वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2018 से 2030 तक रेलवे आधारभूत ढांचे को 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की ज़रूरत है. उन्होंने तीव्र विकास एवं यात्री माल ढुलाई सेवा के लिए सरकारी निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा.

नई दिल्ली: रेलवे को शुक्रवार को पेश किए गए वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में 65,837 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन प्राप्त हुआ और पूंजीगत व्यय के लिए सर्वाधिक 1.60 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसमें यात्री सुविधाओं के लिए धन में 200 प्रतिशत की वृद्धि शामिल है.
पिछले साल रेलवे का परिव्यय 1.48 लाख करोड़ रुपये था जबकि बजट आवंटन 55,088 करोड़ रुपये था. अंतरिम बजट में, आवंटन 1.58 लाख करोड़ रुपये था.
वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में, नई लाइनों के निर्माण के लिए 7,255 करोड़ रुपये की धनराशि, गेज परिवर्तन के लिए 2,200 करोड़ रुपये, दोहरीकरण के लिए 700 करोड़ रुपये, रोलिंग स्टॉक के लिए 6,114.82 करोड़ रुपये और सिग्नलिंग और दूरसंचार के लिए 1,750 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. ये आवंटन फरवरी में प्रस्तुत अंतरिम बजट के समान ही हैं.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘यह 130 करोड़ भारतीयों (अमीर या गरीब), उद्यमियों, उद्योग, नए काम और अवसरों को बढ़ावा देने वाला बजट है.’
रेल यात्री सुविधा के लिए आवंटन पिछले वित्त वर्ष के 1,657 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,422.57 करोड़ रुपये हो गया है. साल 2017-2018 के वित्तीय वर्ष में, रेल यात्री सुविधाओं के लिए बजटीय आवंटन 1,100.90 करोड़ रुपये था.
अंतरिम बजट में तेज वृद्धि का संकेत दिया गया था, जिसमें 2018-2019 में आवंटित राशि से यात्री सुविधाओं के आवंटन में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि रेलवे के बुनियादी ढांचे को 2018 और 2030 के बीच 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी. उन्होंने तीव्र विकास एवं यात्री माल ढुलाई सेवा के लिए सरकारी निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा ताकि कनेक्टिविटी बढ़ाई जा सके.
उन्होंने कहा, ‘रेलवे को विशेष उद्देश्य कंपनियों (एसपीवी) के जरिए उपनगरीय रेलवे में निवेश करने और पीपीपी के जरिए मेट्रो रेल नेटवर्क बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.’
सीतारमण ने कहा कि सरकार माल वहन के लिए नदी मार्ग का उपयोग करने की परिकल्पना भी कर रही है ताकि सड़क एवं रेल मार्ग पर भीड़भाड़ के कारण रूकावटें कम हो सकें.
गोयल ने कहा कि स्टेशनों के आधुनिकीकरण और शौचालय, वेटिंग रूम और बेहतर स्टेशन जैसी यात्री सुविधाओं के निर्माण के लिये रेलवे में 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है, जिसके बारे में वित्त मंत्री ने बात की.
उन्होंने कहा, ‘हमने एक पूरा कार्यक्रम तैयार किया है. 100 प्रतिशत विद्युतीकरण, उन्नत सिग्नलिंग, स्टेशन जैसी कुछ पुरानी परियोजनाएं पहले से ही थीं. अब, हमें अतिरिक्त क्षमता बनाने के तरीके पर काम करना होगा, ताकि माल ढुलाई में हमारी हिस्सेदारी बढ़े, साजो-सामान की लागत कम होने लगे और अच्छी सुविधाओं के साथ हमारे यात्रियों को अपने पसंदीदा गंतव्य तक पहुंचने के लिए ट्रेनों से यात्रा करने के लिए अधिक से अधिक मौके मिलें.’
उन्होंने कहा, ‘इन सब के लिये अधिक दोहरीकरण, तिहराकरण, नए समर्पित फ्रेट कॉरिडोर, कुछ अर्ध उच्च गति वाले फ्रेट कॉरिडोर, विभिन्न क्षेत्रों में बहुत अधिक निवेश , क्षेत्रीय संपर्क, आकांक्षी जिलों से संपर्क की जरूरत होगी. हमने सरकारी खर्च और सार्वजनिक-निजी भागीदारी दोनों तरह से इसकी योजना बनाई है.’
सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि रेलवे का पूंजीगत व्यय प्रतिवर्ष लगभग 1.5 से 1.6 लाख करोड़ रुपये है, जिसको देखते हुए सभी स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने में दशकों लगेंगे. उन्होंने तेजी से विकास और पटरियों के पूरा होने, स्टॉक विनिर्माण और यात्री माल सेवाओं के वितरण को पूरा करने के लिए पीपीपी मॉडल का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव किया.
उन्होंने कहा, ‘जहां भी अधिक निवेश को आकर्षित करने के अवसर और व्यवहार्यता और यात्रियों के लिये बेहतर सेवाओं की बात होगी तो हम दिमाग खुला रखेंगे. यात्रियों को बेहतर सेवाओं का अधिकार है. हमारे विकल्प इसके लिये खुले हैं.’
उन्होंने कहा कि इस साल रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण भी आरंभ किया जाएगा.
रेलवे का सबसे बड़ा सिर दर्द इसका राजस्व खर्च रहेगा जिसमें 86,554.31 करोड़ रुपए का अनुमानित वेतन भुगतान शामिल है जो कि पिछले वित्त वर्ष से 14,000 करोड़ रुपए अधिक है.
बजट में निर्भया फंड के लिए 267.64 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिसमें एकीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रबंधन प्रणाली (आईईएमआर) (वीडियो निगरानी प्रणाली) के लिए 250 करोड़ रुपए और कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन के लिए 17.64 करोड़ रुपए का प्रावधान शामिल है.
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सकल यातायात प्राप्तियों के लिए 2,16,675 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया गया है जो कि वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान से 19,961 करोड़ रुपये अधिक है.