उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद पुलिस द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर एक महिला ने आत्मदाह कर लिया था. दिल्ली महिला आयोग ने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था जिसके बाद पुलिस ने गांव के सरपंच सहित 14 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने एक घरेलू सहायिका के कथित बलात्कार एवं तत्पश्चात उसके खुद को आग लगा लेने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को बीते सोमवार को नोटिस भेजा है.
आयोग ने कहा है कि यदि ख़बर सही है तो यह घटना महिला के मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है.
उसने कहा, ‘एनएचआरसी ने मीडिया में आई इस खबर का स्वत: संज्ञान लिया है कि 25 साल से अधिक उम्र की एक विधवा को कथित रूप से उसके पिता और एक अन्य रिश्तेदार ने 10,000 रुपये में बेच दिया, जिसके हाथों बेचा गया, उसने और उसके दोस्तों ने उससे सामूहिक बलात्कार किया और जब वह पुलिस के पास मदद के लिए पहुंची तब पुलिस ने उसे भगा दिया.’
सोमवार को आई खबर के अनुसार उसे ऐसा झटका लगा कि पीड़ित महिला ने पिछले महीने ख़ुद को आग लगा लिया. वह फिलहाल गाजियाबाद के एक अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है. वह 80 फीसदी जल चुकी है.
आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया और उनसे पीड़िता का किए जा रहे उपचार, उसकी सुरक्षा एवं पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में मेरठ मंडल के हापुड़ जिले में 29 साल की विवाहिता ने अपने साथ सामूहिक बलात्कार किए जाने पर कथित तौर पर पुलिस की ओर से कार्रवाई नहीं जाने पर बीते 29 अप्रैल को खुद को आग लगा ली थी. वह 80 फीसदी जल गई है और गाजियाबाद के एक अस्पताल में भर्ती है.
मामले में दिल्ली महिला आयोग के दखल के बाद हापुड़ की बाबूगढ़ पुलिस ने सरपंच समेत 14 लोगों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार का नामजद मुकदमा दर्ज किया है.
बता दें कि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने मामले का संज्ञान लेकर 11 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था और महिला के लिए न्याय की मांग की थी.
उन्होंने पत्र में कहा है, ‘पीड़िता को हापुड़ में पुलिस के हाथों असहनीय उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, बार-बार शिकायत करने पर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया.’
पत्र में यह भी लिखा है, ‘उत्तर प्रदेश पुलिस के संवेदनहीन और शर्मनाक रवैये की वजह से पीड़िता ने खुद को आग के हवाले कर लिया.’
पत्र के अनुसार, पीड़िता को कथित रूप से 10 हजार रुपये के लिए हापुड़ के एक शख्स को बेच दिया गया था. उस शख्स ने कई लोगों से कर्ज लिया हुआ था और बदले में वह पीड़िता को बिना मेहनताना के उनके यहां घरेलू काम करने के लिए मजबूर करता था. वहां पीड़िता के साथ कई बार उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार हुआ.
वहीं पुलिस का कहना है कि मामला संदिग्ध है और अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है.
हापुड़ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) यशवीर सिंह ने बताया था कि महिला खुद जली या उसे जलाया गया, यह जांच का विषय है. सिंह ने इस बात से इनकार किया कि महिला ने इसलिए आत्मदाह की कोशिश की क्योंकि पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया.
एसपी ने यह भी कहा था कि महिला की शिकायत पर पूर्व में भी कई बार जांच हो चुकी है, लेकिन घटना की पुष्टि नहीं हो सकी.
एसपी के अनुसार, महिला अपने साथ उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार की घटना को पांच साल पुरानी बता रही है. सभी घटनाएं अलग-अलग समय और अलग-अलग स्थानों की बताई गई हैं.