दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए बिलकिस ने कहा कि इतने सालों में इंसाफ़ की इस लड़ाई के दौरान सरकार से उन्हें कोई समर्थन नहीं मिला.
गुजरात दंगों के दौरान 2002 में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई बिलकिस बानो अब नई शुरुआत करने को तैयार हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनकी बड़ी बेटी वक़ील बनेगी. दंगों में उनके परिवार के 13 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.
उनके साथ दुष्कर्म मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले के चार दिन बाद बिलकिस ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह इंसाफ़ चाहती थी, बदला नहीं. अदालत ने इस मामले में 12 लोगों की उम्रकैद की सज़ा बरकरार रखा था. साथ ही सात लोगों की रिहाई को भी रद्द कर दिया था. इनमें कुछ पुलिसकर्मी और सरकारी डॉक्टर भी शामिल हैं.
घटना के समय बिलकिस गर्भवती थीं और दंगे में उनकी साढ़े तीन साल की बेटी की मौत हो गई थी. अब उन्हें उम्मीद है कि फैसले से उन्हें अच्छा जीवन जीने में मदद मिलेगी. उनके पति और उनकी सबसे छोटी बेटी भी उनके साथ आए थे.
उन्होंने कहा, ‘बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला बहुत अच्छा है और मैं काफी खुश हूं, मेरा परिवार भी खुश है. मैं इसलिए भी ज़्यादा खुश हूं कि घटना को रफा-दफा करने में शामिल पुलिसकर्मी और डाक्टरों को भी दोषी ठहराया गया है.’
बिलकिस ने कहा, ‘मेरी बड़ी बेटी वकील बनना चाहती है. मैं सुनिश्चित करूंगी कि मेरे बच्चे पढ़ाई करें और नया रास्ता चुनें.’ उनके पति याक़ूब दूध का कारोबार करते हैं. इस दौरान अभियुक्तों से मिल रही धमकियों और परिवार को हुई परेशानी के बारे में पूछे जाने पर याक़ूब रो पड़े.
उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि बिलकिस की तरह सभी महिलाओं को इंसाफ़ मिले. उन्होंने कहा कि गौ रक्षा कानूनों और गौरक्षक समूह भी उनके परिवार के मवेशी कारोबार को लेकर धमकी देते हैं, इसलिए उन्हें आमदनी के लिए नए रास्ते खोजने होंगे.
मानवाधिकार कार्यकर्ता फराह नक़वी ने कहा कि परिवार को 15 साल में 25 बार घर बदलना पड़ा क्योंकि पैरोल के दौरान अभियुक्त बिलकिस को धमकी देते. बिलकिस ने कहा इतने सालों में इंसाफ़ की अपनी इस लड़ाई के दौरान सरकार से उन्हें कोई समर्थन नहीं मिला.