गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के कारण विस्थापित होने वाले लोगों ने उचित मुआवज़ा और पुनर्वास स्थलों में सुविधाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
इंदौर: गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के कारण डूब के ख़तरे का सामना करने वाले मध्य प्रदेश के चार ज़िलों के हज़ारों बाशिंदों के विस्थापन और पुनर्वास की प्रक्रिया को 30 जुलाई तक पूरा करने की समय-सीमा तय कर दी गई है. उधर, विस्थापित होने वाले लोगों ने उचित मुआवज़ा नहीं मिलने और सरकारी पुनर्वास स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव का आरोप लगाते हुए विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
मध्य प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) संजय दुबे ने बड़वानी, खरगोन, अलीराजपुर और धार के ज़िलाधिकारियों को एक हालिया बैठक में निर्देश दिए हैं कि अगले दो महीने के भीतर बांध प्रभावितों के विस्थापन और पुनर्वास से जुड़े सभी काम पूरे हो जाने चाहिए.
इन निर्देशों के बाद सरकारी अमला इस सिलसिले में हरकत में आ गया है. अधिकारी ने बताया कि चारों ज़िलों के कलेक्टरों से कहा गया है कि डूब क्षेत्र में आने वाले 176 गांवों के विस्थापित होने वाले लोगों को पुनर्वास स्थलों पर पेयजल, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उचित मूल्य की दुकान समेत सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं.
उधर, इन ज़िलों में बांध परियोजना से विस्थापित होने वाले लोग जगह-जगह मशाल जुलूस और बैलगाड़ी रैली निकालकर सरकार से उचित पुनर्वास और मुआवज़े की मांग कर रहे हैं. मेधा पाटकर नीत नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) नर्मदा घाटी में सक्रिय होकर इन प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहा है.
एनबीए के कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने कहा, सरदार सरोवर बांध से प्रभावित होने वाले सैकड़ों परिवारों को अब तक उचित मुआवज़ा नहीं मिला है. प्रदेश सरकार के 88 पुनर्वास स्थलों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. ऐसे में बांध से प्रभावित होने वाले लोगों को अचानक अपने खेत-खलिहान और घर-बार छोड़ने के लिए आख़िर कैसे मजबूर किया जा सकता है.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने सरदार सरोवर बांध के निर्माण से जुड़ी पर्यावरण शर्तों को भी पूरा नहीं किया है. अमूल्य ने कहा, हमें संदेह है कि इस बांध के दरवाज़े बंद कर इसे 138.68 मीटर के पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) तक भरने की तैयारी की जा रही है. बांध को इस स्तर तक भरे जाने से मध्य प्रदेश के साथ गुजरात और महाराष्ट्र में विशाल भूभाग के डूब में आने और हज़ारों परिवारों के आशियाने उजड़ जाने का ख़तरा है.