मनोज तिवारी के आदर्श गांव की ज़मीनी हक़ीक़त

ग्राउंड रिपोर्ट: भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट से सांसद मनोज तिवारी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दिल्ली के दो गांवों- चौहानपट्टी सभापुर और कादीपुर को गोद लिया है.

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New Delhi: Delhi BJP President and party's North East Delhi candidate, Manoj Tiwari, before filing his nomination for the Lok Sabha elections, at his residence in New Delhi, Monday, April 22, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist)(PTI4_22_2019_000044B)
New Delhi: Delhi BJP President and party's North East Delhi candidate, Manoj Tiwari, before filing his nomination for the Lok Sabha elections, at his residence in New Delhi, Monday, April 22, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist)(PTI4_22_2019_000044B)

ग्राउंड रिपोर्ट: भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट से सांसद मनोज तिवारी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दिल्ली के दो गांवों- चौहानपट्टी सभापुर और कादीपुर को गोद लिया है.

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चौहानपट्टी सभापुर गांव. (फोटो: रीतू तोमर)

नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष और उत्तर-पूर्वी लोकसभा सीट से सांसद मनोज तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दिल्ली के दो गांवों- चौहानपट्टी सभापुर और कादीपुर को गोद लिया हुआ है, लेकिन गांव आदर्श बनना तो दूर ये गांव बुनियादी सुविधाओं तक से महरूम हैं. प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान की हक़ीक़त इन गांवों में जाकर देखी जा सकती है.

मनोज तिवारी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चौहानपट्टी गांव को सबसे पहले गोद लिया था, लेकिन गांव की आबादी कम होने की वजह से सांसद को चौहानपट्टी से ही कटकर बने गांव सभापुर को भी गोद लेना पड़ा. आधिकारिक तौर पर यह एक ही गांव है. चौहानपट्टी में लगभग 107 परिवार रहते हैं, जबकि सभापुर की आबादी 4,000 के आसपास है. चौहानपट्टी चौहानों का गांव है, यहां चौहान परिवार रहते हैं, जबकि सभापुर ठाकुरों का गांव है.

चौहानपट्टी गांव में एक भी सरकारी स्कूल नहीं

चौहानपट्टी गांव में एक भी सरकारी स्कूल नहीं है. सिर्फ एक निजी स्कूल है, जो आठवीं तक है. यहां के बच्चों को पढ़ाई के लिए लगभग चार किलोमीटर तक का सफर कर दूसरे गांवों में या फिर सोनिया विहार के स्कूलों का रुख़ करना पड़ता है.

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चौहानपट्टी गांव का एकमात्र स्कूल. (फोटो: रीतू तोमर)

एक गृहिणी लता चौहान का कहना है, ‘गांव में स्कूल तक नहीं है. एक ही स्कूल है, इसमें गांव के कितने बच्चे पढ़ पाएंगे, ऊपर से वो स्कूल भी आठवीं तक है. इस स्कूल की हालत देख लेंगे तो यहां शिक्षा की स्थिति का पता चल जाएगा.’

गांव में अस्पताल भी नहीं 

हैरानी की बात है कि गांव में एक अस्पताल भी नहीं है, सिर्फ एक छोटा सा क्लीनिक है, जिस पर ज़्यादातर समय ताला लटका रहता है. इस क्लीनिक पर न कोई बोर्ड लगा है और न ही इसके खुलने या बंद होने की किसी को कोई जानकारी है.

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चौहानपट्टी गांव के एकमात्र क्लीनिक पर लगा ताला. (फोटो: रीतू तोमर)

गांव में किराने की दुकान चलाने वाले महेश कहते हैं, ‘पिछले साल पड़ोस में रहने वाली एक महिला को रात के समय प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल ले जाना पड़ा था. रात के डेढ़ बजे किस तरह हम लोगों ने गाड़ी का बंदोबस्त कर उसे सोनिया विहार के अस्पताल में भर्ती कराया, हम ही जानते हैं. थोड़ी सी देर होने पर कुछ भी हो सकता था. अगर यही अस्पताल हमारे गांव में खुला होता तो इतनी परेशानी नहीं होती.’

स्वच्छता अभियान की कलई खोलते कूड़े के ढेर

पूरे गांव में कूड़े के ढेर देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान के सफल होने के दावे की पोल खुलती दिखती है. जगह-जगह कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं.

गांव की सीमा शुरू होने से लेकर गांव ख़त्म होने तक पूरा गांव कूड़े के ढेर से पटा पड़ा है. पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है.

नालियां गंदे पानी और कूड़े की वजह से जाम हुई पड़ी हैं, जिस वजह से पानी गलियों में इकट्ठा हो रहा है. इसी गंदे पानी में मच्छर पनप रहे हैं, जिनसे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का ख़तरा रहता है.

गांव के निवासी पीतम सिंह (62) कहते हैं, ‘मनोज तिवारी जी ने जब से गांव को गोद लिया है, वह एक-दो बार ही गांव आए हैं. ऐसा लगता है कि गांव को गोद लेकर लावारिस छोड़कर चले गए हैं. गांव का प्रवेश-द्वार और एक टर्मिनल बनवाने के अलावा उन्होंने कोई काम नहीं किया. न सफाई, न स्कूल, न बैंक, न अस्पताल कुछ भी तो नहीं है. सड़कों की हालत देख लो, टूटी हुई हैं, पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है. हर साल लगभग आधा गांव डेंगू की चपेट में आता है.’

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चौहानपट्टी सभापुर गांव में कूड़े का ढेर. (फोटो: रीतू तोमर)

उन्हीं की बात को आगे बढ़ाते हुए हुकूम सिंह कहते हैं, ‘गांव की सबसे बड़ी समस्या पानी की है, पानी की पाइपलाइन बिछी हुई नहीं है. टैंकर से पानी सप्लाई होता है, जो दो-तीन दिन में एक बार आता है. पानी की बड़ी समस्या है, गर्मियों में हालत और ख़राब हो जाती है. सिर्फ प्रवेश-द्वार बनवाकर पल्ला झाड़ने वाली बात है.’

गांव में एक भी बैंक नहीं

ऐसे समय में हर हर सड़क और गली-नुक्कड़ के चौराहे पर एटीएम खुले हुए हैं. इस गांव की स्थिति यह है कि यहां एक भी बैंक नहीं है. बैंक के लिए यहां के लोगों को दूसरे गांवों में जाना पड़ता है.

सतीश चौहान. (फोटो: रीतू तोमर)
सतीश चौहान. (फोटो: रीतू तोमर)

सतीश चौहान कहते हैं, ‘गांव में कुछ भी तो नहीं है, न स्कूल, न अस्पताल, ऐसे में बैंक न होने की बात पर चौंकने की ज़रूरत नहीं है. हमारा तो घर-बार, खेती-बाड़ी यही है, वरना कब के यहां से चले गए होते.’

गांव के लोगों का कहना है कि गांव गोद लेने के बाद मनोज तिवारी ने बीते सालों में चौहानपट्टी सभापुर गांव में सिर्फ एक प्रवेश द्वार और बस टर्मिनल बनवाया है.

कादीपुर गांव

सांसद मनोज तिवारी ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के कादीपुर गांव को भी गोद लिया हुआ है, जहां के हालात भी कमोबेश सभापुर चौहानपट्टी जैसे ही हैं. कुशकनगर-1 और कुशकनगर-2 के साथ कादीपुर की आबादी लगभग 8,000 है. कादीपुर में जाट, ब्राह्मण और झीमर तीन जातियों के लोग रहते हैं.

दिल्ली जैसे शहर में होकर भी इस गांव तक पहुंचना आसान नहीं है. इस गांव में सिर्फ एक रूट की ही बस चलती है, जो फिलहाल इलाके में पुल निर्माण की वजह से बंद है. इसलिए इस गांव तक पहुंचने के लिए कोई बस सेवा फिलहाल नहीं है.

गांव तक निजी वाहन, टैक्सी, ऑटो या रिक्शा से ही आया जा सकता है.

यहां रहने वाले फतेह सिंह कहते हैं, ‘इस गांव में सिर्फ एक ही रूट की बस चलती थी, लेकिन पुल बनने की वजह से वह भी पिछले कई महीनों से बंद है. ऑटो या रिक्शा लेकर या किसी अन्य साधन से ही गांव वाले आते-जाते हैं. इसके अलावा कोई और विकल्प ही नहीं है.’

New Delhi: Delhi Pradesh BJP President Manoj Tiwari at the Delhi BJP executive committee meet at Dr Ambedkar International Centre, in New Delhi, Saturday, Sept 22, 2018. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI9_22_2018_000020B)
मनोज तिवारी (फोटो: पीटीआई)

इस गांव में सिर्फ दो स्कूल हैं, जहां क्षमता से अधिक बच्चे पढ़ते है. गांव में कॉलेज निर्माण के लिए 16 एकड़ की जमीन अधिग्रहित की गई है.

दिल्ली विकास समिति के अध्यक्ष हरपाल सिंह राणा कहते हैं, ‘स्कूलों की हालत बहुत बदतर है. ऐसे में यहां कॉलेज निर्माण का शिगूफा छोड़ा गया है. लगभग सालभर पहले इसके लिए जमीन अधिग्रहित की गई थी लेकिन अब तक मामला वहीं पर ही अटका हुआ है.’

