इस विलय के बाद संख्या बल के हिसाब से राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 106 विधायक, भाजपा के 72, माकपा, आरएलपी व बीटीपी के दो-दो विधायक हो गए हैं. इसके अलावा 13 विधायक निर्दलीय हैं जबकि दो सीटें खाली हैं.
जयपुर: राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. इसे नगर निकाय व पंचायत चुनावों से पहले राज्य की अशोक गहलोत सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है.
बसपा के छह विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सोमवार देर रात एक पत्र सौंपा. विधायकों ने बिना शर्त कांग्रेस में शामिल होने की बात कही है.
राज्य में बसपा के छह विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा (उदयपुर वाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली (नगर), लाखन सिंह (करौली), संदीप कुमार (तिजारा) और दीपचंद खेरिया (किशनगढ़ बास) हैं.
विधानसभा अध्यक्ष ने देर रात कहा कि बसपा विधायकों ने उनसे मुलाकात की और एक पत्र उन्हें सौंपा है.
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि बसपा के सभी छह विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लगातार संपर्क में थे और आज वे कांग्रेस के पाले में आ गए हैं. इस बारे में बसपा के विधायकों से बात नहीं हो पाई उनके अनुसार बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के कदम से अशोक गहलोत सरकार संख्या बल के आधार पर और अधिक मजबूत होगी.
200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 100 विधायक हैं और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पास एक विधायक है और इस तरह सरकार बहुमत में है. इसके अलावा राज्य के 13 निर्दलीय विधायकों में से 12 ने कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने की घोषणा कर रखी है.
राजस्थान में दिसंबर में विधानसभा चुनाव के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी.
बसपा के विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का लगभग दस साल पुराना इतिहास फिर दोहराया गया है. इससे पहले 2009 में भी अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस के पाले में चले गए थे.
तत्कालीन कांग्रेस सरकार स्पष्ट बहुमत के जादुई आंकड़े से पांच कम थी और यह कमी बसपा के विधायकों के शामिल होने से पूरी हो गयी थी. इस विलय के बाद संख्या बल के हिसाब से राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 106 विधायक, भाजपा के 72, माकपा, आरएलपी व बीटीपी के दो-दो विधायक हैं. इसके अलावा 13 विधायक निर्दलीय हैं. दो सीट खाली हैं.
उल्लेखनीय है कि राज्य में नवंबर में राज्य की 52 नगरपालिकाओं के 2455 वार्डों के चुनाव होने हैं. इसके बाद जनवरी में पंचायत के महत्वपूर्ण चुनाव भी हैं. इसके अलावा मंडावा व खींवसर विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी होने हैं. ऐसे में बसपा के विधायकों के कांग्रेस में आने को राज्य में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है.