एक आरटीआई के जवाब में रेल मंत्रालय ने कहा है कि पिछले एक दशक में चोरी के सबसे अधिक 36,584 मामले 2018 में दर्ज हुए हैं.
नई दिल्ली: पिछले 10 साल के दौरान यात्रियों ने रेलगाड़ियों में चोरी के 1.71 लाख मामले दर्ज कराए हैं. यह जानकारी रेल मंत्रालय ने सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) में दिया है. पिछले एक दशक में चोरी के सबसे अधिक 36,584 मामले 2018 में दर्ज हुए हैं.
इन आंकड़ों से पता चलता है कि रेलवे अपने यात्रियों के सामान की सुरक्षा करने की पुख्ता व्यवस्था नहीं कर पाया है. ये आंकड़े बताते हैं कि रेलवे के सुरक्षा प्रबंध में खामियां हैं.
पीटीआई संवाददाता की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई जानकारी से यह खुलासा हुआ है.
मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 2017 में चोरी के 33,044 मामले दर्ज किए गए, वर्ष 2016 में 22,106 और 2015 में 19,215 मामले दर्ज किए गए.
इसी तरह 2014 में ट्रेनों में चोरी के 14,301, वर्ष 2013 में 12,261, वर्ष 2012 में 9,292, 2011 में 9,653, 2010 में 7,549 और 2009 में 7,010 मामले दर्ज हुए. वर्ष 2009 से 2018 के दौरान ट्रेनों में चोरी के मामलों में पांच गुना वृद्धि हुई है.
कुल मिलाकर 2009 से 2018 के दौरान ट्रेनों में चोरी के कुल 1,71,015 मामले दर्ज किए गए. ये आंकड़े इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं कि रेल यात्री समय-समय पर सोशल मीडिया पर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को लेकर चिंता जताते रहते हैं.
भारतीय रेल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. अधिकारियों ने बताया कि रेलवे की ओर से प्रतिदिन 19,000 से अधिक ट्रेनों का परिचालन किया जाता है. रोजाना 1.3 करोड़ लोग रेल यात्रा करते हैं.
रेल मंत्रालय के मुताबिक, रोजाना औसतन 2,500 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का रेलवे सुरक्षा बल, रेलवे सुरक्षा विशेष बल की सुरक्षा में परिचालन किया जाता है. इसके अलावा करीब 2,200 ट्रेनों का सरकारी रेलवे पुलिस स्टाफ की सुरक्षा में परिचालन होता है.
एक अन्य सवाल के जवाब में रेल मंत्रालय ने कहा कि पिछले चार साल के दौरान रेल यात्रियों से पैसे ऐंठने अथवा छीनने के मामले में 73,837 किन्नरों को गिरफ्तार किया गया.