गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के बैकवॉटर के बढ़ते स्तर से मध्य प्रदेश में इस नदी के पास स्थित हजारों पेड़ों और खेतों के अलावा रिहायशी इलाके भी डूब रहे हैं.
इंदौर: गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के बैकवॉटर के बढ़ते स्तर से मध्य प्रदेश में इस नदी के पास स्थित हजारों पेड़ों और खेतों के अलावा रिहायशी इलाके भी डूब रहे हैं.
इन बसाहटों में सबसे बड़े निसरपुर गांव के सैकड़ों लोगों के लिये पलायन का दौर भावुकता से भरा है, क्योंकि डूब के कारण उन्हें अपनी मिट्टी से जुड़ीं यादों और भविष्य की चिंताओं के साथ दूसरी जगहों पर बसना पड़ रहा है.
धार जिले के करीब 10,000 लोगों की आबादी वाले इस गांव का इतिहास दो सदी पुराना बताया जाता है.
मध्य प्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि नर्मदा तट से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित निसरपुर में सरदार सरोवर बांध का बैकवॉटर रविवार को 133 मीटर का स्तर पार कर गया जो खतरे के निशान के मुकाबले करीब 6.5 मीटर ज्यादा है.
मॉनसून की भारी बारिश के कारण सूबे में नर्मदा और इसकी सहायक नदियों पर बने बांधों से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. इससे निसरपुर में बैकवॉटर का स्तर बढ़ने की गति तेज हो गयी है.
इंदौर से करीब 180 किलोमीटर दूर स्थित निसरपुर में बांध विस्थापितों के नेता और इस गांव के व्यापारी संघ के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार कामदार ‘संटू’ ने बताया, ‘निसरपुर , नर्मदा की सहायक उरी बाघिनी नदी के तट पर बसा है. सरदार सरोवर बांध का बैकवॉटर 20 दिन पहले नर्मदा के जरिये उरी बाघिनी नदी में पहुंचा और इसने निसरपुर को डुबोना शुरू कर दिया.’
उन्होंने बताया, ‘बैकवॉटर का स्तर लगातार बढ़ने से निसरपुर में डूब के दायरे में सतत इजाफा हो रहा है और आधा गांव खाली हो चुका है. डूब की चपेट में आये गली-मोहल्लों में वीरानी छायी है, जहां कुछ दिन पहले लोगों की खासी चहल-पहल हुआ करती थी.’
कामदार ने आरोप लगाया कि निसरपुर में मुआवजे के वितरण और विस्थापितों को अन्य जगहों पर फिर से बसाने के सरकारी अभियान में अनियमितताओं तथा विसंगतियों की भरमार है. पुनर्वास स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं का कथित रूप से अभाव भी है.
इस बीच, एक अधिकारी ने नाम जाहिर न किये जाने की शर्त पर कहा कि निसरपुर में कई बांध प्रभावित लोग ऐसे हैं जो सरकार से काफी समय पहले मुआवजा ले चुकने के बावजूद डूब क्षेत्र में ‘अवैध तौर पर’ डटे हैं. बैकवॉटर के बढ़ते स्तर के मद्देनजर प्रशासन इनसे डूब क्षेत्र को फौरन खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जाने की लगातार अपील कर रहा है.
अधिकारी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने निसरपुर में डूब के खतरे के मद्देनजर इस गांव के लोगों के लिये स्थायी पुनर्वास स्थल और अस्थायी टीन शेड पहले ही तैयार कर दिये थे. घर-दुकान खाली करने में ग्रामीणों की मदद के लिये गाड़ियों का भी इंतजाम किया गया है.
चश्मदीदों के मुताबिक निसरपुर में जैसे-जैसे बैकवॉटर का स्तर बढ़ता है, लोग संबंधित बस्तियों को खाली कर पलायन कर जाते हैं. इस गांव की पुरानी बसाहट का प्रमुख बाजार, मंदिर, मस्जिद, श्मशान, कब्रस्तान आदि भी डूब चुके हैं. गांव के कई मकान-दुकानों में ताले जड़े दिखायी देते हैं.
निसरपुर में डूब के मद्देनजर हाल ही में अपना दोपहिया वाहन शो-रूम खाली करा चुके युवा कारोबारी यश पाटीदार ने भावुक लहजे में कहा, ‘जिन जगहों पर मैं अपने दोस्तों के साथ खेलकर बड़ा हुआ, वे लगातार डूब रही हैं. हो सकता है कि आने वाली गर्मियों में बांध के बैकवॉटर का स्तर निसरपुर में कम हो जाये. लेकिन डूब के कारण बड़े पैमाने पर पलायन के चलते हमारा गांव अब वैसा कभी नजर नहीं आयेगा, जैसा वह कभी दिखा करता था.’