पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गतिरोध का समाधान निकालने के लिए राज्य सचिवालय में डॉक्टरों को बैठक में आमंत्रित किया था. इस बीच, दिल्ली स्थित एम्स और सफदरजंग अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने ममता बनर्जी को राज्य के आंदोलनकारी डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है.
नई दिल्ली: हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सचिवालय में शनिवार शाम में बैठक का ममता बनर्जी का आमंत्रण ठुकरा दिया और कहा कि मुख्यमंत्री को पहले माफी मांगनी होगी.
डॉक्टरों की हड़ताल शनिवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गई. मुख्यमंत्री ने गतिरोध का समाधान निकालने के लिए राज्य सचिवालय में डॉक्टरों को बैठक में आमंत्रित किया था.
एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में अपने दो सहकर्मियों पर हमले के विरोध में हड़ताल पर गए डॉक्टरों ने शुक्रवार को कहा कि ममता बनर्जी को बिना शर्त माफी मांगनी होगी. इसके साथ ही उन्होंने अपनी हड़ताल वापस लेने के लिए राज्य सरकार के समक्ष छह शर्तें रखी हैं.
जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम के प्रवक्ता अरिन्दम दत्ता ने कहा, ‘हम बैठक के लिए मुख्यमंत्री के आमंत्रण पर राज्य सचिवालय नहीं जाएंगे. उन्हें (मुख्यमंत्री) नील रत्न सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल आना होगा और एसएसकेएम अस्पताल में बृहस्पतिवार को अपने दौरे के दौरान की गई टिप्पणियों के लिए बिना शर्त माफी मांगनी होगी.’
दत्ता ने कहा, ‘यदि वह एसएसकेएम जा सकती हैं तो वह एनआरएस भी आ सकती हैं…अन्यथा आंदोलन जारी रहेगा.’
डाक्टरों के ‘हमें न्याय चाहिए’ के नारों के बीच सरकार संचालित अस्पताल एसएसकेएम के दौरे के दौरान बनर्जी ने कहा था कि मेडिकल कॉलेजों में बाहरी लोग व्यवधान पैदा कर रहे हैं और वर्तमान आंदोलन माकपा तथा भाजपा का षड्यंत्र है.
एम्स, सफदरजंग के डॉक्टरों ने ममता को दिया 48 घंटे का अल्टीमेटम
दिल्ली स्थित एम्स और सफदरजंग अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के आंदोलनकारी डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने कहा है कि ऐसा न होने पर वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग अस्पतालों के डॉक्टरों ने कोलकाता में अपने सहयोगियों पर हमलों के विरोध में शुक्रवार को काम का बहिष्कार किया था.
शनिवार को काम फिर से शुरू करने वाले एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के सदस्यों ने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों की मांगें 48 घंटे के भीतर पूरी नहीं की जाती हैं तो उन्हें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
उन्होंने कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल सरकार के शत्रुतापूर्ण और अड़ियल रवैये की निंदा करते हैं. एम्स, नयी दिल्ली में हमारा विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक न्याय नहीं मिल जाता.’
एम्स आरडीए ने एक बयान में कहा, ‘14 जून को हुई आम सभा की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, आरडीए पश्चिम बंगाल सरकार को हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम देती है. मांगें पूरी न होने पर एम्स नयी दिल्ली में हम अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. हमें उम्मीद है कि देशभर में हमारे सहयोगी जरूरत की इस घड़ी में हमारे साथ जुड़ेंगे.’
आरडीए सदस्यों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के प्रति आभार व्यक्त किया और गतिरोध को दूर करने के लिए उनके कदमों की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘हमें पूरी उम्मीद है कि वह इसे प्राथमिकता देते हुए इस मामले का अति शीघ्र समाधान करेंगे.’
सफदरजंग अस्पताल आरडीए के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने भी इस मामले पर समान रुख अपनाया.
दिल्ली के चिकित्सकों ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब ममता बनर्जी ने कुछ दिन पहले अपने राज्य में हड़ताली डॉक्टरों को हड़ताल वापस लेने या छात्रावास खाली करने के लिए चार घंटे का अल्टीमेटम दिया था.
पश्चिम बंगाल में अपने सहयोगियों पर हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 17 जून को हड़ताल का आह्वान किया है.
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर न्यायालय में याचिका दायर
अपने साथियों पर हमले के खिलाफ पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के प्रदर्शन के बीच उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को दायर एक याचिका में देशभर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया.
याचिका में केन्द्रीय गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय तथा पश्चिम बंगाल सरकार को सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षाकर्मियों की तैनाती का निर्देश दिया गया.
इसमें कहा गया कि प्रदर्शनों के कारण, देश में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं और डॉक्टरों की अनुपस्थिति से कई लोग मर रहे हैं.
याचिका में कहा गया, ‘भारतीय चिकित्सा संघ ने डॉक्टरों के आंदोलन का समर्थन किया है और अपनी सभी राज्य शाखाओं के सदस्यों को शुक्रवार को काली पट्टी बांधकर विरोध करने का निर्देश दिया. कई वरिष्ठ डॉक्टरों ने आंदोलनरत डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सरकारी पदों से इस्तीफा दिया है.’
अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार को दस जून को एनआरएस मेडिकल कालेज अस्पताल, कोलकाता में कनिष्ठ डॉक्टरों पर हमला करने वाले हमलावरों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया.