विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के सौ दिन पूरे होने के मौके पर अपने मंत्रालय का ब्योरा पेश करते हुए कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे.
नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का हिस्सा है और उम्मीद करते हैं कि यह एक दिन भारत के भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा.
जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘पीओके पर हमारा रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है कि यह भारत का हिस्सा है और हम उम्मीद करते हैं कि एक दिन यह हमारे भौतिक अधिकार क्षेत्र में होगा.’
गौरतलब है कि सरकार का कहना रहा है कि पाकिस्तान से अब बातचीत पीओके पर होगी और कश्मीर पर नहीं होगी.
ऐसा बयान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह आदि भी पहले दे चुके हैं.
#WATCH: External Affairs Minister Dr Subrahmanyam Jaishankar says, “Our position on PoK (Pakistan Occupied Kashmir) has always been and will always be very clear. PoK is part of India and we expect one day that we will have the physical jurisdiction over it.” pic.twitter.com/XpK0aPspmE
— ANI (@ANI) September 17, 2019
जयशंकर ने कहा, ‘अनुच्छेद 370 द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, यह हमारा आंतरिक मुद्दा है और मुझे लगता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय अनुच्छेद 370 पर हमारी स्थिति को समझता है.’
विदेश मंत्री ने कहा कि एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे. उन्होंने जोर दिया कि आंतरिक मामलों पर भारत के रुख को माना गया है और माना जायेगा.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने अपने मंत्रालय के कामकाज के 100 दिनों की उपलब्धियां भी गिनायीं.
विदेश मंत्री ने कहा कि 1972 के बाद से भारत की स्थिति स्पष्ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं आने वाला है.
उन्होंने कहा, ‘एक सीमा के बाद इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर पर लोग क्या कहेंगे. मेरा रुख 1972 के बाद से स्पष्ट है और मेरे रुख में बदलाव नहीं आने वाला है. अंतत: यह मेरा मुद्दा है और मेरा रुख माना गया है और माना जायेगा.’
उनसे जब पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के प्रयास और कश्मीर में मानवाधिकारों के विषय को कुछ विदेशी नेताओं द्वारा उठाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश अपनी छवि खुद बनाते हैं.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अफगानिस्तान को लेकर की गई उस टिप्पणी को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सूचना प्रौद्योगिकी बनाम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का विषय है और किस प्रकार से दो आईटी के अलग-अलग माने हैं. एक का संदर्भ भारत से है जो आईटी पेशेवरों के संबंध में है, जबकि दूसरा पाकिस्तान के संदर्भ में है.
पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति को आगे बढ़ा रहा है लेकिन उसके समक्ष एक पड़ोसी की अलग तरह की चुनौती है जिसे सामान्य व्यवहार करने और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है.