देश की 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के बोर्ड के निगमीकरण की केंद्र सरकार की योजना के विरोध में 20 अगस्त से करीब 82 हजार असैन्य कर्मचारी हड़ताल पर थे.
कोलकाताः सेना के लिए हथियार और गोला-बारूद बनाने वाली देशभर की 41 फैक्ट्रियों में रक्षा उत्पादन सोमवार तक सामान्य होने की संभावना है क्योंकि आर्डिनेंस फैक्ट्रियों के बोर्ड (ओएफबी) के असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघों ने केंद्र की निगमीकरण योजनाओं के खिलाफ जारी एक महीने की हड़ताल शनिवार को समाप्त करने का फैसला किया.
ओएफबी की 41 फैक्ट्रियों के असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन मान्यता प्राप्त संघों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि उन्होंने अपनी हड़ताल सोमवार से स्थगित करने का फैसला किया है.
बयान में दावा किया गया है कि सरकार ने उन्हें आश्वस्त किया है कि आर्डिनेंस फैक्ट्रियों का निगमीकरण करने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है. ये तीन मान्यता प्राप्त संघ हैं : अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी संघ, भारतीय राष्ट्रीय रक्षा श्रमिक संघ और भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ.
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) के सचिव के बयान पर विचार करते हुए हड़ताल को स्थगित करने का फैसला किया है जिन्होंने कहा है कि सरकार ने आर्डिनेंस फैक्ट्रियों का निगमीकरण करने के बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं किया है.
इसके साथ ही आश्वासन दिया गया कि मजदूर संघों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर एक उच्चस्तरीय समिति विचार करेगी.
जटिल हथियारों और टैंक तथा तोपों से लेकर विशिष्ट वाहन और गोला बारूद बनाने वाली आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में रक्षा उत्पादन 20 अगस्त से प्रभावित है. तब से 82 हजार कर्मचारी ओएफबी के निगमीकरण की केंद्र की योजना के विरोध में हड़ताल पर हैं.
संघों का कहना है कि सरकार का उद्देश्य ओएफबी की रक्षा उत्पादन इकाइयों का निजीकरण करने का था. हालांकि सरकार ने ऐसी किसी भी तरह की योजना से इनकार किया है.
गौरतलब है कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के निजीकरण की कोशिशों का विरोध करते हुए मजदूर संघों ने 30 दिन काम ठप करने का ऐलान किया था. मजदूरों की हड़ताल 20 अगस्त से शुरू हो गई थी.
केंद्र ने हाल ही में इन फैक्ट्रियों के निगमीकरण का प्रस्ताव पास किया है और कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप था कि सरकार एक तरफ सेना को मजबूत करने के दावे करती है, वहीं, दूसरी ओर सुरक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की साजिश रच रही है.
यह हड़ताल तीन मजदूर संघों ने की थी. वे सरकार की ‘कॉरपोरेटीकरण’ की योजना फौरन वापस लेने की मांग कर रहे थे.