भूषण पावर एंड स्टील ने 1,775 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की: इलाहाबाद बैंक

पिछले हफ्ते ही पंजाब नेशनल बैंक ने इस्पात कंपनी भूषण पावर एंड स्टील द्वारा बैंक कोष और खातों में हेराफेरी करके 3,800 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के बारे में सूचना दी थी.

(फोटो साभार: फेसबुक)

पिछले हफ्ते ही पंजाब नेशनल बैंक ने इस्पात कंपनी भूषण पावर एंड स्टील द्वारा बैंक कोष और खातों में हेराफेरी करके 3,800 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के बारे में सूचना दी थी.

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नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के बाद एक अन्य सरकारी बैंक- इलाहाबाद बैंक ने बीते शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) द्वारा करीब 1,774 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने की सूचना दी है.

इलाहाबाद बैंक ने एक नियामकीय सूचना में कहा कि कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ फॉरेंसिक ऑडिट जांच के निष्कर्षों और सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर बैंक ने रिजर्व बैंक को 1,774.82 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बारे में सूचित किया है.

इसमें आरोप लगाया गया है कि भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) ने बैंकिंग प्रणाली से धन का दुरूपयोग किया है.

पिछले हफ्ते ही पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने दिवालिया इस्पात कंपनी बीपीएसएल द्वारा बैंक कोष और खातों में हेराफेरी करके 3,805.15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के बारे में सूचना दी थी.

पीएनबी द्वारा कंपनी को दिए गए 4,399 करोड़ रुपये में से लगभग 85 प्रतिशत धनराशि को बेईमानी से अन्य कामों में खर्च कर दिया गया.

इलाहाबाद बैंक ने आगे कहा कि यह पाया गया कि कंपनी ने बैंक के धन का दुरूपयोग किया और बैंकों के समूह से धन जुटाने के लिए खातों में हेराफेरी की है.

वर्तमान में यह मामला राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में है. मामले में प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है और बैंक को अच्छी वसूली होने की उम्मीद है.

उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में और अधिक बैंक बीपीएसएल की धोखाधड़ी के बारे में सूचना दे सकते हैं, क्योंकि अप्रैल में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई शिकायतों में कई अन्य बैंकों के नाम भी शामिल हैं.

सीबीआई की एफआईआर में कंपनी के चेयरमैन संजय सिंघल, उपाध्यक्ष आरती सिंघल सहित अन्य निदेशकों के नाम संदिग्धों में शामिल हैं.

सीबीआई ने कहा है, ‘कंपनी ने वर्ष 2007 से 2014 के दौरान 33 बैंकों/वित्तीय संस्थानों से विभिन्न ऋण सुविधाओं का लाभ उठाकर लगभग 47,204 करोड़ रुपये का कर्ज उठाया और उसे समय पर नहीं लौटाया.’

इसके बाद, मुख्य बैंक पीएनबी ने खाते को एनपीए घोषित कर दिया, जिसके बाद अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने भी इस ऋण खाते को एनपीए घोषित कर दिया.