साक्षात्कार: सेना में खाने की गुणवत्ता की शिकायत को लेकर सुर्ख़ियों में आए बीएसएफ के बर्ख़ास्त जवान तेज बहादुर यादव ने वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. सोमवार को समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. चुनाव प्रचार के लिए वाराणसी पहुंचे तेज बहादुर यादव से हुई बातचीत.
[यह साक्षात्कार पहली बार 10 अप्रैल 2019 को प्रकाशित हुआ था.]
वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने का ख़्याल कैसे आया और क्यों?
नहीं, हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, न मोदी जी के, न भाजपा के. हमारी लड़ाई है इस देश के इस सड़े-गले सिस्टम से है. सरकार में आने से पहले ही मोदी ने सेना पर राजनीति शुरू कर दी थी.
हमारे देश में एक जज्बा है कि सेना को बड़ा सम्मान दिया जाता है. मोदी ने सेना के नाम पर डायवर्ट किया. हेमराज केस को लेकर इन्होंने खूब राजनीति की. पूरे देश को लगा कि ये सरकार (मोदी सरकार) सेना को बहुत ताकतवर बनाएगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा.
जब ये सत्ता में आ गए उसके बाद सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए हैं. जितने जवान पिछले दस साल में शहीद नहीं हुए उतने पिछले एक साल में शहीद हुए हैं. मोदी सरकार में सबसे बड़ी चीज जो मीडिया भी नहीं दिखाती है वो ये कि सिर्फ पैरामिलिट्री में पिछले एक साल में 997 जवानों ने आत्महत्या की है. उसके जिम्मेदार मोदी हैं.
मोदी जी ने कुछ ऐसा कानून बना दिया है कि जवान आत्महत्या कर रहे हैं, जिससे जवानों को बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जाता है. जवानों को समय पर छुट्टी नहीं मिलता है. उनको मोबाइल से बात नहीं करने दिया जाता है.
जब मैंने बीएसएफ के खाने की गुणवत्ता का मामला उठाया था, उसके बाद से मोबाइल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई क्योंकि इनको (सरकार को) खतरा हो गया कि बहुत सारे जवानों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया. जिससे इनको लगा कि इनकी सारी पोल खुल रही हैं इसलिए इन्होंने मोबाइल पर रोक लगा दी.
पीएम मोदी ने बहुत से वादे किए थे, लेकिन कुछ किया नहीं. इन्होंने वादा किया था कि बीएसएफ में पेंशन फिर से शुरू कर दी जाएगी लेकिन इन्होंने उसकी कोई बात ही नहीं की. यह भी वादा किया था कि बीएसएफ जवान को शहीद का दर्जा दिया जाएगा उस पर भी कोई काम नहीं हुआ.
लोग शहीद-शहीद चिल्लाते हैं लेकिन वो जवान तो मरे हैं, उनको तो शहीद का दर्जा ही नहीं दिया. हमारे संविधान ने बीएसएफ को शहीद का दर्जा नहीं दिया है तो फिर कैसे शहीद-शहीद चिल्लाते हैं. देश में जो जवान हैं, बीएसएफ, एसआरपीएफ, पैरामिलिट्री, आर्मी उनके बारे में कोई बात नहीं करता, कोई सोचता भी नहीं.
किसान, बुनकर के बारे में बात होती है, भले ही कुछ हो न, लेकिन बात होती है. जवानों का मुद्दा तो किसी ने उठाया ही नहीं इसलिए हम इस मुहिम को शुरू कर रहे हैं कि सबसे पहले देश का जवान स्वस्थ्य रहे, ठीक रहे, खुश रहे. अगर देश का जवान खुश है तो पूरा देश खुश है.
अगर आपको सिस्टम के खिलाफ ही लड़ना है तो वाराणसी से मोदी के खिलाफ लड़ने के बजाय कहीं और से भी लड़ सकते थे?
मोदी जी ने जवानों पर राजनीति शुरू की इसलिए अब हम जवान मोदी जी के सामने खड़े होकर इनको राजनीति सिखाएंगे. इसलिए हम यहां आए हैं क्योंकि हम जवानों को मोदी जी को राजनीति सिखानी है.
आपने दावा किया है कि आपके साथ दस हज़ार पूर्व सैनिक जुड़े हैं और वे प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रचार करेंगे.
हमारे साथ दस हज़ार नहीं, पचास हज़ार सैनिक जुड़ रहे हैं. वो लगातार हमसे बात कर रहे हैं, लेकिन हमारे पास संसाधन की कमी है. हम उनके लिए रहने-खाने की व्यवस्था नहीं कर सकते. हम नेता तो हैं नहीं कि हमारे पास बहुत पैसा है.
ये लोग बीएसएफ के हैं या आर्मी से?
ये सभी जवान अलग-अलग जगहों से हैं. अलग-अलग सेनाओं से हैं. कुछ आर्मी से हैं, कुछ नेवी से हैं. सभी तरह के जवान हैं, लेकिन ये सभी जवान जेसीओ रैंक (सेना का एक रैंक) तक ही है. ऑफिसर लेवल के कोई नहीं है. कोई भी जवान इस समय जॉब में नहीं हैं, सभी रिटायर हैं, अगर जॉब वाले हमसे जुड़े भी तो हम उन्हें साथ नहीं लेंगे. हमारा संविधान इसकी इजाज़त नहीं देता. हमें अपने संविधान का सम्मान करना है.
पुरानी सरकार और वर्तमान की सरकार में नौकरी करते हुए कोई अंतर महसूस किया है? क्या भाजपा सरकार में सैनिकों की स्थिति में कोई बदलाव आया है?