पानी की समस्या यहां की बहुत बड़ी समस्या है, गांव में हर तीसरे दिन पानी आता है.

गांव की एक महिला सोनू सैनी कहती हैं, ‘पानी हर तीसरे से चौथे दिन आता है. वह भी रात में तीन बजे के आसपास. कभी-कभी रात में दो बजे के आसपास आता है. ज़रूरतें पूरी नहीं हो पातीं इसलिए पानी ख़रीदकर पीना पड़ रहा है, इससे बजट गड़बड़ा जाता है.’

गांव में कूड़े का अंबार लगा हुआ है. कूड़े के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है. लोग खेतों में कूड़ा डाल देते हैं. हर खेत में कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं.

ग्रामीण कहते हैं कि पूरे गांव में कच्ची सड़कें हैं, जिनमें गड्ढे हैं और बरसात के मौसम में इनमें पानी भर जाता है. गांव में सिर्फ एक पक्की सड़क बनी है, वह भी निगम पार्षद के घर के सामने की सड़क है. दो-चार स्ट्रीट लाइट लगवाई गई हैं.

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कादीपुर का पार्क. (फोटो: रीतू तोमर)

कादीपुर की निगम पार्षद उर्मिला राणा मनोज तिवारी द्वारा गांव में कराए गए कामों का हवाला देते हुए कहती हैं, ‘गांव की सड़क पक्की कराई गई है, आप जाकर देख लो. स्ट्रीट लाइटें भी तिवारी जी ने ही लगवाई हैं. अब गांव में पार्क बन रहा है.’

पार्क के सवाल पर गांव की महिला कृष्णा (61) कहती हैं, ‘पार्क के नाम पर सिर्फ़ ज़मीन का एक टुकड़ा सालभर पहले आवंटित किया था. इस ज़मीन पर बोर्ड लगवा दिया गया है, लेकिन काम अभी तक नहीं हुआ है.’

कादीपुर: दिल्ली का पहला फ्री वाई-फाई वाला गांव होने की बात हवाहवाई

कादीपुर के बारे में कहा गया था कि यह दिल्ली का पहला गांव है, जहां फ्री वाई-फाई है लेकिन दिल्ली विकास समिति के अध्यक्ष हरपाल सिंह राणा कहते हैं कि ऐलान तो किया गया था कि कादीपुर दिल्ली का ऐसा गांव है, जहां फ्री वाई-फाई है लेकिन यह महीनों से बंद पड़ा है.

गांव के राकेश सैनी कहते हैं, ‘फ्री वाई-फाई की बातें हवाहवाई हैं. अगर यह फ्री होता तो गांव के लोगों को हर महीने इंटरनेट रिचार्ज नहीं कराना पड़ता. शुरुआत में कुछ महीने फ्री वाई-फाई की सुविधा मिली थी, बाद में इसे बंद कर दिया गया. असल में निगम पार्षद के घर की चारदीवारी के आसपास ही वाई-फाई फ्री है.’

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बुराड़ी में 2008 से निर्माणाधीन अस्पताल. (फोटो: रीतू तोमर)

वह कहते हैं, ‘पूरे गांव में कोई अस्पताल नहीं है, सिर्फ एक डिस्पेंसरी है. गांव के लोगों को इलाज के लिए नरेला जाना पड़ता है. पास में बुराड़ी में अस्पताल है, जो साल 2008 से बन ही रहा है, 10 साल बाद भी बनकर तैयार नहीं हो पाया है. इस अस्पताल का तीन बार शिलान्यास हो चुका है. पहली बार 2008 में दूसरी बार 2012 में और तीसरी बार 2016 में मनोज तिवारी ख़ुद इसका शिलान्यास कर चुके हैं.’

कादीपुर के गवर्मेंट बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल की विद्यालय प्रबंध समिति के वाइस चेयरमैन विकास सैनी का कहना है, ‘गांव में कायदे का कोई स्कूल नहीं है. यहां सिर्फ दो स्कूल हैं, पहला प्राइमरी स्कूल है, जो पहली से पांचवीं तक एमसीडी का स्कूल हैं. गांव में कोई केंद्रीय विद्यालय नहीं है. यहां कोई नर्सरी स्कूल भी नहीं है. यहां के बच्चे यहां से आठ किलोमीटर दूर बख्तावरपुर पढ़ने के लिए जाते हैं.’

वे बताते हैं, ‘गांव में विकास के नाम पर सड़क का सिर्फ एक टुकड़ा बनाया गया है और गिनती की लाइटें लगी हैं. वाई-फाई सिर्फ निगम पार्षद के घर में ही चलता है.’