आरोपियों में आईएएस के सेवा अधिकारी, ईडी और आयकर विभाग के अधिकारी शामिल हैं. इन आरोपियों में से 45 विभिन्न सरकारी बैंकों से जुड़े हैं.
नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को 123 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई के लिए विभिन्न संगठनों की मंजूरी का इंतजार है. चार महीने से अधिक समय से सीवीसी इन अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों की मंजूरी का इंतजार कर रहा है.
इसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवा अधिकारी, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग के अधिकारी शामिल हैं. इन आरोपियों में से 45 विभिन्न सरकारी बैंकों से जुड़े हैं.
सीवीसी के ताजा आंकड़ों के अनुसार इन अधिकारियों से संबंधित 57 मामले विभिन्न सरकारी संगठनों से अभियोजन की कार्रवाई की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. सबसे अधिक आठ मामले कार्मिक मंत्रालय के पास लंबित हैं.
कार्मिक विभाग भ्रष्टाचार रोधक मामलों में नोडल विभाग के रूप में काम करता है. इसके अलावा पांच-पांच मामले रेल मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार की मंजूरी के इंतजार में अटके हुए हैं.
अप्रैल तक अपडेटेड आंकड़ों के अनुसार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक और एक आयकर अधिकारी से संबंधित मामले में भी विभागों की मंजूरी नहीं मिल पाई है, जिसकी वजह से इनके खिलाफ अभियोजन शुरू नहीं हो पाया है.
आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से संबंधित 15 भ्रष्टाचार के मामलों में 45 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मंजूरी नहीं मिल पाई है. इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, बैंक आफ महाराष्ट्र, पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, सिंडिकेट बैंक और ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स.
आयोग कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कॉरपोरेशन बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक आफ बड़ौदा और सिंडिकेट बैंक से संबंधित 16 अधिकारियों से संबंधित सात मामलों के संदर्भ में विभाग-संगठन की राय से सहमत है कि अभियोजन के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं है. लेकिन इस पर अभी अंतिम कार्रवाई या फैसले का इंतजार है.