तिरुवनंतपुरम समेत अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी और मेंगलुरु हवाई अड्डों को सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत पट्टे पर दिए जाने के फैसले पर केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र चरणबद्ध तरीके से नागर विमानन क्षेत्र के निजीकरण की कोशिश में लगी है.
नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ और तीन अन्य हवाई अड्डों का प्रबंधन सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत करने के प्रस्ताव को बीते छह नवंबर को मंज़ूरी दे दी.
इनमें गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और मेंगलुरु के हवाई अड्डे भी शामिल हैं. हालांकि केंद्र सरकार से केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है.
एक आधिकारिक ट्वीट में कहा गया है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के स्वामित्व वाले इन हवाई अड्डों का प्रबंधन पीपीपी के तहत किया जाएगा.
सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (पीपीएसी) प्रबंधन का काम करेगी.
ट्वीट में कहा गया है कि पीपीपीएसी के अधिकार क्षेत्र के बाहर किसी मुद्दे का निपटान सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह द्वारा किया जाएगा.
नीति आयोग के सीईओ इस समूह की अगुवाई करेंगे. इसके अलावा नागर विमानन मंत्रालय, आर्थिक मामलों के विभाग, व्यय विभाग के सचिव इस समूह में शामिल होंगे.
फैसले पर सरकार करे पुनर्विचार: पिनाराई विजयन
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केंद्र से तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे सहित देश के छह हवाई अड्डों को सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत पट्टे पर दिए जाने के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है.
विजयन ने फेसबुक पोस्ट के ज़रिये कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र में रखकर हवाई अड्डों का विकास किया जा सकता है और निवेश आमंत्रित किए जा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब राज्य सरकार तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के विकास के लिए 18 एकड़ भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने वाली थी. उन्होंने कहा कि यह क़दम ‘पूरी तरह निराशाजनक’ है.
विजयन ने आरोप लगाया कि केंद्र चरणबद्ध तरीके से नागर विमानन क्षेत्र का पूरी तरह निजीकरण की कोशिश में लगी है. उन्होंने इसे राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध बताया और सरकार से इस क़दम को वापस लेने की मांग की.