जौनपुर के किसानों का सवाल, मोदी ने 2000 रुपये देकर वापस क्यों ले लिया

ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में जौनपुर ज़िले के कई किसानों ने बताया कि पीएम किसान योजना के तहत उनके खाते में 2000 रुपये आए थे लेकिन कुछ घंटे बाद या अगले ही दिन वो पैसे वापस कर लिए गए. किसानों ने कहा कि उन्होंने इस बात को लेकर संबंधित अधिकारियों से शिकायत की थी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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उत्तर प्रदेश में जौनपुर ज़िले के नेवढ़िया गांव के किसान विजय बहादुर और उनका परिवार. (फोटो: द वायर)

ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में जौनपुर ज़िले के कई किसानों ने बताया कि पीएम किसान योजना के तहत उनके खाते में 2000 रुपये आए थे लेकिन कुछ घंटे बाद या अगले ही दिन वो पैसे वापस कर लिए गए. किसानों ने कहा कि उन्होंने इस बात को लेकर संबंधित अधिकारियों से शिकायत की थी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

उत्तर प्रदेश में जौनपुर ज़िले के नेवढ़िया गांव के किसान विजय बहादुर और उनका परिवार. (फोटो: द वायर)
उत्तर प्रदेश में जौनपुर ज़िले के नेवढ़िया गांव के किसान विजय बहादुर और उनका परिवार. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: ‘हमें न तो आवास मिला और न ही शौचालय मिला है. सरकार ने गैस सिलेंडर तो दिया है लेकिन उसे भी बहुत कम इस्तेमाल करता हूं, क्योंकि हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि उसे दोबारा भरा सकें. इस बीच पीएम किसान योजना के तहत सरकार ने दो हजार रुपये खाते में भेजे थे, लेकिन कुछ ही घंटों में उसे वापस ले लिया. अब बताइए हम जैसा गरीब आदमी क्या करे.’

उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले के नेवढ़िया गांव के निवासी विजय बहादुर ने ये बात कही. 35 वर्षीय बहादुर के पास करीब एक बीघा यानी कि एक एकड़ से कम ज़मीन है और घर का ख़र्च चलाने के लिए उन्हें मज़दूरी भी करनी पड़ती है. बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना के तहत उनके खाते में 2,000 रुपये डाले गए थे लेकिन कुछ घंटों बाद वो पैसे वापस हो गए.

विजय बहादुर ने बताया कि यूनियन बैंक के बरईपार-जौनपुर शाखा में उनका खाता है और वहीं से ये पैसे कटे हैं. पैसे कटने के प्रमाण के रूप में बहादुर ने अपना पासबुक दिखाते हुए कहा, ‘मुझे खुशी थी कि 2000 रुपये मिले हैं, लेकिन अब गुस्सा हूं कि मोदी ने पैसा देकर वापस ले लिया.’

मालूम हो कि देश की कई जगहों से ये ख़बरें आई हैं कि पीएम किसान योजना के तहत कई किसानों के खाते में डाले गए पैसे वापस हो गए हैं. हालांकि, कई जगह से शिकायत आने के बाद भी इस दिशा में अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

बहादुर ने बताया कि पैसे कटने का लेकर उन्होंने बैंक मैनेजर से शिकायत की थी लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला. उन्होंने कहा, ‘पैसे कटने पर बैंक मैनेजर के पास शिकायत करने गया था. मेरे अलावा 15-20 लोग इसी तरह की शिकायत लेकर पहुंचे थे. मैनेजर ने कहा कि जहां से पैसे आए थे, वहीं से निकाल लिए गए.’

विजय बहादुर ने बताया कि उनकी पांच बेटियां और दो लड़के हैं. पैसे की कमी के वजह से सभी को स्कूल नहीं भेज पाते हैं. दस लोगों के परिवार को एक छोटे से कच्चे घर में रहना पड़ता है. बहादुर की पत्नी गीता कहती हैं कि उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिलाने के लिए सचिव और प्रधान से बात की लेकिन सचिव ने कहा कि आपके पास हैंडपंप है, इसलिए आवास नहीं दिया जाएगा.

