सीवर में होने वाली मौतों के ख़िलाफ़ सफाई कर्मचारियों के संगठन ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन. संगठन ने कहा कि सफाई कर्मचारी का बच्चा सफाई कर्मचारी न बने, उसके लिए सरकार को प्रयास करने की ज़रूरत है.
नई दिल्ली: इलाहाबाद में चल रहे कुंभ मेले के दौरान बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम में डुबकी लगाई और फिर सफाई कर्मचारियों के पैर धोए थे. इस बीच सफाई कर्मचारियों के हक़ और अधिकारों को लेकर लड़ाई लड़ने वाले एक संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सफाई कर्मचारियों के पैर धोने का विरोध किया है.
सीवर में सफाई कर्मचारियों की होने वाली मौतों के ख़िलाफ़ सोमवार को आदि धर्म समाज ‘आधस’ भारत नाम के एक संगठन ने नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन के दौरान संगठन के प्रमुख दर्शन ‘रत्न’ रावण ने कहा, ‘सफाई कर्मचारियों के पैर धोने की ज़रूरत नहीं है बल्कि उनके पैर कीचड़ से निकालने की ज़रूरत है. उसका बच्चा सफाई कर्मचारी न बने, उसके लिए प्रयास करने की ज़रूरत है.’
#WATCH: Prime Minister Narendra Modi washes feet of sanitation workers in Prayagraj pic.twitter.com/otTUJpqynU
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 24, 2019
उन्होंने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद में वाल्मीकि सम्मेलन में कहा था कि सीवर में उतरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसका मतलब हुआ कि वह सफाई कर्मचारी को सीवर में उतरने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. मैं इसका जवाब में पूरे देश यह कह रहा हूं कि जो कई हजार करोड़ रुपया कुम्भ पर खर्च किया है वह बेवकूफी है. अगर मोक्ष सीवर में है तो घर के बाहर निकलो, सीवर का ढक्कन खोलो और उसमें मोक्ष की प्राप्ति करो. वह हमारे लिए क्यों रखा हुआ है.’
उन्होंने कहा, ‘आप सारे लोग मोक्ष प्राप्त करो. ये लोग जाति के नाम पर सफाई का पेशा हटने नहीं देना चाहते और आज पैर धो रहे हैं वोट बटोरने के लिए.’
दर्शन ने कहा, ‘सफाई कर्मचारियों के वेतन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी राज्यों में लागू नहीं हो पाया है और उन्हें 5000-7000 रुपये मिल रहे हैं. स्कूलों की फीस और दूध के दाम से तुलना करेंगे तो पाएंगे कि उनकी आर्थिक हालत मरने लायक है.’
उन्होंने कहा कि हम इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाएंगे. हमारी मांग है कि पहले तो कोई सफाई कर्मचारी सीवर में उतरे नहीं और अगर उतरे तो उसे उचित प्रशिक्षण दिया जाए. उसके लिए सुरक्षा इंतजाम हो, ऑक्सीजन का सिलिंडर हो. सीवर में उतरने से पहले जूनियर इंजीनियर जांच करे और काम खत्म होने तक वहीं रहे. कोटा बनाकर सैनिक स्कूल में उसके बच्चों को दाखिला मिलना चाहिए.
संगठन की ओर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीवर में उतरने वाले सफाई कर्मचारी की भूमिका एक सैनिक से भी अहम होती है. जैसे कहीं बम मिलता है तो सेना के बम निरोधक दस्ता बुलाया जाता है. वैसे ही सीवर में भी बम की तरह होता जिसमें केमिकल, ज़हरीली गैस, कांच और लोहे के टुकड़े भी होते हैं.
संगठन ने मांग की है कि सीवर सफाई के दौरान किसी दुर्घटना की स्थिति में एसडीएम से जांच कराई जाए. इसके साथ ही उन्होंने निजी कंपनियों द्वारा सीवर सफाई का काम करवाने पर भी रोक लगवाने की मांग की.
स्वच्छ भारत अभियान पर सवाल उठाते हुए रावण ने कहा कि सफाई कर्मचारियों और सीवर मैन के बिना स्वच्छ भारत अभियान की कल्पना करना भी बेमानी है. संगठन ने भारत सरकार की ओर से चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान को नौटंकी, भद्दा मजाक और भ्रष्टाचार बताया.
दर्शन ‘रत्न’ रावण ने कहा, ‘सफाई कर्मचारियों की मौत को दुर्घटना करार दिया जाता है लेकिन सरकारों, राजनीतिक दलों, प्रशासन व पार्षदों की लापरवाही और कर्मचारियों के सीवर में उतरने की बाध्यता हमें मजबूर करती है कि हम इसे हत्या कहें.’
संगठन की ओर से कहा गया कि हमारे राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन इतने अमानवीय हो चुके हैं कि सीवर में रोज़ हो रही हत्या को कभी अपना मुद्दा नहीं बनाया. दर्शन ने इसका कारण जातिवाद को बताया. उन्होंने कहा कि सफाई को पेशे के आधार पर एक जाति पर थोप दिया गया है.