पांच साल में गड्ढों से 14,926 मौतें, कोर्ट ने कहा- शायद आतंकियों से ज़्यादा सड़क हादसों ने ली जान

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि नगर निगम, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और उनके लिए काम करने वाले संस्थान या राज्यों के सड़क विभाग इन मौतों के लिए ज़िम्मेदार होंगे क्योंकि वे ही सड़कों का ठीक से रखरखाव नहीं कर रहे हैं.

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Mumbai: Commuters ride past pot-holes filled road after heavy rainfall, in Mumbai on Monday, July 9, 2018. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad) (PTI7_9_2018_000181B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि नगर निगम, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और उनके लिए काम करने वाले संस्थान या राज्यों के सड़क विभाग इन मौतों के लिए ज़िम्मेदार होंगे क्योंकि वे ही सड़कों का ठीक से रखरखाव नहीं कर रहे हैं.

Mumbai: Commuters ride past pot-holes filled road after heavy rainfall, in Mumbai on Monday, July 9, 2018. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad) (PTI7_9_2018_000181B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सड़कों पर गड्ढों की वजह से पिछले पांच साल के दौरान हुई दुर्घटनाओं में 14,926 लोगों की मौत पर बृहस्पतिवार को चिंता व्यक्त करते हुए इसे ‘अस्वीकार्य’ बताया.

जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि सड़कों पर गड्ढों के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा ‘संभवत: सीमा पर या आतंकवादियों द्वारा की गई हत्याओं से ज़्यादा है.’

पीठ ने कहा कि 2013 से 2017 के बीच सड़कों पर गड्ढों के कारण हुई मौतों का आंकड़ा यही दिखाता है कि संबंधित प्राधिकारी सड़कों का रखरखाव सही तरीके से नहीं कर रहे हैं.

पीठ ने कहा, ‘गड्ढों की वजह से सड़क दुर्घटनाओं में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु अस्वीकार्य है.’

न्यायालय ने भारत में सड़कों के गड्ढों के कारण होने वाली मौतों के मामले में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद केंद्र से जवाब मांगा है.

रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2013 से 2017 के दौरान गड्ढों की वजह से हुयी सड़क दुर्घटनाओं में 14,926 व्यक्तियों की मृत्यु हुई.

पीठ ने कहा कि पांच साल में यह लगभग 15, 000 है जो संभवत: सीमा पर या आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों से अधिक है.

पीठ ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों से परामर्श के बाद समिति की रिपोर्ट पर जवाब दाख़िल करने का निर्देश दिया है. इस मामले में अब जनवरी में आगे सुनवाई होगी.

इस मामले में न्यायमित्र की भूमिका निभा रहे अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने कहा कि समिति ने शीर्ष अदालत के निर्देश पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है और उसने सभी राज्य सरकारों से परामर्श किया था.

पीठ ने कहा कि नगर निगम, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और उनके लिए काम करने वाले संस्थान या राज्यों के सड़क विभाग इन मौतों के लिए ज़िम्मेदार होंगे क्योंकि वे ही सड़कों का ठीक से रखरखाव नहीं कर रहे हैं.

पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में पीड़ितों के परिजनों को कोई भी मुआवज़ा नहीं दिया गया और मृतक के क़ानूनी वारिसों को प्राधिकारियों की उदासीनता की वजह से इस त्रासदी के साथ ही जीना पड़ रहा है.

न्यायालय ने कहा कि इससे पहले गड्ढों की वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों के बारे में कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं थे और निश्चित ही ऐसे घायलों की संख्या मृतकों की संख्या से कहीं अधिक होगी.

शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को इस तरह की मौतों पर चिंता व्यक्त करते हुए टिप्पणी की थी ऐसी दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु के आंकड़े आतंकी हमलों में मारे गए लोगों की संख्या से अधिक हैं.

पीठ ने इस स्थिति को भयावह बताते हुए शीर्ष अदालत की समिति से इस मामले में सड़क सुरक्षा के बारे में गौर करने का अनुरोध किया था.

न्यायालय ने कहा था कि यह सर्वविदित है कि इस तरह के हादसों में बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होती है और वे प्राधिकारी, अपना काम ठीक तरह से नहीं कर रहे हैं जिनकी ज़िम्मेदारी सड़कों के रखरखाव की है.

देश में सड़क सुरक्षा से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सड़कों पर गड्ढों का मुद्दा उठा था.  न्यायालय इन मुद्दों पर अब विचार कर रहा है.

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