खेल मंत्रालय और बीसीसीआई के बीच हुए पत्राचार से यह जानकारी सामने आई है कि साल 2017 से खेल मंत्रालय बीसीसीआई से राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी के दायरे में आने के लिए कह रहा है. लेकिन बीसीसीआई इस बात पर अड़ा हुआ है कि चूंकि वो राष्ट्रीय खेल संगठन नहीं है, इसलिए राष्ट्रीय एजेंसी से क्रिकेट खिलाड़ियों का डोप टेस्ट नहीं कराएगा.
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के 19 वर्षीय खिलाड़ी पृथ्वी शॉ के डोप टेस्ट में फेल होने की खबर आने से करीब एक महीने पहले केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर बीसीसीआई को उसकी एंटी-डोपिंग नीति को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि उन्हें राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के नियमों के दायरे में आना पड़ेगा.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए खेल मंत्रालय, बीसीसीआई और नाडा के बीच इस संबंध में हुए पत्राचार से ये जानकारी सामने आई है.
खेल मंत्रालय में अवर सचिव विनोद कुमार ने 26 जून 2019 को बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी को पत्र लिखकर कहा था कि बीसीसीआई द्वारा नाडा के दायरे में न आने के लिए दिए गए तर्क सही नहीं हैं और बीसीसीआई को ये निर्देश दिया जाता है कि वे अंतरराष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के डोपिंग के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करे और नाडा के जरिए खिलाड़ियों का डोपिंग टेस्ट कराएं.
मंत्रालय ने पत्र में लिखा, ‘बीसीसीआई का एंटी डोपिंग नियम वाडा कोड के अनुच्छेद 5 के तहत तालमेल नहीं बिठाता है. वाडा कोड के अनुच्छेद 5.2 के तहत खिलाड़ियों का डोपिंग टेस्ट उस एंटी डोपिंग संगठन के जरिए कराया जाना चाहिए जिसे ऐसा करने का अधिकार दिया गया है.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘और यह एक तथ्य है कि बीसीसीआई न तो वाडा के तहत अधिकार प्राप्त एंटी-डोपिंग संगठन और न ही वो ऐसा दर्जा हासिल कर सकता है.’
मंत्रालय ने यह भी कहा कि अगर बीसीसीआई को किसी बात को लेकर चिंता है तो वे मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं और इसका समाधान निकाल लिया जाएगा.
नाडा भारत की एकमात्र एंटी डोपिंग संस्था है जिसे वाडा की मान्यता मिली हुई है. खेल मंत्रालय के मुताबिक नाडा का अधिकार क्षेत्र सभी खिलाड़ियों और स्पोर्ट्स संस्थाओं के लिए है.
हालांकि पिछले कई सालों से बीसीसीआई खुद को नाडा के अधिकार क्षेत्र में लाने से इनकार करता है. जबकि मंत्रालय और नाडा ने इस संबंध में बीसीसीआई को कई बार पत्र लिखा है.
बीसीसीआई का तर्क है कि वह एक राष्ट्रीय स्पोर्ट्स संघ नहीं है इसलिए वो नाडा के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इसके अलावा क्रिकेट एजेंसी का कहना है कि बीसीसीआई ने साल 2011 से बीसीसीआई एंटी डोपिंग नियम लागू किया है और भारतीय क्रिकेट टीम को डोपिंग फ्री रखने के लिए उसका सिस्टम बहुत मजबूत है, इसलिए उसे नाडा के दायरे में आने की जरूरत नहीं है.
हालांकि खेल मंत्रालय ने इन सभी तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि बीसीसीआई के तर्क वाडा प्रोटोकॉल, नाडा के नियम और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के बिल्कुल विपरीत हैं, इसलिए इन आपत्तियों को बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
बीसीसीआई एंटी डोपिंग दस्तावेज by The Wire on Scribd
मंत्रालय ने कहा की बीसीसीआई का ये तर्क बिल्कुल सही नहीं है कि भारतीय क्रिकेट टीम को डोपिंग फ्री रखने के लिए उनके पास बहुत मजबूत सिस्टम है. पत्र में लिखा है, ‘साल 2018 में बीसीसीआई ने नेशनल डोप टेस्टिंग लैबोरेट्री में 215 सैंपल भेजे थे, इसमें से पांच सैंपल पॉजिटिव पाए गए थे. इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है कि इन खिलाड़ियों के साथ क्या कार्रवाई की गई है.’
बीसीसीआई क्रिकेट खिलाड़ियों का डोपिंग टेस्ट भारत की नाडा से न कराकर स्वीडन की एक प्राइवेट एजेंसी इंटरनेशनल डोपिंग टेस्ट एंड मैनेजमेंट (आईडीटीएम) के जरिये कराता है. जब नाडा को इसकी जानकारी हुई थी तो उसने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए 29 मई 2017 को बीसीसीआई को एक पत्र लिखा और नाडा के जरिए डोप टेस्ट कराने के लिए कहा था.
नाडा के महानिदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी नवीन अग्रवाल ने बीसीसीआई के अध्यक्ष विनोद राय को लिखे पत्र में कहा था, ‘हमें पता चला है कि बीसीसीआई नाडा के जरिए डोप टेस्ट न कराकर एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से डोप टेस्टिंग करा रहा है. नाडा का अधिकारक्षेत्र भारत के सभी खेलों पर है, इसलिए आप इसके नियमों को मानें.’
नाडा के इस पत्र पर बीसीसीआई की ओर से कोई जवाब न आने पर खेल मंत्रालय ने तीन अक्टूबर 2017 को पत्र लिखा और कहा कि बीसीसीआई नाडा के जरिए डोप टेस्ट कराने में सहयोग करे.
खेल विभाग के सचिव इन्जेती श्रीनिवास ने विनोद राय को भेजे पत्र में लिखा, ‘वाडा ने हाल ही में नाडा का ऑडिट किया और पाया कि अन्य स्पोर्ट्स फेडरेशन की तरह बीसीसीआई इसके दायरे में नहीं है. कैबिनेट द्वारा स्वीकृत किए गए नाडा का एंटी-डोपिंग नियम सभी खिलाड़ियों और खेल संघों पर लागू होता है. इसलिए आप इसमें हस्तक्षेप करें और नाडा के जरिए क्रिकेट खिलाड़ियों का डोप टेस्ट कराने में सहयोग करें.’
श्रीनिवास ने उस समय इस बात की भी आशंका जताई थी कि अगर बीसीसीआई नाडा के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है तो नाडा को वाडा के नियमों का पालन न करने वाला मान लिया जाएगा.
मालूम हो कि पूर्व कैग विनोद राय बीसीसीआई के मामलों को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई प्रशासकों की समिति के चेयरमैन भी हैं. तत्कालीन खेल सचिव ने राय से इस मामले में मदद करने की अपील भी की थी.
हालांकि आठ नवंबर 2017 को बीसीसीआई ने प्रशासकों की समिति के द्वारा दिए गए सुझाव के आधार पर नाडा को पत्र लिखकर उसके दायरे में आने से मना कर दिया.
बीसीसीआई ने कहा कि वे आईसीसी के तहत मान्यता प्राप्त एक स्वायत्त खेल संगठन हैं. साल 2006 से आईसीसी वाडा कोड का हस्ताक्षरकर्ता है. उन्होंने यह भी कहा कि बीसीसीआई ने बीसीसीआई एंटी-डोपिंग नियम 2011 बनाया है और इसमें आईसीसी के कोड को स्वीकार किया गया है, इसलिए हम नाडा के दायरे में नहीं आएंगे.
भारतीय क्रिकेट संघ ने आगे कहा, ‘बीसीसीआई आईडीटीएम के जरिए सैंपल इकट्ठा कराता है और इसे वाडा द्वारा मान्यता प्राप्त नेशनल डोप टेस्टिंग लैबोरेट्री (एनडीटीएल) में भेजता है. चूंकि एनडीटीएल के सीईओ खेल विभाग के सचिव होते हैं, इस तरह बीसीसीआई खेल मंत्रालय की निगरानी में डोप टेस्टिंग करा रहा है.’
बीसीसीआई ने कहा कि इस तरह हमारे किसी भी अधिकारी को डोप टेस्टिंग के लिए नाडा की सहयोग करने की जरूरत नहीं है.
इसके बाद खेल मंत्रालय ने 14 दिसंबर 2017 को कनाडा स्थित अंतरराष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी को पत्र लिखा और इस बात की जानकारी दी की किस तरह से बीसीसीआई नाडा के दायरे में आने से मना कर रहा है.
वाडा के महानिदेशक ओलिवियर निग्गली को लिखे पत्र में मंत्रालय के सचिव राहुल भटनागर ने बताया कि बीसीसीआई का दावा है आईसीसी में वाडा के नियम लागू हैं और बीसीसीआई ने आईसीसी के नियमों को लागू किया है, इस तरह वे वाडा के नियमों का पालन कर रहे हैं.
भटनागर ने कहा कि इसकी जांच करने की जरूरत है कि क्या आईसीसीसी एंटी डोपिंग कोड पूरी तरह से वाडा कोड का पालन करता है या नहीं.
अब करीब डेढ़ साल बाद मंत्रालय ने फिर से बीते जून महीने में बीसीसीआई को पत्र लिखकर उन्हें नाडा के दायरे में आने के लिए कहा है.
मालूम हो कि बीते मंगलवार को बीसीसीआई ने पृथ्वी शॉ को डोपिंग के आरोप में 15 नवंबर 2019 के लिए निलंबित कर दिया गया. ऐसा कहा गया कि खिलाड़ी ने अनजाने में एक निषिद्ध पदार्थ, जो आमतौर पर कफ सिरप में पाया जा सकता है, वो ले लिया था.