दिल्ली नगर निगम चुनाव में पीआर कंपनियां प्रत्याशियों का भाषण तैयार करने से लेकर, प्रचार अभियान और पहनावा तक निर्धारित कर रही हैं.
दिल्ली नगर निगम चुनाव में पर्सनल रिलेशन (पीआर) कंपनियों का खूब जलवा है. जो प्रत्याशियों का भाषण लिखने से लेकर सोशल मीडिया व जमीनी प्रचार अभियान की बागडोर थामे हैं. यहां तक की ये प्रत्याशियों के पहनावे और खानपान पर भी नजर रखे हुए हैं. ताकि उनका ‘क्लाइंट’ एक योद्धा के भांति इस चुनावी अखाड़े में से जीत कर निकले. वैसे एक अनुमान के मुताबिक, इस चुनाव में जीते-हारे कोई, लेकिन पीआर कंपनियों की झोली में 400 करोड़ रुपये से अधिक गिर जाएगा.
उत्तर प्रदेश व पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के ठीक बाद हो रहे दिल्ली नगर निगम चुनावों पर देश-दुनिया की नजर है. एक यहीं गढ़ था जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा में चमत्कारिक जीत के रथ को अकेले आम आदमी पार्टी ने रोका था.
2015 में अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. यह चुनाव इसका परीक्षण होगा कि दिल्ली में अभी भी केजरीवाल की लहर बरकरार है कि मोदी लहर चढ़ेगी या फिर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के 15 वर्षों के कार्यकाल को याद करते दिल्ली वाले पंजा चुनाव चिह्न को मजबूत करेंगे.
लोकसभा चुनाव में पीआर कंपनियों का जलवा देखा ही गया. उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब समेत अन्य विधानसभा चुनावों में भी पीआर कंपनियों की चर्चा खूब रही. एक चर्चा तो यह भी रही कि अमेरिका की एक पीआर कंपनी ने चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच विवादों की पटकथा लिखी. वैसे, वह विवाद तो समाजवादी पार्टी के चुनाव हारने के बाद अब तक जारी है.
बहरहाल, बात दिल्ली नगर निगम चुनाव की. चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस पार्टी अपने दफ्तरों में चुनावी वॉर रूम बनाया है. जहां से चुनाव की बिसात बिछाई जा रही है. तीनों मुख्य दलों के चुनाव वॉर रूम में 300 से अधिक पेशेवरों की टीम लगी है. जिसे पार्टी का मीडिया, आईटी और चुनाव विभाग ने संभाले रखा है.
वहीं, उनसे अलग खुद प्रत्याशी भी अपने स्तर पर पीआर कंपनियों को हायर किया है. 272 सीटों के लिए हो रहे नगर निगम चुनाव में प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा के साथ राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है.
चाहे बात दिल्ली के ग्रामीण इलाके बदरपुर की या साउथ एक्स जैसे पॉश इलाके की. मध्यम आय वर्ग लक्ष्मी नगर व शकरपुर तक के प्रत्याशी हर कदम पीआर कंपनियों से पूछ कर रख रहे हैं. पीआर कंपनियां प्रत्याशियों का भाषण तैयार करने से लेकर, प्रचार अभियान और पहनावे तक पर ध्यान दे रही हैं.
चुनाव में छह सीटों पर प्रत्याशियों का प्रचार अभियान संभाल रहे एक पीआर कंपनी ब्रांड टू लाइफ के अभिषेक कटियार के मुताबिक इस चुनाव में पीआर कंपनियों का काम काफी बढ़ गया है. हालांकि, नामाकंन के पहले तक मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी तय न होने से प्रचार अभियान देर से शुरू हुआ, लेकिन अब यह जोर पकड़ रहा है. अगले कुछ दिन धुंआधार रहने वाले हैं.
उनके मुताबिक उनका काम प्रत्याशी के दिनभर का कार्यक्रम निर्धारित करना होता है. नुक्कड़ सभाओं के लिए प्वांइट लिखकर दिए जाते हैं. उनके भाषणों को तैयार करते हुए उसे सभा विशेष जगह के माहौल का खास ध्यान रखा जाता है. अगर स्कूल, कालेज या कोचिंग सेंटर के नजदीक है तो युवाओं की बातें, बाजार में है तो व्यापारियों की बातें और गांवों में किसानों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाता है.
