जेठमलानी के बयान अपमानजनक, केजरीवाल को कठघरे में आने दीजिए: उच्च न्यायालय

मानहानि मामले में सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी और अरुण जेटली के बीच तीखी बहस हो गई थी.

मानहानि मामले में सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी और अरुण जेटली के बीच तीखी बहस हो गई थी.

Arvind Kejriwal PTi
अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानहानि के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी द्वारा जिरह के दौरान केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के ख़िलाफ़ की गई कुछ टिप्पणियों को बृहस्पतिवार को अपमानजनक क़रार दिया.

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनमोहन ने कहा कि अगर ऐसी टिप्पणियां केजरीवाल के निर्देश पर की गई हैं तो उन्हें पहले कठघरे में आना चाहिए और जेटली से जिरह से पहले अपने आरोप लगाने चाहिए.

न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, अगर ऐसे आरोप प्रतिवादी संख्या एक (केजरीवाल) के निर्देश पर लगाए गए हैं तो वादी (जेटली) से जिरह जारी रखने का कोई तुक नहीं है. प्रतिवादी एक को आरोप लगाने दीजिए. उन्हें कठघरे में आने दीजिए.

जेटली के वकील राजीव नायर और संदीप सेठी ने अदालत के समक्ष मुद्दे को उठाया और कहा कि वह केजरीवाल की ओर से इस बात का स्पष्टीकरण चाहते हैं कि टिप्पणियां उनके निर्देश पर की गई थीं अथवा जेठमलानी ने अपनी ओर से ही टिप्पणियां की थीं.

नायर ने कहा कि अगर केजरीवाल ने वरिष्ठ अधिवक्ता को प्रतिकूल टिप्पणी करने का निर्देश दिया था तो वे उनसे 10 करोड़ रुपये की बढ़ी हुई अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मांग करेंगे.

उन्होंने कहा कि अगर जेठमलानी ने ख़ुद से टिप्पणी की तो यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों का उल्लंघन होगा.

अदालत ने कहा कि इस तरीके से जिरह की अनुमति नहीं दी जा सकती है और कुछ किया जाना चाहिए. पीठ ने जेटली के वकीलों को जेठमलानी द्वारा उनके ख़िलाफ़ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों के संबंध में एक आवेदन दायर करने को कहा.

न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, इस तरह के अपमानजनक बयान जब दिए जा रहे हों तो क्या किया जाना चाहिए. यह अप्रिय है. उन्होंने कहा, जिरह कानून के अनुसार होनी चाहिए.

अदालत ने कहा कि अगर इस तरीके से बलात्कार के मामलों में जिरह की गई तो यह एक बार फिर से पीड़िता के साथ बलात्कार किए जाने सरीखा होगा और वह भी अदालत में.

जेठमलानी ने ये टिप्पणियां रजिस्ट्रार दीपाली शर्मा के समक्ष उस समय की थीं जब जेटली से केजरीवाल और आप के पांच अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ उनके द्वारा दायर 10 करोड़ रुपये के दीवानी मानहानि मामले में जिरह की जा रही थी. इन नेताओं ने जेटली पर साल 2000 से 2013 तक डीडीसीए का अध्यक्ष रहने के दौरान वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप लगाया था.

केजरीवाल के अलावा आप के पांच अन्य नेता राघव चड्ढा, कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक बाजपेयी इसी मुद्दे पर जेटली द्वारा दायर फौजदारी मानहानि के मुक़दमे का भी सामना कर रहे हैं.

यह मामला न्यायमूर्ति मनमोहन के समक्ष तब उठा जब चड्ढा द्वारा जेटली की याचिका के जवाब में दायर अपने लिखित जवाब में संशोधन के लिए दायर आवेदन पर सुनवाई चल रही थी.

सुनवाई के दौरान जिस तरीके से जिरह की जा रही थी उस पर न्यायाधीश नाराज़ हो गए. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति जिसने मानहानि का मामला दायर किया है उसकी इस तरीके से और मानहानि नहीं की जा सकती है.

संशोधित आवेदन को अदालत की एक अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए 26 मई को सूचीबद्ध किया गया.