विजय बहादुर का बैंक स्टेटमेंट, जो ये दर्शाता है कि 2000 रुपये आने के बाद उसी दिन वापस कर लिए गए.
विजय बहादुर का बैंक स्टेटमेंट, जो ये दर्शाता है कि 2000 रुपये आने के बाद उसी दिन वापस कर लिए गए.

गीता ने कहा, ‘आप ही बताइए, अगर इन योजनाओं का लाभ हम जैसे गरीब लोगों को नहीं मिलेगा तो ये सब किसके लिए है.’ गीता को चार महीने पहले ही एक बच्चा हुआ है लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ भी उन्हें नहीं मिला. गीता ने बताया कि उन्होंने इस योजना का नाम भी नहीं सुना है.

पीएम किसान योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तातंरण (डीबीटी) के ज़रिये पैसे पात्र लोगों के खाते में भेजे जाते हैं. पहले राज्य सरकार को पात्र लोगों का सत्यापन करके एक सूची अपलोड करनी होती है. इसके बाद केंद्र सरकार पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) पोर्टल का इस्तेमाल करते हुए ये पैसे संबंधित खातों में भेजती है.

इस योजना के तहत दो हेक्टेयर यानी पांच एकड़ या इससे कम ज़मीन के मालिक किसानों को 2000 रुपये की तीन किस्त में एक साल में 6,000 रुपये देने का प्रावधान रखा गया है. पीएम किसान योजना की वेबसाइट के मुताबिक जौनपुर ज़िले में अब तक 2,67,278 किसानों को इसका लाभ मिला है.

हालांकि, कई किसानों की शिकायत है कि उनके पैसे वापस कर लिए गए हैं. एक अन्य किसान 60 वर्षीय रमाशंकर शर्मा ने बताया कि उनके पास सिर्फ 10 बिस्वा या एक एकड़ से कम खेत है. घर चलाने के लिए नाई का भी काम करना पड़ता है. बीते 24 फरवरी को 2000 रुपये आए थे, लेकिन कुछ ही देर बाद वापस हो गए.

इस बात से नाराज शर्मा ने कहा, ‘इस योजना से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा. ये सिर्फ बहकाने का तरीका है, वोट की राजनीति है और कुछ नहीं.’ उन्होंने कहा कि पैसे कटने के बाद बैंक के कई अधिकारियों से संपर्क किया, कोई मदद नहीं मिली. अब थक गया हूं, किसी से क्या कहूं?

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किसान रमाशंकर शर्मा. अपनी आजीविका चलाने के लिए शर्मा नाई का भी काम करते हैं.

रमाशंकर शर्मा जौनपुर ज़िले के गोहदा गांव में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं. बच्चे घर छोड़कर बाहर चले गए हैं. शर्मा कहते हैं कि यहां उनका कोई सहारा नहीं है, अकेले ही सब कुछ करना पड़ता है. अगर ऐसी स्थिति में सरकार पैसा देकर वापस ले लेती है तो इसे किसानों के साथ धोखा ही कहा जाएगा.

खास बात ये है कि जौनपुर के स्थानीय अखबारों में ये खबर छपने के बावजूद अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. एक मार्च 2019 को अमर उजाला में छपी ख़बर का दावा है कि करीब 5,000 किसानों के खाते से पैसे वापस किए गए हैं.

द वायर ने जब पड़ताल किया तो पता चला कि जौनपुर ज़िले के एक छोटे से क्षेत्र बरईपुर के सिर्फ यूनियन बैंक से 60 से ज़्यादा किसानों के पैसे वापस हुए हैं.

जौनपुर में अमर उजाला के पत्रकार आनंद देव यादव ने बताया कि गोरखपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस योजना को लॉन्च किए जाने के बाद करीब 75,000 किसानों के खाते में पैसे डालने की बात की गई थी. हालांकि अगले ही दिन पता चला कि बड़े पैमाने पर पैसे वापस हो गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘खास बात ये है कि जिनके पैसे वापस हुए हैं, वो इस योजना के लिए पात्र हैं. अगर किसी अपात्र व्यक्ति के पैसे वापस होते तो इसमें कोई दिक्कत नहीं थी. मैंने ख़ुद इसकी पड़ताल की थी.’

