मध्य प्रदेश विधानसभा में दंड विधि (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक पर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने वाले भाजपा के दोनों विधायक पूर्व में कांग्रेसी नेता रहे हैं और पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे. भाजपा के इन दोनों विधायकों ने कहा कि यह उनकी ‘घर वापसी’ है.
भोपाल: भाजपा को बुधवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब मध्य प्रदेश विधानसभा में एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान उसके दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने अपना समर्थन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार को दे दिया.
इस पर भाजपा ने कमलनाथ की सरकार गिराने की ओर संकेत देते हुए कहा कि खेल कांग्रेस ने शुरू किया है और खत्म हम करेंगे.
बसपा विधायक संजीव सिंह द्वारा मांगे गए इस मत विभाजन से चंद घंटे पहले कर्नाटक में सत्तारूढ़ जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिरने से उत्साहित होकर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा हुई.
चर्चा के दौरान भार्गव ने सदन में कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा था कि यदि ऊपर से हमारे नंबर एक एवं नंबर दो नेताओं (स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर संकेत करते हुए) का आदेश हुआ तो कमलनाथ की सरकार 24 घंटे नहीं चलेगी.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि इन दोनों भाजपा विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने में 73 वर्षीय कमलनाथ के साथ-साथ भोपाल मध्य के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी के खेमे के हैं.
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ये दोनों विधायक पूर्व में कांग्रेसी नेता रहे हैं और पिछले साल मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे. भाजपा के इन दोनों विधायकों ने कहा कि यह उनकी ‘घर वापसी’ है.
नारायण त्रिपाठी बार-बार दल बदलने के लिए जाने जाते हैं. उनका सतना के भाजपा सांसद गणेश सिंह से कुछ महीनों से अनबन चल रही है. इसके अलावा, वह चाहते हैं कि मैहर को जिला बनाया जाए. वह लंबे समय से इस सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
लंबे समय से इलाके के लोग मैहर को नया जिला बनाने की मांग कर रहे हैं, जो विचाराधीन है. वर्तमान में मैहर एक तहसील है और सतना जिले में आता है. वह पहले मध्य प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
वहीं, शरद कोल ने भी पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ब्यौहारी सीट से कांग्रेस की टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया. तब वह युवा कांग्रेस के नेता थे. इसलिए विधानसभा चुनाव से ठीक 10 दिन पहले वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और ब्यौहारी सीट से भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया. वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये.
कोल को भाजपा की संस्कृति ठीक नहीं लग रही है और वह सोचते हैं कि पार्टी उन्हें बाहरी समझती है. कोल के पिता जुगलाल कोल भी शहडोल जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं.
इसी बीच, भाजपा नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘खेल कांग्रेस ने शुरू किया, खत्म हम करेंगे.’
विधानसभा में दंड विधि (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक 2019 पर बसपा विधायक संजीव सिंह द्वारा मांगे गये मत विभाजन के दौरान कुल 122 विधायकों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया.
प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं. इसमें सत्तारुढ़ कांग्रेस के पास अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति सहित 121 विधायकों का समर्थन है. अध्यक्ष ने इस प्रक्रिया में वोट नहीं दिया.
कांग्रेस और सहयोगी दलों के 120 विधायकों ने मतदान में भाग लिया. इनके अलावा, भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने भी विधेयक का समर्थन किया. इस प्रकार विधेयक के समर्थन में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने 122 विधायकों का समर्थन हासिल किया.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा में सत्तारुढ़ दल को बहुमत के लिए 116 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होती है.
बाद में पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी (मैहर सीट, जिला सतना) और शरद कोल (ब्यौहारी सीट, जिला शहडोल) ने कहा कि उन्होंने कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया है क्योंकि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों का विकास करना चाहते हैं.
पूर्व में कांग्रेस नेता रहे इन दोनों भाजपा विधायकों ने कहा कि यह उनकी घर वापसी है.
इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मीडिया को बताया कि विधेयक पर जब हमारी (भाजपा की) सहमति थी तो कांग्रेस को इस पर मत विभाजन करवाने की आवश्यकता ही नहीं थी.
मतदान सिर्फ एक विधेयक पर मतदान नहीं है, बल्कि यह बहुमत सिद्ध का मतदान है: कमलनाथ
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बुधवार को हुए एक विधेयक पर मतदान सिर्फ एक विधेयक पर मतदान नहीं है, बल्कि यह मेरी सरकार द्वारा बहुमत सिद्ध का मतदान है.
कमलनाथ ने विधानसभा परिसर में मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘पिछले 6 माह से भाजपा रोज कहती रही कि हमारी सरकार अल्पमत की सरकार है. आज जाने वाली है, कल जाने वाली है. ऐसा वो रोज़ कहती थी.’
उन्होंने कहा कि आज भी सुबह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि हमें इशारा मिल जाए तो हम आज सरकार गिरा दे. मैंने उन्हें उसी समय विश्वास प्रस्ताव के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने मेरा प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया.
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कमलनाथ ने बताया, ‘मैंने सोच लिया कि हम बहुमत सिद्ध कर देंगे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाए.’ उन्होंने कहा, ‘आज हुआ मतदान सिर्फ एक विधेयक पर मतदान नहीं है. यह बहुमत सिद्ध का मतदान है.’
कमलनाथ ने कहा कि भाजपा के दो विधायक नारायण त्रिपाठी व शरद कोल ने हमारे पक्ष में मतदान किया है. हम उनका स्वागत करते हैं. उन्होंने आत्मा की आवाज सुनी. आज हमें 122 विधायकों का समर्थन प्राप्त हो गया है. हमने अपना बहुमत सिद्ध कर दिखाया.
उन्होंने कहा कि यह (भाजपा नेता) कहते थे, उनके (कांग्रेस के) 8-10 विधायक हमारे साथ हैं, पर आज दिखे तो नहीं. आज हमने अपना बहुमत सिद्ध कर दिया है.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस का दावा– कुछ और भाजपा विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में
मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार को एक विधेयक पर मतविभाजन के दौरान विपक्षी दल भाजपा के दो विधायकों द्वारा कांग्रेस सरकार का समर्थन किए जाने के बाद कांग्रेस ने शाम को दावा किया कि भाजपा के कुछ और विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में हैं.
प्रदेश सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने विधानसभा में मतविभाजन के घटनाक्रम के बाद शाम को पत्रकारों से बातचीत में दावा किया, ‘भाजपा के कुछ और विधायक भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में हैं और बाउंड्री पर बैठे हैं.’
शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज साबित कर दिया कि कांग्रेस सरकार पूरे पांच साल चलेगी बल्कि उसके आगे भी चलेगी.
मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा कांग्रेस विधायकों को करोड़ों की पेशकश कर रहे हैं लेकिन वे हिलेंगे नहीं.
मत विभाजन में कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने वाले भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल क्या कांग्रेस में शामिल हो गये हैं, के सवाल पर शर्मा ने कहा कि उन्होंने हमारा समर्थन किया है वह कांग्रेस के साथ हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे पार्टी के सदस्य हैं या नहीं.
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इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने त्रिपाठी और कोल का स्वागत किया और इसे उनकी ‘घर वापसी’ करार दिया.
सिंधिया ने अपने ट्वीट में कहा, ‘मध्य प्रदेश विधानसभा में आज दंड विधि संशोधन विधेयक पर मत विभाजन में भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी (मैहर) शरद कौल (ब्यौहारी) ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर सरकार की नीतियों से सहमति जताई है. साथ ही बार-बार अल्पमत की सरकार कहने वाले भाजपा के नेताओं को आइना भी दिखाया है.’