इसी तरह प्रचार वाहनों में बैनर पोस्टर और लाउडस्पीकर लिए उनका ही एक लड़का ई रिक्शा या आटो पर पूरे इलाके का चक्कर लगाता है.
इस पूरे चुनाव अभियान में सोशल मीडिया का बड़ा रोल है. इसलिए छोटी-छोटी चुनाव प्रचार सामग्रियों को तैयार कर वाट्सएप, फेसबुक व ट्विटर पर शेयर नियमित रूप से करने के साथ प्रत्याशियों के दिनभर की गतिविधियों को एसएमएस के माध्यम से मतदाताओं को बांटा जाता है.
कनेक्ट मीडिया पीआर कंपनी के मालिक भूपेश गुप्ता के मुताबिक पीआर कंपनियों की सेवाएं लेने में भाजपा, कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को परहेज नहीं है. कुछ सीटों पर क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशी और निर्दलीय भी चुनाव जीतने के लिए पेशेवर की मदद ले रहे हैं. इसके लिए उनकी मदद कर रही कंपनियां पांच से 20 लाख रुपये वसूले जा रहे हैं.
एक प्रत्याशी के साथ में पीआर कंपनियों की कम से कम 10 विशेषज्ञों की टीम लगी हुई है, जो नुक्कड़ नाटक, पपेट शो, फ्लेश मॉब, प्रत्याशी के भाषणों की वीडियो तैयार करने, सोशल मीडिया प्रबंधन, भाषण लिखने और जनसंपर्क प्रबंधन में पारंगत है. यहां तक कि कालोनी की स्थिति और आयु वर्ग देखते हुए प्रत्याशियों के परिधान तक का चयन पेशेवर कर रहे हैं.
इसके लिए अलग से वॉर रूम बना है. जहां सोने और खाने-पीने का पूरा इंतजाम है.
आर्य नगर से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे वेदपाल कहते हैं कि अब चुनाव में चीजें तेजी से बदल रही है. चुनाव परंपरागत नहीं रहा है. इसमें हाईटैक व्यवस्था समाहित हो गई है. ऐसे में हर मोर्चे पर मुस्तैद रहना पड़ता है. पता चले हम किसी एक पक्ष पर काम कर रहे हो और प्रचार का दूसरा पक्ष कमजोर हो रहा हो. इसमें संतुलन के लिए जरुरी है कि प्रत्याशी के अलावा एक टीम जो पूरे अभियान पर गंभीरता से नजर रखे. इसलिए पीआर कंपनी को हायर किया है. जो उन्हें मतदाताओं से करीब से जुड़ने के लिए सामाजिक अभियान चलाने पर जोर दे रहा है.
बता दें कि वेदपाल ने पीआर कंपनी के कहने पर मुफ्त में गरीबों को कपड़ा बंटवा रहे हैं. देशभक्ति की भावना को भुनाने के लिए शहीदों के नाम एक हस्ताक्षर दीवार तैयार किया है. जिस पर हस्ताक्षर के साथ मतदाता अपने संदेश लिखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार हबीब अख्तर चुनाव जीतने के लिए पीआर कंपनियों की सेवा को ज्यादा मुफीद नहीं मानते. उनके मुताबिक नगर निगम के चुनाव में व्यक्तिगत संबंध काफी मायने रखते हैं. मतदाता उसे मतदान करता है जिसे वह अपने करीब पाते हैं. फिर भी बदले आर्थिक समीकरण में जब कुछ वार्डों में नौकरी पेशा और युवा मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. तब उनके बीच पहुंच बनाने के लिए प्रत्याशी पीआर कंपनियों की मदद ले रहे हैं. जो उनका सोशल मीडिया कैंपेन चलाने के साथ ऐसे आइडियाज दे रहे हैं जिससे युवा उनके प्रति आकर्षित हों.
(प्रियंका स्वतंत्र पत्रकार हैं)