असहिष्णुता और हिंसा की घटनाओं से राजनीतिक व्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में असिहष्णुता, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, कुछ समूहों द्वारा पैदा की गई घृणा तथा भीड़ द्वारा कानून अपने हाथ में लेने से जुड़ी हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में असिहष्णुता, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, कुछ समूहों द्वारा पैदा की गई घृणा तथा भीड़ द्वारा कानून अपने हाथ में लेने से जुड़ी हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि देश में असहिष्णुता और भीड़ द्वारा हिंसा की बढ़ती घटनाओं के चलन से देश की राजनीतिक व्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है.

सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती के अवसर पर उन्हें याद करते हुए कहा कि धार्मिक सौहार्द, देश की एकता एवं अखंडता के संदर्भ में राजीव के बताए रास्ते पर चलने की जरूरत है.

उन्होंने राजीव गांधी की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘देश में शांति, राष्ट्रीय एकीकरण और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने में राजीव गांधी के उल्लेखनीय योगदान का स्मरण करने का वक्त है. आज का समारोह इसी उदेश्य के लिए आयोजित हुआ है.’

उन्होंने कहा, ‘दो संदर्भों में यह बेहद खास मौका भी है. पहला यह कि हम राजीव जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और दूसरा कि पिछले कुछ वर्षों में हमारा देश कुछ चिंताजनक चलन का सामना कर रहा है. यह बढ़ती असिहष्णुता, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, कुछ समूहों द्वारा पैदा की गई घृणा तथा भीड़ द्वारा कानून अपने हाथ में लेने से जुड़ी हिंसा की बढ़ती घटनाएं हैं. इससे हमारी राजनीतिक व्यवस्था को नुकसान हो सकता है.’

देश की एकता और अखंडता तथा धार्मिक सौहार्द से जुड़े पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक कथन का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा, ‘हमें राजीव गांधी द्वारा दिखाए रास्ते पर चलना होगा. वह शांति, एकीकरण और सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूती देने के पक्षधर थे.’