‘मैंने वोट किया था, सेना पर कभी पत्थर नहीं फेंका… मेरा क़सूर क्या था’

सोशल मीडिया पर वायरल हुए कश्मीर के वीडियो में दिख रहे फ़ारूक़ अहमद डार ने बताया कि उन्हें बंदूक के बट से पीटा गया और सेना द्वारा 5 घंटे तक जीप पर बांधकर घुमाया गया.

सोशल मीडिया पर वायरल हुए कश्मीर के वीडियो में दिख रहे फ़ारूक़ अहमद डार ने बताया कि उन्हें डंडे और बंदूक के बट से पीटा गया और सेना द्वारा 5 घंटे तक जीप पर बांधकर कई गांवों में घुमाया गया.

Farook Ahmad Dar

श्रीनगर: 14 अप्रैल को सोशल मीडिया पर कश्मीर के एक व्यक्ति को सेना की जीप पर ‘ढाल’ की तरह बांधकर घुमाने का एक वीडियो सामने आया था. ये बड़गाम ज़िले की घटना थी और वह व्यक्ति फ़ारूक़ अहमद डार थे, जिन्होंने बताया कि उनके परिजनों और गांव वालों द्वारा शाम को उन्हें सेना की हिरासत से छुड़वाने से पहले उन्हें 5 घंटों तक जीप पर बांधकर गांव-गांव घुमाया गया था.

यह घटना 9 अप्रैल को श्रीनगर-बड़गाम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान हुई थी. उस दिन सुरक्षा बलों द्वारा मतदान केंद्रों पर हमले की कोशिश में आई भीड़ को रोकने के दौरान की गई फायरिंग में 8 नागरिकों की जान चली गई थी. इस बार इस संसदीय क्षेत्र में महज़ 7 फीसदी मतदान हुआ, जो अब तक के चुनावी इतिहास में सबसे कम वोटिंग प्रतिशत है.

दिलचस्प बात यह है कि फ़ारूक़ उन चंद लोगों में से थे जो मतदान करने बाहर निकले थे. बीरवाह सब-डिस्ट्रिक्ट के चिल गांव के फ़ारूक़ ने अब तक अपनी ‘मतदाता पर्ची नं. 612’ संभाल कर रखी हुई है.

उस रोज़ सेना द्वारा जब उन्हें पकड़ा गया, तब वे अपनी बाइक पर गमपोरा में अपने एक रिश्तेदार के यहां शोक सभा में जा रहे रहे थे.

फ़ारूक़ शॉल बुनने का काम करते हैं. द वायर से बात करते हुए उन्होंने बताया कि सेना ने गमपोरा से कुछ पहले ही उन्हें उतलीगाम में रोका, जहां कुछ औरतें मतदान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही थीं. उन्होंने बताया, ‘उन्होंने मेरी बाइक को नुकसान पहुंचाया, मुझे डंडे और बंदूक के बट से बुरी तरह पीटा. उसके बाद लगभग बेहोशी की हालत में मुझे उठाकर जीप के आगे बांधा और 10-12 गांवों में उसी तरह घुमाया.’

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में फिरन (पारंपरिक कश्मीरी कोट) और जींस पहने हुए फ़ारूक़ एक जीप के बोनट से बंधे हुए हैं. इस जीप के पीछे एक एंटी-माइन वाहन और सेना के जवानों से भरी एक बस चल रही है. जैसे ही ये गाड़ियां गुज़र जाती हैं, एक आवाज़ सुनाई देती है: ‘ऐसा हाल होगा पत्थर वालों का, ये हाल होगा.’

फ़ारूक़ बताते हैं, ‘जब सेना के लोगों ने मुझे उठाया तब उस इलाके में कोई पत्थरबाज़ी नहीं हो रही थी और न ही जब वे मुझे जीप पर घुमा रहे थे तब सेना की गाड़ियों पर कोई पत्थर फेंके गए.’

वीडियो में फ़ारूक़ की फिरन पर एक कागज़ का टुकड़ा भी चिपका दिखता है. उन्होंने बताया, ‘उस पर कुछ लिखा हुआ था पर मैं बस अपना नाम ही पढ़ सका.’

फ़ारूक़ सदमे में हैं. उनकी बांह पर पट्टी बंधी हुई थी. उन्हें लगता है कि उनका ज़िंदा बचना चमत्कार जैसा है. वे कहते हैं, ‘एक वक़्त पर मैंने ज़िंदा घर लौटने की आस ही छोड़ दी थी… बुरी तरह पीटे जाने की वजह से मेरे पूरे शरीर में इतना दर्द हो रहा था कि मुझे लगा कि मेरी सारी हड्डियां ही टूट गई हैं. मैं सदमे में था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं क्योंकि सेना के लोग लगातार मुझे धमका रहे थे कि अगर मैंने चलती गाड़ी से किसी राहगीर से कोई बात की तो… मैं उनसे मुझे छोड़ने की गुज़ारिश कर रहा था, पर उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी.’ उन्होंने यह भी बताया कि पहले उन्हें हारदापंजू गांव के सीआरपीएफ कैंप में ले जाया गया, फिर वहां से दोपहर में उन्हें एक गाड़ी में डालकर रैयारी के सेना की स्थानीय यूनिट में ले जाया गया.

फ़ारूक़ बताते हैं, ‘मुझे लगा था कि बस मेरा अंत पास ही है, लेकिन मैं लगातार प्रार्थना कर रहा था और उम्मीद कर रहा था कि जिन लोगों ने मुझे देखा है वो मेरे परिवार को इस बात की जानकारी दे दें.’ फ़ारूक़ तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं और अपनी मां फैज़ी बेगम के साथ रहते हैं.

Farook Ahmad Dar With Mother News Repeat
अपनी मां फैज़ी बेगम के साथ फ़ारूक़ (फोटो साभार : न्यूज़ रिपीट डॉट कॉम)

उनके सबसे बड़े भाई फ़याज़ अहमद ने द वायर से बात करते हुए बताया कि जैसे ही उन्हें इस घटना के बारे में पता चला वे अपने भाई को छुड़ाने के लिए सीधे पुलिस की मदद लेने गए. उन्होंने बताया, ‘पर जब हमें कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली तब हमारे परिवार के कुछ लोग यहां तक कि महिलाएं भी, गांववालों और सरपंच के साथ शाम को सेना के कैंप में पहुंचे. हमने वहां सेना से गुज़ारिश की कि फ़ारूक़ कोई पत्थर फेंकने वाला नहीं है, तब जाकर कहीं उन्होंने उसे हमें घर ले जाने दिया.’

फ़ारूक़ ने बताया कि जबसे उन्हें छोड़ा गया है, लगातार शरीर में हो रहे दर्द की वजह से उन्होंने घर से बाहर कदम भी नहीं रखा है. वो कहते हैं, ‘मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी सेना पर पत्थर नहीं फेंके. पर मुझे समझ नहीं आता कि मुझे क्यों इतनी बुरी तरह पीटा गया और गाड़ी पर बांध दिया गया. मेरा क़सूर क्या था?’

सेना अब सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो की जांच कर रही है.

बीरवाह संसदीय क्षेत्र से आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना को ‘चौंकाने’ वाला बताया. उन्होंने ट्विटर पर इसके बारे में लिखा भी है और मामले जांच करवाने की बात कही है.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती, जो घाटी की ख़राब होती स्थिति पर लगातार आलोचना झेल रही हैं, ने पुलिस से इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.

रक्षा मंत्रालय ने भी इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. श्रीनगर में मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने द वायर से बात करते हुए कहा, ‘हम इस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं, साथ ही वीडियो कि विश्वसनीयता की भी जांच की जा रही है. हालांकि जम्मू कश्मीर ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर दी है पर एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक इस मामले के बारे में कुछ कहना मुश्किल है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25