ऊंची आर्थिक वृद्धि दर के बाद भी रोज़गार देने में राष्ट्रीय औसत से पीछे रहे 12 बड़े राज्य: रिपोर्ट

क्रिसिल की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने सिर्फ 2018 में ही 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त होने की बात कही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)

क्रिसिल की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने सिर्फ 2018 में ही 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त होने की बात कही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)
प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर से अधिक तेजी से वृद्धि करने वाले 12 बड़े राज्य इसका फायदा रोजगार सृजन में नहीं उठा सके हैं.

क्रिसिल (सीआरआईएसआईएल) की एक रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों की जीडीपी में वृद्धि मुख्यत: ऐसे क्षेत्रों में हुई है जिनमें रोजगार के कम अवसर होते हैं. क्रिसिल की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने सिर्फ 2018 में ही 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त होने की बात कही है.

सीएमआईई के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर 2018 में देश में बेरोजगारी दर 7.4% तक पहुंच गई, जो कि 15 महीनों में सबसे अधिक है.

आंकड़ों से यह भी पता चला कि 2018 में लगभग 1.1 करोड़ नौकरियां चली गईं. सीएमआईई ने इसके लिए नोटबंदी (नवंबर 2016) और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) (जुलाई 2017) को जिम्मेदार ठहराया है.

क्रिसिल विश्लेषण करने वाली एक वैश्विक कंपनी है जो रेटिंग, अनुसंधान और रिस्क एवं नीति सलाहकार सेवाएं प्रदान करती है. क्रिसिल ने सोमवार को कहा, ‘अधिकांश राज्यों में आर्थिक वृद्धि रोजगार सृजन के अनुकूल नहीं रही है.’

रिपोर्ट में कहा गया कि 11 राज्यों में विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, होटल, परिवहन और संचार सेवाओं जैसे रोजगार केंद्रित क्षेत्रों में राष्ट्रीय दर की तुलना में कम रफ्तार से वृद्धि हुई है.

रिपोर्ट के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में 12 राज्यों की आर्थिक वृद्धि दर राष्ट्रीय दर की तुलना में अधिक रही. क्रिसिल ने कहा कि इस दौरान कम आय वाले राज्यों तथा अधिक आय वाले राज्यों के बीच प्रति व्यक्ति आय की खाई चौड़ी हुई है.

रिपोर्ट के अनुसार गुजरात, बिहार और हरियाणा में ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों की वृद्धि सबसे तेज रही. राजस्थान, झारखंड और मध्य प्रदेश में इनकी वृद्धि दर सबसे कम रही.

राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश पिछले तीन वर्ष में क्षमता विस्तार के अनुपात में सबसे ऊपर रहे. पर इन राज्यों में स्वास्थ्य, सिंचाई और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया.

गुजरात और कर्नाटक महंगाई दर, वृद्धि और राजकोषीय घाटे के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले तीन शीर्ष राज्य रहे. इस मामले में केरल और पंजाब का प्रदर्शन फिसड्डी रहा है.