कोर्ट ने सीबीआई को जनवरी के पहले सप्ताह में यह सूचित करने का निर्देश दिया कि यदि इन सभी मामलों में एक समानता नज़र आती है तो उसे सभी मामलों की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि यदि सामाजिक कार्यकर्ताओं नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या के मामले में ‘समानता’ है तो सीबीआई सभी चारों मामलों की जांच कर सकती है.
जस्टिस उदय यू. ललित और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को जनवरी के पहले सप्ताह में यह सूचित करने का निर्देश दिया कि यदि इन सभी में एक समानता नजर आती है तो उसे सभी मामलों की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए.
सीबीआई पहले ही सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की घटना की जांच कर रहा है.
कर्नाटक पुलिस ने अपनी प्रगति रिपोर्ट में शीर्ष अदालत से कहा है कि 2015 में कलबुर्गी और 2017 में गौरी लंकेश की हत्या में ‘परस्पर संबंध’ नजर आता है.
इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि एक ही जांच एजेंसी को हत्या के चारों मामलों की जांच करनी चाहिए यदि इनमें पहली नजर मे ‘समानता’ नजर आती है तो.
पीठ ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि चार मौते हुई हैं. इसे लेकर दो तरह की सोच है, पहला कि यदि चारों हत्यारे एक दूसरे से जुड़े नही हैं तो पुलिस को उनकी अलग अलग जांच करनी चाहिए और दूसरी, यदि पहली नजर में ऐसा लगता है कि इन सभी हत्याओं में समानता है तो यही उचित होगा कि एक ही एजेंसी को इनकी जांच करनी चाहिए.’
पीठ ने जांच ब्यूरो के वकील से कहा, ‘आप जनवरी के प्रथम सप्ताह में हमे सूचित करें कि यदि इनमें समानता लगती है तो क्या जांच एजेंसी इन सभी मामलों की जांच कर सकती है.’
इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही कर्नाटक सरकार की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने कहा कि कलबुर्गी हत्याकांड की जांच में कुछ सुराग मिले हैं और ऐसा लगता है कि गौरी लंकेश हत्याकांड से इनका कोई संबंध है.
पीठ ने एक अन्य न्यायालय कक्ष में व्यस्त महाराष्ट्र के वकील को तलब किया.
कुछ समय बाद जब यह मामला लिया गया तो पीठ ने वकील निशांत कटनेश्वरकर से सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे हत्याकांड की जांच की स्थिति के बारे में पूछा.
कटनेश्वरकर ने जवाब दिया कि सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले की जांच सीबीआई कर रही है जबकि पानसरे हत्याकांड की जांच महाराष्ट्र विशेष जांच दल के पास है.
यह पूछने पर कि क्या दाभोलकर हत्याकांड की जांच राज्य सरकार ने सीबीआई को सौंपी थी या फिर अदालत के हस्तक्षेप से ऐसा हुआ तो कटनेश्वरकर ने कहा कि उन्हें इस बारे में निर्देश प्राप्त करने होंगे.
इस पर पीठ को एमएम कलबुर्गी की पत्नी उमादेवी कलबुर्गी के वकील अभय नेवागी ने बताया कि दाभोलकर मामला बॉम्बे उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसी को हस्तांतरित किया था जबकि पानसरे मामले में उनका परिवार सिर्फ जांच की अदालत से निगरानी चाहता था.
इस पर पीठ ने जांच ब्यूरो के वकील से कहा कि कर्नाटक पुलिस की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार ऐसा लगता है कि गौरी लंकेश और कलबुर्गी हत्या कांड में समानता है.
पीठ ने जांच ब्यूरो के वकील से जानना चाहा कि क्या आपको दाभोलकर और दूसरे मामलों में कर्नाटक पुलिस की तरह ही कोई समानता नजर आई है. यदि पहली नजर में भी ऐसा कुछ लगता है तो सारे मामले सीबीआई के पास जाने चाहिए.
कामत ने पीठ से कहा कि गौरी लंकेश मामले में जांच पूरी हो गई है और पिछले महीने अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है.
पीठ ने कहा, ‘ठीक है, जांच ब्यूरो को अपने जवाब के साथ हमारे पास आने दीजिये. फिर हम देखेंगे.’ इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को जनवरी के पहले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
इससे पहले 26 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार की खिंचाई की थी और कहा था कि वह जांच में कुछ नहीं, बस, दिखावा कर रही है. साथ ही न्यायालय ने संकेत दिया था कि वह मामले को बंबई उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर सकती है.
प्रख्तात शिक्षाविद और तर्कवादी कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को धारवाड़ में हत्या कर दी गई थी जबकि सामाजिक कार्यकर्ता पानसरे की भी उसी साल 16 फरवरी को हत्या की गयी थी.
पत्रकार गौरी लंकेश की पांच सितंबर, 2017 को बेंगलुरू में हत्या की गयी जबकि एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और तर्कवादी दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को हत्या की गई थी.