शहर के कई अस्पतालों से जुड़ी रोगी कल्याण समितियों के प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों पर लाभ के पद पर होने का आरोप लगा था.
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) को राहत देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कथित तौर पर लाभ के पद को लेकर दिल्ली के उसके 27 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य क़रार देने की मांग करने वाली याचिका ख़ारिज कर दी है.
शहर के कई अस्पतालों से जुड़ी रोगी कल्याण समितियों के प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद विधायकों पर लाभ के पद पर होने का आरोप लगा था.
राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग द्वारा 10 जुलाई को दी गई एक राय के आधार पर 15 अक्टूबर को आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए याचिका ख़ारिज कर दी.
चुनाव आयोग ने 21 जून, 2016 को विभोर आनंद द्वारा दायर की गई याचिका में कुछ नहीं पाया. याचिका में दावा किया गया था कि आप के 27 विधायक इन अस्पतालों के रोज़ाना के प्रशासन में हस्तक्षेप की स्थिति में हैं और इस तरह ये लाभ के पद हैं.
याचिका में यह भी दावा किया गया था कि मई, 2015 में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने सभी सरकारी अस्पतालों को समिति के प्रमुख को कार्यालय स्थल मुहैया कराने के निर्देश दिए थे, यह भी लाभ के पद क़ानून के प्रावधान के तहत आता है.
चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को दी गई अपनी राय में कहा था, ‘यह पाया गया कि दिल्ली विधानसभा सदस्य अधिनियम, 1997 की अनुसूची के 14वें विषय (अयोग्यता हटाना) के तहत, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार के अस्पतालों में रोगी कल्याण समितियों के प्रमुखों के पद छूट वाली श्रेणी में आते हैं और इसलिए आयोग का मानना है कि प्रतिवादी लाभ का पद रखने के लिए अयोग्य क़रार नहीं दिए जाते.’
इस तरह की याचिकाएं राष्ट्रपति के पास भेजी जाती हैं जो उन्हें चुनाव आयोग के पास भेज देते हैं. इसके बाद आयोग अपनी राय देता है जिसके आधार पर राष्ट्रपति आदेश जारी करते हैं.
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 26 अप्रैल को जारी किए गए एक आदेश के मुताबिक रोगी कल्याण समितियां परामर्श देने का काम करती हैं जिससे स्वास्थ्य सुविधाओं, रणनीतियां बनाने आदि में मदद मिलेगी.
इसमें कहा गया है कि हर ‘एसेंबली रोगी कल्याण समिति’ को अनुदान के तौर पर सालाना तीन लाख रुपये मुहैया कराए जाएंगे.
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाले आदेश में कहा गया, ‘इसलिए चुनाव आयोग द्वारा दी गई राय के हिसाब से विषय पर ध्यान देने के बाद मैं, रामनाथ कोविंद, भारत का राष्ट्रपति, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम की धारा 15 (4) के तहत मुझे दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश देता हूं कि अलका लांबा और दिल्ली विधानसभा के 26 दूसरे सदस्यों के कथित अयोग्यता के सवाल को लेकर विभोर आनंद द्वारा 21 जुलाई, 2016 को दायर की गयी याचिका बरक़रार रखे जाने योग्य नहीं है.’
जिन 27 विधायकों के ख़िलाफ़ याचिका दायर की गई थी, उनमें – अलका लांबा (चांदनी चौक), शिवचरण गोयल (मोती नगर), जगदीप सिंह (हरि नगर), बंदना कुमारी (शालीमार बाग), अजेश यादव (बादली), एसके बग्गा (कृष्णा नगर), जितेंद्र सिंह तोमर (त्रिनगर), राजेश ऋषि (जनक पुरी), राजेश गुप्ता (वज़ीरपुर), रामनिवास गोयल (शाहदरा), विशेष रवि (करोल बाग), जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन), नरेश यादव (महरौली) शामिल हैं.
इनके अलावा दूसरे विधायकों में नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), वेद प्रकाश (बवाना), सोमनाथ भारती (मालवीय नगर), पंकज पुष्कर (तिमारपुर), राजेंद्रपाल गौतम (सीमापुरी), कैलाश गहलोत (नज़फ़गढ़), हजाईलाल चौहान (पटेल नगर), शरद कुमार चौहान (नरेला), मदनलाल (कस्तूरबा नगर), राखी बिडलान (मंगोलपुरी), मोहम्मद इशराक (सीलमपुर), अनिल कुमार बाजपेई (गांधी नगर), सुरेंदर कुमार (दिल्ली छावनी) और मोहिंदर गोयल (रिठाला) शामिल हैं.
चुनाव आयोग ने बताया कि वेद प्रकाश ने अप्रैल, 2017 में इस्तीफ़ा दे दिया था.
चुनाव आयोग आप के 20 और विधायकों से जुड़े लाभ के पद के एक दूसरे मामले को लेकर भी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है. इन विधायकों पर संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने के साथ लाभ का पद रखने का आरोप है.