आरटीआई से खुलासा, दिल्ली में भुनाए गए करीब 80 फीसदी चुनावी बॉन्ड

मार्च 2018 से मई 2019 के बीच कुल 5,851.41 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और इसमें से 4,715.58 करोड़ रुपये के बॉन्ड नई दिल्ली में भुनाए गए.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मार्च 2018 से मई 2019 के बीच कुल 5,851.41 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और इसमें से 4,715.58 करोड़ रुपये के बॉन्ड नई दिल्ली में भुनाए गए.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

इंदौर: सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि सियासी दलों को चंदा देने के लिए मार्च 2018 से मई 2019 के बीच कुल 5,851.41 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड (इलेक्टोरल बॉन्ड) खरीदे गए.

गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से 80.6 प्रतिशत बॉन्ड सिर्फ नई दिल्ली में भुनाए गए जहां प्रमुख सियासी दलों के राष्ट्रीय मुख्यालय स्थित हैं.

मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने दो अलग-अलग अर्जियों पर सूचना के अधिकार के तहत भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से मिले आंकड़े मीडिया के साथ रविवार को साझा किए.

यह जानकारी चुनावी बॉन्डों की बिक्री और इन्हें भुनाए जाने के शुरूआती 10 चरणों पर आधारित है.

उन्होंने बताया कि इस अवधि में नई दिल्ली में कुल 874.50 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके, जबकि राष्ट्रीय राजधानी में इस रकम के मुकाबले पांच गुना से भी ज्यादा 4,715.58 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाये गए.

मुंबई में 1,782.36 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए लेकिन वहां इनमें से केवल सात फीसदी यानी 121.13 करोड़ रुपये के बॉन्ड ही भुनाए गए. इसी तरह कोलकाता में करीब 1,389 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्डों की बिक्री हुई और वहां 167.50 करोड़ रुपये के बॉन्ड (12 फीसदी) भुनाए गए.

बेंगलुरू में करीब 195 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए लेकिन इसमें से यहां महज 1.5 करोड़ रुपये यानी एक प्रतिशत बॉन्ड ही भुनाए गए.

हैदराबाद में 806.12 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके और 512.30 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए गए. भुवनेश्वर में 315.76 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके और 226.50 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए गए. चेन्नई में 184.20 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके और 51.55 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए गए.

देश भर में मार्च 2018 से मई 2019 के बीच 5,851.41 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए. कुल 10 चरणों में बंटी इस अवधि के दौरान 5,831.16 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाये गये. यानी 20.25 करोड़ रुपये के शेष बॉन्ड तय समय-सीमा में भुनाये नहीं जा सके और नियमानुसार इनकी वैधता समाप्त हो गई.

गांधीनगर, गुवाहाटी, जयपुर, रायपुर, पणजी, तिरुअनंतपुरम और विशाखापत्तनम में कुल 279.70 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके. लेकिन सातों शहरों में एक भी बॉन्ड नहीं भुनाया गया.

शुरूआती 10 चरणों के दौरान 13 शहरों-अगरतला, आइजोल, बादामी बाग (श्रीनगर), भोपाल, देहरादून, गंगटोक, इम्फाल, ईटानगर, कोहिमा, पटना, रांची, शिलॉन्ग और शिमला में एक भी चुनावी बॉन्ड नहीं बिका. लेकिन बादामी बाग, पटना, रांची और गंगटोक में कुल 17.5 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए गए.

बहरहाल, आरटीआई के तहत इस बात का ब्योरा सामने नहीं आया है कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले लोग कौन थे और इन बॉन्ड से किन-किन सियासी पार्टियों के खजाने में कितनी रकम जमा हुई.

लेकिन नियमों के मुताबिक वे ही सियासी दल चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा लेने की पात्रता रखते हैं जो लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 29-ए के तहत रजिस्टर्ड हैं और जिन्हें लोकसभा या विधानसभा के पिछले आम चुनाव में पड़े वोटों में से कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हों.

गौरतलब है कि देश भर में एसबीआई की विभिन्न अधिकृत शाखाओं के जरिए एक हजार रुपये, दस हजार रुपये, एक लाख रुपये, दस लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के मूल्य वर्गों वाले चुनावी बॉन्ड बिक्री के लिए जारी किए गए थे.

ये बॉन्ड चंदा पाने वाले सियासी दलों द्वारा एसबीआई की अधिकृत शाखाओं में चालू खाते खोलकर भुनाए गए.

चुनाव सुधार की दिशा में काम करने वाले गैर सरकारी संस्थाओं, समाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों इत्यादि ने आरोप लगाया है कि चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीति दलों की फंडिंग की गोपनीयता बहुत ज्यादा बढ़ रही है.

यहां तक कि चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड योजना और कॉरपोरेट फंडिंग को असीमित करने से राजनीतिक दलों के पारदर्शिता/राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के पारदर्शिता पहलू पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.