पर्यावरण मंत्रालय ने संसद में बताया कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने विभिन्न राज्यों में फ्लोराइड, आर्सेनिक, नाइट्रेट और आयरन सहित अन्य हानिकारक धातुओं की भूजल में निर्धारित मानकों से अधिक मात्रा पाए जाने की पुष्टि की है.
नई दिल्ली: जलशोधन यानी कि पानी को साफ करने के पर्याप्त इंतजामों के अभाव में देश में न केवल नदियों, तालाबों और जलाशयों का पानी जहर बनता जा रहा है बल्कि खेती में रसायानिक खादों के अत्याधिक इस्तेमाल के कारण भूजल भी दूषित हो रहा है.
भूजल दूषित होने के मामले में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में चिंताजनक स्थिति है.
नदियों में दूषित जल के प्रवाह और आर्सेनिक एवं केडमियम जैसी भारी धातुओं के मिलने से भूजल के दूषित होने के बारे में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संसद के चालू सत्र में पेश आंकड़ों से यह बात उजागर हुई है.
मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने विभिन्न राज्यों में फ्लोराइड, आर्सेनिक, नाइट्रेट और आयरन सहित अन्य भारी धातुओं की भूजल में निर्धारित मानकों से अधिक मात्रा पाये जाने की पुष्टि की है.
बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भूजल में निर्धारित मानक से अधिक मात्रा में नाइट्रेट के मिले होने की वजह, अत्यधिक रासायनिक खाद का इस्तेमाल हो सकता है.
मंत्रालय ने बताया कि सीवर के जलशोधन की जरूरत के लिहाज से महज 37 प्रतिशत क्षमता के कारण नदियों का पानी दूषित हो रहा है.
मंत्रालय ने इस स्थिति में सुधार के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत सीवर के कारण दूषित जल की समस्या से सर्वाधिक प्रभावित 16 राज्यों की 34 नदियों को जलशोधन के द्वारा 2522 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवर की मिलावट से निजात दिलाई है.
सरकार ने हालांकि स्वीकार किया कि शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 61,948 एमएलडी सीवर का अनुमानित निष्पादन होता है और इसमें से 23,277 एमएलडी का ही देश भर में मौजूद 816 जलशोधन संयत्रों (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट या एसटीपी) से शोधन हो पाता है.
सीवर के जलशोधन संबंधी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के राज्यवार आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु, सीवर के पानी की कम सफाई की समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
महाराष्ट्र में प्रतिदिन निकलने वाले 8143 एमएलडी सीवर में से 76 एसटीपी की मदद से 5160.36 एमएलडी का शोधन हो पाता है. जबकि उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 7124 एमएलडी सीवर में से 73 एसटीपी से 2646.84 एमएलडी और तमिलनाडु में प्रतिदिन 5599 एमएलडी सीवर में से 73 एसटीपी से 1799.72 एमएलडी का शोधन होता है.
सीवर के शोधन की क्षमता के मामले में पंजाब अव्वल है. राज्य में 86 एसटीपी की मदद से प्रतिदिन 1664 एमएलडी सीवर में से 1245 एमएलडी (लगभग 75 प्रतिशत) का शोधन होता है.
भूजल दूषित होने के मामले में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में चिंताजनक स्थिति है. केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय द्वारा संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश के 43 जिले फ्लोराइड, 51 जिले नाइट्रेट और 41 जिले लौह तत्व (आयरन) की भूजल में अधिकता से प्रभावित हैं.
इसके अलावा राजस्थान के 33 जिलों का भूजल फ्लोराइड, नाइट्रेट और आयरन की अधिकता के कारण स्वास्थ्य मानकों के मुताबिक दूषित है. उत्तर प्रदेश में इन तत्वों की अधिकता के कारण भूजल के दूषित होने से प्रभावित जिलों की संख्या 28 से 59 और ओडिशा में 26 से 30 हो गई है.
राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो देश के 423 जिले भूजल में नाइट्रेट की अधिकता से प्रभावित हैं, जबकि 370 जिले फ्लोराइड और 341 जिले आयरन की अधिकता से प्रभावित हैं.
मंत्रालय ने बताया कि इस स्थिति से निपटने के लिए भूजल बोर्ड द्वारा देश में 15,974 जल गुणवत्ता निगरानी कुओं के एक नेटवर्क द्वारा भूजल की रासायनिक गुणवत्ता पर निगरानी की जा रही है.
इसके अलावा जलाशयों को सीवर एवं औद्योगिक अपशिष्ट की मिलावट से मुक्त करने के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम के तहत एसटीपी के नेटवर्क को भी बढ़ाया जा रहा है.