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(साभार: अमर उजाला)

यादव ने कहा कि अभी तक कोई भी सक्षम अधिकारी ये बताने को तैयार नहीं है कि आखिर पैसे क्यों वापस हुए. ज़िले में बैंक की फ्रैंचाइज़ी लिए अनिल कुमार पांडेय कहते हैं कि पैसे वापस होने वालों का आंकड़ा काफी बड़ा है और जान-बूझकर ये जानकारी छिपाई जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘चूंकि मैं बैंक से जुड़ा हुआ हूं, इसलिए कई सारे लोग मेरे पास आए और मदद मांगी. मैंने बैंक के कुछ अधिकारियों से बात की तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि कई सारे किसानों के पैसे वापस हुए हैं लेकिन आधिकारिक रूप से कोई आंकड़ा बताने को तैयार नहीं हैं.’

लोकसभा चुनाव के लिए हो रहीं रैलियों में भाजपा इस योजना को अपनी बड़ी सफलता के रूप में प्रदर्शित कर रही है. बीते 24 फरवरी को इस योजना के लॉन्च के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना को किसानों की स्थिति सुधारने की दिशा में एक बहुत बड़ा क़दम बताया था.

द वायर द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त किए दस्तावेज़ों से भी इस बात की पुष्टि होती है कि किसानों के खाते से पैसे वापस हुए हैं. कुल 19 राष्ट्रीयकृत बैंकों में से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, सिंडिकेट बैंक, केनरा बैंक ने आरटीआई के जवाब में स्वीकार किया है कि इस योजना के तहत किसानों के खाते में डाले गए पैसे वापस ले लिए गए हैं.

भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने बताया कि इस योजना के तहत आठ मार्च 2019 तक 27,307 खातों में डाली गई रकम में से पांच करोड़ 46 लाख रुपये (5,46,14,000 रुपये) वापस ले लिए गए. एसबीआई ने ये भी बताया कि आठ मार्च 2019 तक उन्होंने करीब 42 लाख 74 हज़ार खातों में लगभग 854.85 करोड़ रुपये पीएम किसान योजना के तहत डाला था.

इसी तरह बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने इस बात की पुष्टि की है कि योजना के तहत किसानों के खातों में डाले गए पैसे वापस ले लिए गए हैं. इस बैंक ने बताया कि अब तक उन्होंने करीब एक लाख 88 हज़ार खातों में लगभग 37 करोड़ 70 लाख रुपये डाले हैं. इसमें से 61 लाख 20 हज़ार रुपये वापस ले लिए गए हैं.

इस हिसाब से बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा किसानों के करीब 3,060 खातों से पीएम किसान योजना के पैसे निकाल लिए गए या वापस हो गए हैं.

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जौनपुर ज़िले के एक छोटे से क्षेत्र बरईपुर के सिर्फ यूनियन बैंक से 60 से ज़्यादा किसानों के पैसे वापस हुए हैं.

वहीं, यूको बैंक ने आरटीआई के जवाब में बताया कि 24 फरवरी 2019 तक 2919 खातों के 58 लाख 38 हज़ार रुपये वापस हो गए थे. हालांकि बैंक के सहायक महाप्रबंधक एके बरूआ का कहना है कि ये पैसे इसलिए वापस किए गए क्योंकि लाभार्थियों का या तो अकाउंट नंबर गलत था या फिर उनके आधार में दिक्कत रही होगी.

कृषि मंत्रालय ने बताया कि एक दिसंबर 2018 से लेकर 31 मार्च 2019 तक पीएम किसान योजना के तहत पहली किस्त के रूप में करीब तीन करोड़ (3,00,27,429) किसानों के खाते में लगभग 6000 करोड़ रुपये (60,05,48,58,000 रुपये) डाले गए हैं.

द वायर ने केंद्र सरकार से प्रतिक्रिया के लिए पीएम किसान योजना के सीईओ और कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को सवालों की सूची ईमेल के ज़रिये भेजी है. हालांकि अभी तक वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. अगर कोई जवाब आता है तो उसे स्टोरी में शामिल किया जाएगा.