच दल गठित करने की जिम्मेदारी जांच एजेंसी या उस पर निगरानी रखने वाली सीवीसी पर है.
जेटली ने कहा कि सीवीसी को दोनों अधिकारियों द्वारा एक दूसरे पर लगाए आरोपों की जानकारी मिली थी जिसके बाद उसने मंगलवार शाम ये सिफारिश की थी क्योंकि आरोपियों या संभावित आरोपियों को उनके ही खिलाफ की जा रही जांच का प्रभारी नहीं होने दिया जा सकता.
उन्होंने कहा कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है.
कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान मीडिया के सवालों के जवाब में जेटली ने कहा कि देश की अग्रणी जांच एजेंसी के दो शीर्ष अधिकारियों के आरोप-प्रत्यारोप के कारण बहुत ही विचित्र तथा दुर्भाग्यपूर्ण हालात बने हैं.
उन्होंने कहा कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ आरोपों के गुण-दोष के बारे में वह कुछ नहीं कहेंगे.
जेटली ने जोर देकर कहा, ‘सीबीआई की संस्थागत ईमानदारी को कायम रखने और निष्पक्षता बनाए रखने की खातिर वह इससे बाहर रहेंगे और अंतरिम उपाय के तौर पर अवकाश पर रहेंगे ताकि एसआईटी को जांच के दायरे में आए अधिकारियों के तहत काम नहीं करना पड़े.’
उन्होंने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के उन आरोपों को भी खारिज किया जिसमें कहा गया कि वर्मा को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह राफेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच करना चाहते थे.
जेटली ने कहा, ‘मैं इसे बकवास मानता हूं. विपक्षी दलों का यह कहना कि हमें पता है कि एजेंसी अब आगे क्या करने जा रही है, यह तथ्य अपने आप में प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है. जो वे कह रहे हैं, उसे मैं सच नहीं मानता, लेकिन उन्हें अगर यह पता है कि व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है तो इससे उस व्यक्ति की ईमानदारी पर अपने आप ही सवाल खड़े होते हैं, जिसका कि वे समर्थन करने की कोशिश कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि दो अधिकारियों को अवकाश पर भेजने और निदेशक का प्रभार संयुक्त निदेशक को देने का आदेश सरकार ने सीवीसी की अनुशंसा को प्रभावी करने के लिए दिया.
उन्होंने कहा, ‘शीर्ष दो अधिकारियों के खिलाफ आरोप हैं. उनकी जांच कौन करेगा? निष्पक्षता और भेदभाव रहित जांच की जरूरत है. यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. सरकार इसकी जांच नहीं कर सकती है और न ही करेगी.’
जेटली ने कहा कि यह सरकार, नागरिक बल्कि विपक्ष समेत सभी के लिए जरूरी है कि देश की प्रमुख जांच एजेंसियों की ईमानदारी कायम रहे.
यह कदम केवल यह सुनिश्चित करने के लिए नहीं है कि देश के भीतर के मामलों में सीबीआई की जांच निष्पक्ष रहे, बल्कि सरकार यह बर्दाश्त नहीं कर सकती कि देश में आरोपों का सामना कर रहे और विदेशों में रह रहे भगोड़े और धोखाधड़ी करने वाले एजेंसी के कामकाज पर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा कि सीबीआई हमारी प्रमुख जांच एजेंसी है और इसकी संस्थागत ईमानदारी बनाए रखना बेहद जरूरी है.
उन्होंने विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए पूछा कि क्या वह चाहते हैं कि आरोपों का सामना कर रहे दोनों अधिकारी अपने खिलाफ जांच की निगरानी करें. दुनिया में क्या इससे भी ज्यादा बेजा कुछ हो सकता है.
क्या अस्थाना को प्रधानमंत्री कार्यालय का चहेता होने के कारण बचाया जा रहा है? इस सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि जो मायने रखता है, वह है सबूत की गुणवत्ता, यह नहीं कि कौन चहेता है और कौन नहीं.