गुजरात सरकार ने महात्मा गांधी के 164 साल पुराने स्कूल पर जड़ा ताला

राजकोट नगर निगम की ओर से स्कूल को बंद कर इसे संग्रहालय में तब्दील करने के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने मंज़ूर कर लिया.

राजकोट नगर निगम की ओर से स्कूल को बंद कर इसे संग्रहालय में तब्दील करने के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने मंज़ूर कर लिया.

Alfred High School Rajkot Mahatma Gandhi Urban News Digest
राजकोट स्थित अल्फ्रेड हाईस्कूल का नाम आज़ादी के बाद मोहनदास गांधी विद्यालय कर दिया गया था. (फोटो साभार: अर्बन न्यूज़ डाइजेस्ट)

गुजरात के राजकोट शहर में स्थित अल्फ्रेड हाईस्कूल को अधिकारियों ने 164 साल बंद कर दिया है. अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी इसी स्कूल में पढ़े थे. इसे अब संग्रहालय में तब्दील करने का फैसला किया गया है. स्कूल को मोहन दास गांधी विद्यालय के नाम से भी जाना जाता था.

गुजराती माध्यम के इस सरकारी स्कूल को संग्रहालय में तब्दील करने का प्रस्ताव गुजरात सरकार ने पिछले साल मंजूर कर लिया था.

महात्मा गांधी 1887 में 18 साल की उम्र में इस स्कूल से पास हुए थे.

अधिकारियों ने बताया कि सभी 125 छात्रों को स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया गया है.

जिला शिक्षा अधिकारी रेवा पटेल ने कहा, हमने छात्रों को स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया है जो अब अगले शैक्षिक सत्र के लिए अपनी पसंद के किसी भी स्कूल में प्रवेश ले सकते हैं.

राजकोट नगर निगम ने पिछले साल स्कूल को बंद करने और इसे संग्रहालय में तब्दील करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था.

राजकोट नगर निगम के आयुक्त बीएन पाणि ने कहा, इस इमारत को 10 करोड़ रुपये की लागत से संग्रहालय में तब्दील करने के लिए हम एक सलाहकार की सेवा ले रहे हैं. यह संग्रहालय गांधी जी, सरदार पटेल और अन्य कई जानी मानी हस्तियों का जीवन परिचय प्रदर्शित करेगा.

ब्रिटिश काल में इस स्कूल की स्थापना 17 अक्तूबर 1853 में हुई थी. उस समय यह सौराष्ट्र क्षेत्र का पहला अंग्रेज़ी माध्यम का स्कूल था.

स्कूल की मौजूदा इमारत जूनागढ़ के नवाब ने 1875 में बनवाई थी और इसका नाम ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस अल्फ्रेड के नाम पर रखा गया था. 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद इसका नाम मोहनदास गांधी विद्यालय कर दिया गया.

यद्यपि इस स्कूल से गांधी जी का नाम जुड़ा था, लेकिन इसका शिक्षा रिकॉर्ड बहुत खराब था. कुछ साल पहले इसके 60 एसएससी छात्रों में से कोई भी छात्र 10वीं की बोर्ड परीक्षा में पास नहीं हो पाया था.