हमने पहले ही कहा कि फौज में तो कभी किसी ने ध्यान दिया ही नहीं. मैंने 21 साल तक फौज में काम किया है, बहुत-सी सरकारें देखी हैं. पहले जब इनकी (भाजपा) सरकार थी तब इन्होंने (अटल बिहारी वाजपेयी ने) पेंशन बंद की थी. सरकार बदली लेकिन फौज की समस्याएं नहीं बदली.
इनसे एक आशा थी, लेकिन इनके समय में सेना का इतना ज्यादा राजनीतिकरण हो रहा है कि जवान अब नौकरी करना नहीं चाह रहा है. इनकी सरकार में जवानों को हद से ज्यादा प्रताड़ित किया जा रहा है. पहले सेना अपनी मर्ज़ी से काम करती थी लेकिन अब सब कुछ इनकी (प्रधानमंत्री मोदी की) मर्ज़ी से होता है. इनके आदेश के बिना कुछ नहीं होता है.
तीनों सेनाएं राष्ट्रपति के अधीन आती हैं लेकिन प्रधानमंत्री ने हाल ही में (पुलवामा हमले के बाद) कहा था कि सेनाओं को खुली छूट दे दी गई है. इससे साबित होता है कि मोदी ने सेनाओं को अपनी मुट्ठी में कर लिया है.
मोदी सेना को अपनी मर्ज़ी से चलाते हैं. अगर कोई सेनाध्यक्ष इसका विरोध किया तो उसे घर बैठा दिया जाएगा, दूसरा सेनाध्यक्ष आयेगा. लोकतंत्र की तो हत्या हो गई है.
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ‘मोदीजी की सेना’ ने एयर स्ट्राइक किया, इसे कैसे देखते हैं?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय फौज को मोदी की सेना कह दिया. मोदी ने भी कहा कि हमने सेना को खुली छूट दे दी है. इससे साफ जाहिर है कि सेना इनकी मुट्ठी में है, ये जो कहेंगे वही होगा. ये जब कहेंगे तभी पाकिस्तान पर फायर होगा, ये कहेंगे जवान मरते रहो, लेकिन फायर नहीं करना है तो नहीं होगा.
मोदी और योगी के सेना वाले बयान से लग रहा है कि ये लोग औरंगजेब की तरह तानाशाही कर रहे हैं. स्वतंत्रता है ही नहीं. राष्ट्रपति को इसमें संज्ञान लेना चाहिए, वो कुछ बोल ही नहीं रहे हैं. इनके आगे बोले कौन! ये सुनते तो हैं नहीं. अगर कोई बोला तो वही होगा जो जस्टिस लोया का हुआ.
चुनाव के लिए आपकी आर्थिक जरूरतें कैसे पूरी हो रही हैं?
इसके लिए सोशल मीडिया के माध्यम से अपना अकाउंट नंबर और पेटीएम नंबर दिया हुआ है, जिससे जो मदद हो पाए वो करे. चुनाव तो लड़ना ही है, किसी भी हाल में लड़ना ही है.
बीएसएफ की नौकरी का अनुभव कैसा रहा?
जब हम नौकरी में गए थे, तो बड़े शौक से गए थे. हमें लगा कि हमें देश की सेवा करने का मौका मिला है. जब हम सिस्टम में चले गए तो हमें लगा कि हम किसी जेल में आ गए.
बालाकोट एयर स्ट्राइक और पुलवामा हमले से जुड़े विवाद पर आपकी क्या राय है?
इन सबमें सरकार की गलतियां है. नेताओं की गलतियां है लेकिन नेताओं को कोई फर्क थोड़ी पड़ता है. न तो उनके घर से कोई सेना में है न उनके बच्चे सेना में हैं. सेना का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है. सेना का राजनीतिक इस्तेमाल न हो तो एक भी हमला न हो.
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने मोदीजी की सेना कहने वाले लोगों को देशद्रोही बताया है, क्या आप इस बात से सहमत हैं?
हां, वीके सिंह जी ने अच्छा बोला. योगी आदित्यनाथ के ऊपर देशद्रोह का केस लगा देना चाहिए. वीके सिंह को ही योगी के ऊपर एफआईआर दर्ज कराना चाहिए.
क्या अन्य राजनीतिक पार्टियों का सहयोग मिल रहा है? कौन-सी पार्टी सहयोग कर रही हैं?
अभी तक तो आम आदमी पार्टी ने सपोर्ट देने की बात कही है लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्होंने कुछ नहीं कहा है. बस ये बोला है कि हम आपके साथ हैं. सपा से बात हुई है उन्होंने, अभी हां भी नहीं कहा, न भी नहीं कहा है.
सपा में अखिलेश यादव जी से बात हुई है उन्होंने कहा है कि हमें समय दीजिए. ओम प्रकाश राजभर (सुभासपा) ने कहा है कि उनका पूरा-पूरा समर्थन है, उन्होंने साफ कहा कि मैं आपको समर्थन दूंगा.
क्या लगता है कि आने वाले समय में वाराणसी की जनता आपका साथ देगी?
यहां आकर और काशी की जनता से मिलकर हमें ऐसा लग रहा है कि कहीं मोदी जी भारी मतों से न हार जाएं.
आप में और पीएम नरेंद्र मोदी में जीतने-हारने की सबसे बड़ी वजह?
सबसे बड़ी वजह असली चौकीदार और नकली चौकीदार का है. यही हमारा स्लोगन भी है ‘असली चौकीदार बनाम नकली चौकीदार.’
(रिज़वाना तबस्सुम स्वतंत्र पत्रकार हैं.)