मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव कराने के लिए संकल्पबद्ध है. आयोग ने बताया मतदाता पहचान पत्र समेत वैध 12 पहचान पत्रों में से मतदाता को किसी एक को लेकर मतदान केंद्र पर जाना होगा.
लखनऊ/नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की वर्तमान स्थिति के मद्देनज़र लगायी जा रही अटकलों के बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा के आगामी चुनाव निर्धारित समय पर ही होंगे.
अरोड़ा ने लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस में एक सवाल पर कहा, ‘चुनाव समय पर ही होंगे.’
उनसे सवाल किया गया था कि पाकिस्तान में वायुसेना के हमले के बाद पैदा हुए हालात में पर्याप्त सुरक्षा बलों की उपलब्धता नहीं होने की आशंका के कारण क्या लोकसभा चुनाव समय से कराना संभव होगा?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने आगामी लोकसभा चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शीपूर्ण तरीके से कराने का संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान आचार संहिता का कड़ाई से पालन होगा और हर शिकायत पर तत्परता से कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि आयोग के साथ बैठक में राजनीतिक दलों ने जातीय, सांप्रदायिक भाषणों पर रोक लगाने, चुनाव के दौरान शत प्रतिशत केंद्रीय बलों की तैनाती करने, मतदाता सूची में गड़बड़ियां सुधारने, मतदाता सूची को आधार से जोड़ने और इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित करने समेत अनेक मुद्दे उठाए.
उन्होंने कहा कि आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव कराने के लिए संकल्पबद्ध है. आयोग आचार संहिता का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराएगा और चुनाव से जुड़ी हर शिकायत पर तत्परता से कार्रवाई होगी.
उन्होंने बताया कि आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे देश में ‘सी-विजिल’ मोबाइल एप्लीकेशन जारी किया जाएगा, जिस पर कोई भी नागरिक चुनाव से संबंधित शिकायत दर्ज करा सकता है.
उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखने का विकल्प भी होगा. आयोग उन शिकायतों पर हुई कार्रवाई को अपने ख़र्च पर अखबारों में छपवाएगा. सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए आयोग की समितियों में एक-एक सोशल मीडिया विशेषज्ञ की तैनाती होगी.
उन्होंने कहा कि इस बार प्रदेश के सभी एक लाख 63 हज़ार 331 मतदान केंद्रों पर ईवीएम के साथ-साथ वीवीपैट का प्रयोग किया जाएगा. वीवीपैट मशीन के उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए शुरू किए गए अभियान को बूथ स्तर तक ले जाने की कोशिश की जाएगी.
अरोड़ा ने बताया कि लोकसभा के आगामी चुनाव में फार्म 26 में दिए जाने वाले शपथपत्र में अब प्रत्याशियों को अपनी पत्नी अथवा पति, आश्रित पुत्र, पुत्री और एचयूएफ (अविभाजित हिन्दू परिवार) के पांच सालों की आय का विवरण देना होगा.
उन्होंने कहा कि नई अधिसूचना के अनुसार अब प्रत्याशियों को देश में स्थित संपत्तियों के साथ-साथ विदेश में भी मौजूद जायदाद के बारे में भी विवरण अनिवार्य रूप से देना होगा. आयकर विभाग इन सम्पत्तियों की जांच करेगा और अगर किसी तरह की विसंगति पाई जाती है तो उसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा. गलत जानकारी दिए जाने पर सख़्त कार्रवाई होगी.
नफ़रत भरे भाषणों पर सख़्ती से रोक लगाए जाने के तरीके के बारे में पूछे जाने पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि उन्होंने यहां अपनी समीक्षा बैठकों में पिछले चुनावों के दौरान दर्ज ऐसे मामलों पर कार्रवाई की स्थिति का जायजा लिया है. हमने जो भी पाया, उसके बारे में मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को बता दिया है. हम आश्वस्त करना चाहते हैं कि ऐसे मामलों पर कड़ी कार्रवाई होगी.
उन्होंने कहा कि आयोग ने अधिकारियों से दिव्यांग मतदाताओं की वास्तविक संख्या के बारे में जानकारी मांगी है. ऐसे मतदाताओं को मतदान में आसानी उपलब्ध कराने के लिए ज़रूरी सुविधाओं की समीक्षा के लिए अफसरों से कहा गया है कि वे मौके पर जाकर हालात का जायज़ा लें.
गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में तैयारियों का जायज़ा लेने के लिये मुख्य निर्वाचन आयुक्त की अगुआई में चुनाव आयोग का एक दल गत 27 फरवरी को लखनऊ पहुंचा था. दल ने उसी दिन राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी.
आयोग की टीम ने 28 फरवरी को प्रदेश के सभी जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करके आगामी लोकसभा चुनाव को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से कराने के लिए अब तक की गई तैयारियों का जायज़ा लिया था.
अरोड़ा ने बैठक में निर्देश दिए थे कि चुनाव के दौरान धार्मिक, सामुदायिक, जाति और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव न पनपने पाए, इसके लिए सामाजिक संगठनों गणमान्य व्यक्तियों और गैर सरकारी संगठनों की मदद ली जाए. संवेदनशील क्षेत्रों को चयनित कर वहां सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा दिया जाए. प्रदेश से लगी राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर खास चौकसी बरती जाए.
उन्होंने कहा कि आयोग के सभी निर्देशों का सख़्ती से पालन सुनिश्चित कराया जाए और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए.
ईवीएम को फुटबॉल बना दिया गया है: मुख्य निर्वाचन आयुक्त
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता को लेकर कुछ राजनीतिक दलों की आपत्तियों पर कहा कि देश में ईवीएम को फुटबॉल बना दिया गया है.
अरोड़ा ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में ईवीएम को लेकर उठ रहे सवालों के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि देश में दो दशकों से ज्यादा समय से ईवीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर हम 2014 के लोकसभा चुनाव को लें तो ईवीएम से एक नतीजा आया. उसके चार महीने बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में नतीजा बिल्कुल दूसरा आया.
उन्होंने कहा, ‘हमने जाने-अनजाने में ईवीएम को पूरे देश में फुटबॉल बना दिया. अगर रिजल्ट एक्स है तो ईवीएम ठीक है, अगर नतीजा वाई है तो ईवीएम ख़राब है.’
मतदान के दौरान पहचान के लिए अब रखना होगा पहचान पत्र: चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने बीते गुरुवार को कहा कि चुनाव के दौरान पहचान के दस्तावेज़ के रूप में अब मतदाता पर्ची का अकेले इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और मतदाता पहचान पत्र समेत वैध 12 पहचान पत्रों में से मतदाता को किसी एक को लेकर मतदान केंद्र पर जाना होगा.
चुनाव आयोग के आदेश में कहा गया है कि इन पर्चियों के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ उसके समक्ष ऐतराज़ जताए जाने के बाद यह फैसला किया गया है.
दरअसल, इन पर्चियों पर कोई सुरक्षा विशेषता नहीं होती है. इन्हें मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद छापा जाता है और मतदान से ठीक पहले बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर बांटा जाता है.
आयोग ने कहा कि मतदाता सूची की डिजाइन में कोई सुरक्षा विशेषता नहीं है. दरअसल, इसे ईपीआईसी (मतदाता फोटो पहचान पत्र) के कवरेज के पूरा नहीं होने के एक वैकल्पिक दस्तावेज के रूप में शुरू किया गया था.
पहचान के लिए स्वीकृत 12 दस्तावेज़ों में ईपीआईसी, पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र/ राज्य सरकारों, पीएसयू, पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा जारी नौकरी पहचान पत्र, बैंक या डाक घर द्वारा जारी पासबुक, आयकर विभाग का पैन कार्ड और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के तहत जारी स्मार्ट कार्ड शामिल हैं.
उपलब्ध सूचना के मुताबिक अभी 99 फीसदी से अधिक मतदाताओं के पास ईपीआईसी है और 99 फीसदी से अधिक वयस्कों को आधार कार्ड जारी किया जा चुका है.
आयोग ने कहा कि इन सभी तथ्यों को मद्देनज़र रखते हुए यह फैसला किया गया है कि मतदाता पर्ची अब से मतदान के लिए पहचान के दस्तावेज़ के तौर पर अकेले स्वीकार नहीं की जाएगी.
हालांकि, इन पर्चियों को तैयार करना जारी रखा जाएगा और जागरूकता फैलाने के लिए उन्हें मतदाताओं को बांटा जाएगा.
इस पर बड़े-बड़े अक्षरों में यह चेतावनी दर्ज होगी कि इसे पहचान के उद्देश्य के लिए स्वीकार नहीं किया जाएगा.