जजों के तबादले ठोस वजहों पर आधारित, जरूरत पड़ने पर कारणों का खुलासा किया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस वीके ताहिलरमानी ने छह सितंबर को इस्तीफा दे दिया था जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मेघालय हाईकोर्ट में उनके तबादले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. इसी मामले को लेकर विवाद चल रहा है.

(फोटो: पीटीआई)

जस्टिस वीके ताहिलरमानी ने छह सितंबर को इस्तीफा दे दिया था जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मेघालय हाईकोर्ट में उनके तबादले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. इसी मामले को लेकर विवाद चल रहा है.

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नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश वीके ताहिलरमानी के तबादले पर जारी विवाद को शांत करने के प्रयास के तहत सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों एवं जजों के तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ‘ठोस वजहों’ पर आधारित होती है.

जस्टिस ताहिलरमानी का नाम लिए बगैर ही सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल संजीव एस. कालगांवकर के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि जजों के तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान के हित में नहीं है लेकिन शीर्ष अदालत का कॉलेजियम, जरूरी हो जाने की स्थिति में, इसका खुलासा करने से नहीं हिचकिचाएगा.

यह बयान मीडिया में चल रही खबरों और जस्टिस ताहिलरमानी के तबादले पर लगाई जा रही अटकलों की पृष्ठभूमि में जारी किया गया है.

जस्टिस वीके ताहिलरमानी ने छह सितंबर को इस्तीफा दे दिया था जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनके तबादले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था.

उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा था जिसकी एक प्रति मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को भेजी गई. इस्तीफे को अब तक न तो स्वीकार किया गया है और न ही अस्वीकार.

उनके तबादले को लेकर मद्रास हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट दोनों के वकीलों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए हैं. मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने से पहले वह बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश थीं.

लातूर बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष अधिवक्ता बालाजी पंचाल के मुताबिक महाराष्ट्र के लातूर जिले में करीब 2,000 वकीलों ने तबादले का विरोध करने के लिए शुक्रवार को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया है. ताहिलरमानी मराठवाड़ा क्षेत्र के लातूर की रहने वाली हैं.

सेक्रेटरी जनरल द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों/ न्यायाधीशों के तबादले के संबंध में कॉलेजियम द्वारा हाल में की गई अनुशंसाओं से जुड़ी कुछ खबरें मीडिया में आई हैं.’

बयान में आगे कहा गया, ‘निर्देशानुसार, यह स्पष्ट किया जाता है कि तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ठोस कारणों पर आधारित होती है जो न्याय के बेहतर प्रशासन के हित में जरूरी प्रक्रिया का अनुपालन करने के बाद की जाती है.’

बयान में कहा गया है, ‘भले ही तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान के हित में नहीं किया जाता हो, लेकिन अगर जरूरी लगा, तो कॉलेजियम को इसको सार्वजनिक करने में कोई संकोच नहीं होगा.’

बयान में कहा गया कि प्रत्येक अनुशंसा पूर्ण विचार-विमर्श के बाद की जाती है और उस पर कॉलेजियम द्वारा सर्वसम्मति जताई जाती है.

मुख्य न्यायाधीश गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने जस्टिस ताहिलरमानी का तबादला मेघालय हाईकोर्ट में करने की अनुशंसा की थी. उन्हें पिछले साल आठ अगस्त को मद्रास उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था.

कॉलेजियम ने 28 अगस्त को उनके तबादले की अनुशंसा की थी जिसके बाद उन्होंने एक प्रतिवेदन देकर प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था.

उन्होंने मेघालय हाईकोर्ट में उनका तबादला किए जाने के खिलाफ अनुरोध पर विचार नहीं करने के कॉलेजियम के फैसले का विरोध किया था.

शीर्ष अदालत कॉलेजियम ने अनुशंसा की थी कि मेघालय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एके मित्तल को मद्रास हाईकोर्ट ट्रांसफर किया जाए. कॉलेजियम में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन भी शामिल हैं.

जस्टिस ताहिलरमानी को 26 जून, 2001 को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. उन्हें दो अक्टूबर, 2020 में सेवानिवृत्त होना है.

बॉम्बे हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहते हुए मई 2017 में उन्होंने बिल्किस बानो गैंगरेप मामले में 12 लोगों को दोषी ठहराए जाने और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था. यह मामला शीर्ष अदालत के निर्देशों पर गुजरात से महाराष्ट्र ट्रांसफर किया गया था.