पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ़ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और ख़ुद को पर्यावरण संरक्षण के चैंपियन के तौर पर पेश करते हैं, लेकिन जब निर्णय लेने का वक़्त आता है तो कुछ नहीं करते.
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ख़ुद को सिर्फ़ ‘पर्यावरण संरक्षण के चैंपियन’ के तौर पर पेश करते हैं, लेकिन उनकी सरकार पर्यावरण से जुड़े कानूनों एवं मंत्रालय को कमज़ोर करने में लगी है.
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की तुलना इंदिरा गांधी से नहीं की जा सकती क्योंकि इंदिरा नोटबंदी जैसा ‘तुग़लक़ी निर्णय’ कभी नहीं लेतीं.
रमेश ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा के पर्यावरण एवं प्रकृति से जुड़े नज़रिये पर अपनी पुस्तक ‘इंदिरा गांधी: प्रकृति में एक जीवन’ के विमोचन की पृष्ठभूमि में ये टिप्पणी. उनकी यह पुस्तक ‘इंदिरा गांधी: अ लाइफ इन नेचर’ का हिंदी संस्करण है जिसका विमोचन कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने किया.
362 पृष्ठों की इस पुस्तक का प्रकाशन ‘ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस’ ने किया है. इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर ‘इंदिरा गांधी स्मृति न्यास’ में इस पुस्तक का विमोचन समारोह आयोजित हुआ.
इस मौके पर रमेश ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ़ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और ख़ुद को पर्यावरण संरक्षण के चैंपियन के तौर पर पेश करते हैं, लेकिन जब निर्णय लेने का वक़्त आता है तो कुछ नहीं करते.’
उन्होंने कहा, ‘गंगा तब तक निर्मल नहीं होगी जब तक अविरल गंगा नहीं होगी. अविरलता के बिना आप गंगा को साफ नहीं करते. अगर आप बांध बनाते जाएंगे और अब तो गडकरी जी जहाज भी चलाने में लगे हैं, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि गंगा साफ होगी.’
उन्होंने दावा किया, ‘इस सरकार ने पहले दिन से यह तय कर लिया था कि पर्यावरण से जुड़े नियमों-क़ानूनों को बदलना है. पर्यावरण मंत्रालय को कमज़ोर किया गया है, इंदिरा जी के समय बने वन संरक्षण क़ानून को कमज़ोर किया जा रहा है. वन का निजीकरण हो रहा है. तटवर्ती इलाकों के लिए तटीय नियमन क्षेत्र का क़ानून बना, लेकिन इसे भी कमज़ोर किया जा रहा है.’
पूर्व पर्यावरण एवं वन मंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि मैं पर्यावरण प्रेमी हूं. वह वाशिंगटन जाते हैं, पेरिस जाते हैं. लेकिन निर्णय कुछ नहीं करते. इसके उलट पर्यावरण से जुड़े क़ानूनों को कमज़ोर किया जा रहा है. संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘इस सरकार में पर्यावरण मंत्री कहते हैं कि मैंने 3000 परियोजनाओं को मंज़ूरी दे दी है. पर्यावरण मंत्री का काम परियोजनाओं को मंज़ूरी देना नहीं होता है, बल्कि उसका काम पर्यावरण को सुरक्षित रखना है. ‘इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ का पर्यावरण मंत्रालय से कोई वास्ता नहीं है.’
इंदिरा गांधी और मोदी के बीच तुलना के संदर्भ में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, ‘कोई तुलना नहीं है. यह बात सही है कि 30 साल बाद किसी को स्पष्ट बहुमत मिला. लेकिन उस स्पष्ट बहुमत का क्या किया गया? सीबीआई, आरबीआई और दूसरी संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है. विश्वविद्यालयों में हस्तक्षेप किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘यह बात सही है कि मोदी जी का भाजपा पर नियंत्रण है, वह सर्वज्ञानी हैं, लेकिन उनकी तुलना इंदिरा जी से नहीं की जा सकती क्योंकि इंदिरा जी अलग तरह की इंसान थीं. वह कभी नोटबंदी नहीं करती क्योंकि यह तुग़लक़ी निर्णय था.’
अपनी पुस्तक के बारे में रमेश ने कहा, ‘यह किताब इंदिरा जी के राजनीतिक जीवन पर नहीं है. वह 15 साल तक प्रधानमंत्री रहीं और मजबूत प्रधानमंत्री थीं. उन्होंने कई साहसिक निर्णय लिये. लेकिन इस पुस्तक में पर्यावरण को लेकर उनके नज़रिये और काम का उल्लेख है. पर्यावरण और प्रकृति के मामले में वह बहुत दूरदर्शी थीं. मैं समझता हूं कि वह देश की पहली और आख़िरी प्रधानमंत्री थीं जिन्होंने शासन के दौरान पर्यावरण को इतना महत्व और प्राथमिकता दी.’
उन्होंने कहा, ‘आज जो क़ानून है, मंत्रालय है वो उन्हीं के समय और उनकी प्रेरणा से बना. वह कहती थीं कि भारत विकासशील देश है और इसे विकास करना है, लेकिन यह विकास पर्यावरण के संतुलन के साथ होना चाहिए. वह अपने को राजनीतिक नज़रिये से नहीं देखती थीं, वह हमेशा कहा करती थीं कि मैं प्रकृति की बेटी हूं.’
रमेश ने कहा, ‘इंदिरा जी का मानना था कि विकास और पर्यावरण दोनों एक रथ के दो पहिये हैं. 1972 में जब स्टॉकहोम में विश्व का पहला पर्यावरण सम्मेलन हुआ था तो इंदिरा जी दुनिया की एकमात्र प्रधानमंत्री थी जो उसमें शामिल हुई थीं और वहां एक प्रभावशाली भाषण दिया था जिसे आज भी लोग याद करते हैं.’
उन्होंने कहा कि उनकी यह किताब आने वाले समय में और भारतीय भाषाओं में आएगी.